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परम शक्ति पीठ का सेवा प्रकल्प वात्सल्य ग्राम जो किसंसार का सबसे अदभुत और अनूठा सेवा प्रकल्प है क्योकि यह वही केंद्र है जहा दो वंचित एक नयी स्रष्टि की रचना करते है/किसी देवकी द्वारा किसी मज़बूरी मेंत्यागा गया शिशु किसी यशोदा की गोद में पलकर न केवल अपने व्यक्तित्व को तइयार करता है वरन देश की मुख्य धारा में जुड़ कर राष्ट्र के नागरिक का कर्तव्य पालन के संस्कार को भी धारण करता है/ पूज्या दीदी माँ जी कहा करती है कि देश में रामराज्य कोई सरकारें नहीं ला सकती क्योकि सरकारीकाम असरकारी नहीं होता और असरकारी काम असर कारी होता है इसलिए देश में रामराज्य की इस्थापना संतों के द्वारा ही होगी/ रामराज्य कायम करने के लिए हमें अपनी उसी चिर पुरातन परंपरा की ओर लौटना होगा जहाँ भारत का ग्रामांचल अपने स्वाभाविक जीवनशेली को जीता रहा और इसके लिए जरुरत है हमें अपने आत्म विश्वाश को जगाने की/वात्सल्य ग्राम के गोमुख से प्रवाहित होने वाली वात्सल्य गंगा देश की उस अंतिम इकाई तक पहुचेगी जहाँ भारत की आत्मा बसती है/
वात्सल्य गंगा के माध्यम से पूज्या माँ भारती की लाडली,वत्सल्यामुर्ती दीदी माँ जी के आहवान पर हजारों युवा बेटियां अपने jivan को समर्पित करेगीं माँ भारती के श्री चरणों में और पूज्या दीदी माँ जी के पावन सान्निध्य में नवो माह का प्रशिक्षण प्राप्त करेगी जेसे माँ के गर्भ में शिशु नो माह में पूर्ण हो जन्मता है ठीक उसी प्रकार पूज्या दीदी माँ जी की साधना,वात्सल्य,राष्ट्र भक्ति के गर्भ गृह में नवो माह का प्रशिक्षण पाकर साध्वी माँ ग्रामांचल में रहेगी / इसी प्रशिक्षण के मध्य चालीस दिनों की मौन साधना परम पूज्या दीदी माँ जी के पावन सान्निध्य में हिमालय की गोद में करेगी /ग्रामांचल में वात्सल्य ग्राम आश्रम के माध्यम से गुरुकुल, सत्संग,स्वावलम केंद्र के साथ-साथ जल संरक्षण,पर्यावरण संरक्षण,हमारे गौरवशाली इतिहास और आनंदमयी वर्तमान की दिशा में सामूहिक और सार्थक प्रयास सहकारी उपक्रमों के माध्यम से किये जायगें और इनके चलते हम भारतीय रामराज्य को अनुभूत कर सम्रध्याशाली और गौरवमयी जीवन शेली को पा सकेगें/
पूज्या दीदी माँ जी के इस अनूठे और अदभुत परिकल्पना को आकार लेते हुए हम सब देख रहे है जिसका पूरा और भव्य स्वरुप दस-बारह वर्षों में निकलकर संसार के सामने ठीक वेसे ही आ जायेगा जेसे आज वात्सल्य ग्राम का स्वरुप है/आवश्कता है तो वो केवल इतनी कि व्यक्तित्व निर्माण और चरित्र निर्माण के इस राष्ट्र यघ में पूज्या दीदी माँ जी के इस आव्हान में बड-चढ़ कर आहूतिया डाले और अपनी आखों के सामने माँ भारती के वाय्ह्भाव्शाली स्वरुप का दर्शन कर माँ भारती के सपूत होने की तिर्पती पा सके /
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