vatsalya
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तुम आज भी मेरे साथ हो समय के चक्रव्यूह से ग्रस्त होकर हम चले आये
अश्रुरित आँखों और स्मृतियों के साथ,क्या कभी भूल पायेंगें बीते कल को,उसकी यादों को
भावनाओं का पहनावा पहनकर दिखावा मैं कभी नहीं करूगीं
ना ही तुम्हें भूलने का निरर्थक प्रयास करूँगीं जो संभव नहीं
कुंठित मन के साथ ह्रदय की समस्त कामनाओं का दमन कर लूगीं
ताकि तुम निंदा से बच सको लेकिन तुमसे दूर जाने के बाद अश्रु गिरने लगे एकांत में
रोक लूगीं इन्हें तुमसे वादा नहीं कर सकती
क्योकि मेरा अतीत भविष्य बनकर आयेगा सामने जब
शेष स्मृतियाँ लिए हर पल दूर से विचारों के मंथन से
आकाश के चित्र पर छवि बार-बार बनेगी तुम्हारी
कई रूपों में एक साथ अपलक नयनों से निहारती
रहूंगी हर बार संतुष्टि को ह्रदय में लिए हमेशा
“तुम आज भी मेरे साथ हो”
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