- 123 Posts
- 98 Comments
सच ही कहा था तुमने अंजुरी में जो बटोरा नहीं जाता
आँखों की इत्ती सी कोर में बस जाता है उम्र भर
ऐसा इंद्रधनुष्य
कोई खरीद नहीं सकता ,न ही बिक सकता है वह
किसी भी कीमत पर ,वह तो वक्त की तरह
हमें गूंथता है सांसों में,बुनता है हमें रिश्तों में
बांधता है श्रद्धा में,श्रद्धा जीती है अटूट विश्वास में
पर बंधती नहीं किसी रिश्ते से………………..
जब से वो दिया है तुमने मेरे भीतर एक इंद्रधनुष्य
सच ही कहा था तुमने,इंद्रधनुष्य को कोई रौंद नहीं सकता
देख सका है उसे हर कोई अपनी नज़र से
पर कोई उसे छू नहीं सकता
इंद्रधनुष्य कहीं है ही नहीं?वैसे है वह हर कहीं
भीतर हो थोड़ी सी फुहार और चमका दे कोई सूरज
भले ही आईने की प्रतिछाया से
नज़रों से उग आते है …………सतरंगी ख्याल
श्रद्धा हर रिश्ते से ऊपर अनकहे भाव की तरह
ऐसा इंद्रधनुष्य टूटता नहीं कभी
सूरज हो न हो
बारिश की भी नहीं परवाह
आँखे बंद हों या खुली
इंद्रधनुष्य होता है
आँखों के सामने हमेशा
Read Comments