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हे रघुवर !आपको सर्वस्व अर्पित

! अब लिखो बिना डरे !
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हे रघुवर !आपको सर्वस्व अर्पित

हे रघुवर ! आपके चरणों में प्राण हैं समर्पित !
तन समर्पित मन समर्पित आपको सर्वस्व अर्पित !
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वाटिका में मधुर भेंट , हुआ था प्रेम अंकुरित ,
प्रथम दर्शन में ही मेरा उर हुआ था झंकृत ,
भूल बैठी थी मैं सुध-बुध , चंचल भय था शांत चित्त !
तन समर्पित मन समर्पित आपको सर्वस्व अर्पित !
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माता गौरी ने दिया आशीष मंगलमय यही ,
पूरी हो मनोकामना , बनो राम की अर्द्धांगिनी ,
आपने निज शौर्य से कर दिया वर को फलित !
तन समर्पित मन समर्पित आपको सर्वस्व अर्पित !
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आपको पाकर प्रभु ! हर्षित हुई , पुलकित हुई ,
आपके नहीं योग्य , ये सोचकर विचलित भई ,
क्षमा करें त्रुटियाँ मेरी , ये प्रार्थना करती हूँ नित !
तन समर्पित मन समर्पित आपको सर्वस्व अर्पित !
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सीता की ये विनम्रता श्रीराम उर को छू गयी ,
बोले मुदित करूणानिधि सीटें ! सुनो गरिमामयी ,
तुम सी मिली है नववधू , है सकल साकेत गर्वित !
तन समर्पित मन समर्पित आपको सर्वस्व अर्पित !

शिखा कौशिक ‘नूतन’

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