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भारत का राष्ट्र धर्म

मैं कहता आंखन देखी
मैं कहता आंखन देखी
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भारत के राष्ट्रधर्म को पहचानने की जरूरत है । भारत तभी भारत बन सकेगा जब इसके राष्ट्रधर्म की सही पहचान हम कर लेंगे । श्रीराम, कृष्ण, जनक, भीष्म, व्यास, शंकराचार्य, अर्जुन, चंद्रगुप्त, समुद्रगुप्त, शिवाजी, रणजीत सिंह, नाहर सिंह, सावरकर, सुभाष एवं स्वामी दयानंद की जगाई राष्ट्रधर्म चेतना प्रक्षीतारत कि कब यह राष्ट्रधर्म की सोई हुई चेतना भारतीयों के जागृत होगी । एकपक्षीय जीवन जिसे हम गांधीवाद भी कह सकते हैं, ने भारत को बर्बाद करके रखा हुआ है । यह बर्बादी आबादी में कब बदल पाऐगी – हमारे लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय इस समय यही होना चाहिए । धर्म की पूरी मर्यादा का निर्वहन करो भारतीयों । कहां गांधीवाद की दलदल में उलझकर सनातन भारत को बर्बाद करने पर तूले हो? बहुत बर्बादी देख ली, अब तो जाग जाओ । केवल जागना ही भारत की रक्षा है । केवल जागना ही भारत है ।

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