! अब लिखो बिना डरे !
- 580 Posts
- 1343 Comments
बर्बादियों का जश्न खंडहर की सजावट ,
अंदर दरार गहरी बाहर की सजावट !
……………………………………….
अपनों के बीच गैर साज़िशें हैं ज़ालिम ,
ज़हरीले लबों पर मीठी सी मुस्कराहट !
…………………………………………………..
गम हमारे देखकर हमदर्दी जताना ,
खिल्ली उड़ाना पीछे सबकी यही आदत !
……………………………………………..
खूँखार जानवर हैं दिल पर करें हमला ,
मक्कारियों में करते आंसू की मिलावट !
……………………………………………..
‘नूतन’ तू बच के रहना फँसना न भंवर में ,
ये सच है ज़िंदगी का बनावट ही बनावट !
जागरण जंक्शन में २३ मार्च २०१४ को प्रकाशित
शिखा कौशिक ‘नूतन’
Read Comments