Menu
blogid : 17510 postid : 706876

ऐसा होता है तो क्योंकर!

मन-दर्पण
मन-दर्पण
  • 19 Posts
  • 129 Comments

ऐसा होता है तो क्योकर होता है

सवाल होते है क्यों ऐसे

जिनका जवाब नहीं होता है

कोई बतलाये या समझाए ये मुझको

एक नजर में कैसे कोई किसी का होता है

पलभर में दिल ये कैसे खोता है

कहते है पहली नजर का प्यार जिसको

प्यार है सचमुच या बस नजरों का धोखा है

ऐसा होता है तो क्योकर..

विश्वास की डोर में चुनकर प्रीत के मोती बरसो

जिस रिश्ते की माला कोई पिरोता है

जन्मों का वो ही रिश्ता फिर

पल-भर में ऐतबार क्यों खोता है

ऐसा होता है तो क्योंकर..

खुदाया! तेरी अजब सी इस दुनिया में

गजब तमाशा होता है

मयस्सर नहीं किसी को रहने के लिये एक अदद जमीं जहां

वहीँ  कोई छतों की सीलन देख रोता है

ऐसा होता है तो क्योंकर..

है सोचता अक्सर ये “अभिव्यक्ति” का अंतर्मन

खुद जलकर करता है जो जग को रोशन

फिर उसी चिराग तले अँधेरा क्यों होता है

ऐसा होता है तो क्योकर ..

शिल्पा भारतीय “अभिव्यक्ति” अंतर्मन की (१०/०२/२०१४)

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh