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दीदी माँ जी एक से मुलाकात

vatsalya
vatsalya
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आज दीदी माँ जी से मुलाकात हो गई,
मानों कुदरत की एक सौगात मिल गई /
उस अपूर्व रूप को निहारती मैं रह गई,
उस पावन गंगा को मैं नमन करती रह गई/
वात्सल्यमयी दीदी माँ प्यार के पुष्प बरसाती है,
न जाने कैसा मीठा सा ममत्व दे जाती हैं/
नैनों की ज्योति तो दीपक से भी महान है,
उसी ज्योति से नेत्रों से नेत्रों में डाल देंती जान है/
ओज और तेज तो उनके दर्शन की निधि हैं,
और यही परम शक्ति पीठ की परिधि हैं/
ऐसा आकर्षण न कभी देखा न पाया,
तभी तो उनकी गाथा सारा जग गाता है/
वात्सल्य और ममत्व की एक मूर्ति महान है,
सारी दुनिया में बन गई वात्सल्य की मिसाल है/
यह मुलाकात तो मेर जीवन की सौगात है,
हमेशा स्मरण रहेगा यह मेरी पहली मुलाकात है/

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