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कितनी छोटी सी रचना है ,
इसमें सारा जग अपना है ,
एक बीज ,की आत्म कथा ये ,
खुद सृष्टि, की संरचना है ,
एक बीज, के इस कोटर में ,
इस जीवन का सार छुपा है ,
पंच तत्व !की अनुभूति का, इसमें ही तो तार छुपा हैं ,
जल ,अग्नि ,आकाश, वायु और पृथ्वी के संगम से,
सहज ही आ जाता है, जीवन क्रूर कठोर बीज की,कोटर में,
हम बो कर गर भूल भी जाए ,प्रकृति ने अपनाया है
पंच तत्व का भोग लगा कर, हर जीवन महकाया है ,
हम भी तो इस पंचतत्व के ,संगम के उदाहरण है ,
एक बीज से जन्म हमारा ,ये तन मट्टी सजन हमारा,
जिस दिन साँसे रुक जाएगी ,पंचतत्व में खो जाएंगे
हम इस मिटटी के बन्दे है मिटटी में ही ,सो जायेंगे ,
इस उलझे से जीवन का, इतना सा है, सार, हमारा,
कितनी छोटी सी रचना है,
इसमें सारा जग अपना है।
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