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विश्वगुरु भारत

मैं कहता आंखन देखी
मैं कहता आंखन देखी
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भारत के नेताओं की, अजब निराली शान।।।।।
ऊंचे करते वायदे, भरकर खूब अभियान।।।11
आजादी तथाकथित, इसके बाद के नेता।।।।।
नकली ढोंगी, ढंग हुए, कोई अगेता-कोई पछेता।।।21
जिसकी जैसी चका चढ़ी, जनमानस को लूटा।।।।।
विश्वगुरु आर्य भारत का, सपना एकदम टूटा।।।31
गरीबी और भी बढ़ती गई, जितने किए वायदे।।।।।
शोषण का मायाजाल बढ़ा, रतीभर मिले न फायदे।।।41
जो भी दल सत्तासीन हुआ, बस झूठे वायदों के बल।।।।।
आज भी दुर्गति वैसी ही, जैसी भी सुनो कल।।।51
जमीनी नेता कोई हुआ नहीं, जो भारत की सुने पुकार।।।।।
जहां भी जिसको मौका मिला, उसी ने किया शिकार।।।61
कहने के बस नेता हुए, नहीं हुआ कोई करने का।।।।।
इसी दुर्गति के चलते हुए, नहीं हो सका भारत उभरना।।।71
समाजवादी या साम्यवादी हो पूंजीवादी चाहे अधिनायक।।।।।
भारत दुर्गति का कारण बना, बेरोजगारी का प्रदायक।।।81
वायदे ही बस सुनने को मिले, जमीनी न हुआ काम।।।।।
हर दल के नेता ने सुनो, किया भारत बदनाम।।।91
अधिकांश सम्पत्ति एकत्र हुई, गिने-चुने परिवार।।।।।
नेहरू, इन्दिरा सब चले गए, अब श्री मोदी का दरबार।।।10
उत्तेजक मुद्दे उठाए, सनसनी फैलाने पर ध्यान।।।।।
जैस-तैसे बरगलाते रहे, बनाने को भारत महान।।।11
वायदों और बरगलाने से, यदि होती राष्ट्र समृद्धि।।।।।
विश्वगुरु भारत बन गया होता, सुनो दुष्ट दुर्बुद्धि।।।12
सात दशक कम नहीं, करने को राष्ट्र विकास।।।।।
धनकुबेरों की सेवा होती रही, बिना कोई सृजनात्मक प्रयास।।।13
किसान, मजदूर भारत का, अथक परिश्रम की खान।।।।।
सबने इन्हें लूटा ही बस, रहा नादान का नादान।।।14
सैनिक, किसान, मजदूर की, कोई सुनो करुण पुकार।।।।।
सत्तर वर्ष से यह मर रहा, करता हाहाकार।।।15
‘गरीबी हटाओ’ इन्दिरा ने कहा, दिन-दिन यह बढ़ती आई।।।।।
गरीब-अमीर के मध्य में बढ़ती गई है खाई।।।16
सिंहासन अब खाली करो, जनता चली आती है।।।।।
समाजवादी उद्घोष थोथा हुआ, जनता की हालत बतलाती है।।।17
जय जवान-जय किसान, लाल बहादुर ने किया उद्घोष।।।।।
असमय उनका जाना हुआ, उनकी सोच रही नहीं शेष।।।18
जब तक सूरज चांद रहेगा, इन्दिरा तेरा नाम रहेगा।।।।।
राजीव गांधी को सत्ता मिली, भाग्य भारत कब सुधरेगा।।।19
जो हिन्दू हित की बात करेगा, वही देश पर राज करेगा।।।।।
अटल जी को तो सत्ता मिली, विकासपथ भारत कब पकड़ेगा।।।20
बारी-बारी सबकी बारी, अबकी बारी अटल बिहारी।।।।।
भारत रहा पिछड़ा हुआ बस, बढ़ती गई खूब बेकारी।।।21
राजा नहीं यह फकीर है, जनता की तकदीर है।।।।।
विश्वनाथ को सत्ता मिली, भारत अब भी फकीर है।।।22
मिले मुलायम, काशीराम, नारा यह खूब चला।।।।।
लेकिन भारत वहीं पर रहा, नहीं हुआ सुजला सुफला।।।23
हाथी नहीं यह गणेश है, ब्रह्मा-विष्णु महेश है।।।।।।
मायावती ने यह नारा दिया, पिछड़ापन भारत का शेष है।।।24
श्री मोदीजी ने नारा दिया, अच्छे दिन आएंगे।।।।।
लेकिन बुरे दिन आ गए, हम कब विश्व राष्ट्र कहलाएंगे।।।25
कुछ लोगों के अच्छे दिन आए, राष्ट्र सिसक रहा बाकी।।।।।
राष्ट्र प्रेमी जमीनी नेता का अकाल, नहीं किसी में बेबाकी।।।26
जागो भारत-जागो भारतीय, करो पुरुषार्थ कुछ ऐसा।।।।।
सोने की चिड़िया फिर से बने, अतीत में भारत था जैसा।।।27
अन्धानुकरण को छोड़कर, पिछलग्गूपन का करके त्याग।।।।।
विवेक का भरपूर करों प्रयोग, मिटाओ गरीबी का भारत से दाग।।।28
किसान, मजदूर, स्वदेशी का, जो नेता करे सम्मान।।।।।
राष्ट्रवादी सभी कार्य करें, उसी हेतु हमारा जी-जान।।।29
इन नकली ढोंगियों से बचो, समझो शोषकों की चाल।।।।।
भारत की बर्बादी पर सुनो, ये तर उड़ा रहे माल।।।30

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