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पूरा विश्व तैयार हो चुका हैं इस महासंग्राम को देखने के लिए
सभी देशों ने अपनी-अपनी कमर कस ली हैं | वैसे तो हर बार
के विश्वकप कि अपनी खास अलग अहमियत होती हैं,
अहमियत हो भी क्यों न ? आता है जो हर 4 साल बाद और
जिसका पूरी दुनिया बड़ी बेसर्बी से इंतजार जो करती हैं | जिसके
कारण सभी टीमों को अपनी ऐड़ी चोटी का जोर लगाना होता हैं
और विश्व विजेता बनने के उस सपने को साकार करना होता हैं|
विश्वकप कि जो अलग खासियत हैं वह है कि किसी भी टीम
को कमजोर नहीं कहा जा सकता हैं और न ही किसी को पहले
से विजेता बताया जा सकता हैं | इस बात का इतिहास गवाह हैं
कि जिस टीम को इस टुर्नामेंट में कमजोर कहा जाता था |
उसने बड़ी – बड़ी टीमों को इस महासंग्राम में से बाहर का रास्ता
दिखाया हैं | इस बार के महासंग्राम को शुरू होने में महज 4
दिन शेष बचें हैं, और सभी टीमों ने अपनी-अपनी तैयारी को
अंतिम रूप दे दिया हैं | पिछली बार की विश्व-विजेता भारतीय
टीम को इस बार एक नये रंग रूप और युवा जोश के साथ
मैदान में देखा जा सकता हैं| लेकिन अगर बात कि जाये हाल
ही की ऑस्ट्रेलिया में संपन्न हुई वन-डे और टेस्ट श्रंखला की तो
भारतीय टीम का प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा हैं , जिसके
कारण इस बार की भारतीय टीम पर विश्वकप जीतने की
उम्मीदों पर प्रश्न चिन्ह लगता हुआ नज़र आ रहा हैं| सवाल उठे
भी क्यों न ? क्योकि हाल में हुए अभ्यास मैच में जिस तरह
की हार भारतीय टीम को जो मिली हैं, उससे विश्वकप जीतने
की उम्मीद कम ही नज़र आती हैं | लेकिन अगर देखा जाये तो
इस बार की भारतीय टीम में वो जो क्षमता हैं जो कि इस
महासंग्राम को जीतने के लिए काफी लगाती हैं | भारतीय टीम
का प्रदर्शन सबसे ज्यादा ओपिनिंग जोड़ी पर निर्भर करेगा,
लेकिन इस समय ओपिनिंग जोड़ी ही सबसे ज्यादा चिंता का
विषय बना हुआ हैं | इसमें जो सबसे मुख्य हैं वो हैं रोहित शर्मा
की फिटनेस जोकि पिछले कुछ दिनों से ठीक नही हैं |
मध्यमक्रम को भी अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा और
बीच -बीच में एक दो बड़ी साझेदारी टीम को देनी होगी | दूसरी
तरफ बात करे तो गेंदबाजी की भी चिंताए कम नही हैं क्योकि
गेंदबाजों का लगातार चोटिल होना शुभ संकेत नही हैं और सभी
गेंदबाज युवा जोश से लबालब भरे हुए हैं यह एक अच्छी बात
नज़र आती हैं | लेकिन एक बड़ा सवाल जो बार-बार उठता हैं वो
हैं कि युवा जोश के साथ अगर अनुभव का तड़का लग जाता तो
क्या यह भारतीय टीम के लिए फायेदेमंद रहता ? सवाल
इसलिये बार- बार उठता हैं क्योकि जिस तरीके से टीम ने
पिछले 2 महीनों में खेल दिखाया हैं उससे तो कम से कम यही
लगता हुआ नज़र आ रहा हैं| लेकिन अब पूरा देश मुक्कदर के
सिकंदर और भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से बड़ी
ही उम्मीद लगाये बैठा हैं| अब देखना यह कि इस बार कि
भारतीय टीम कितना उम्मीदों पर खरा उतरती हैं ? इसका
जबाब तो भविष्य के गर्व में हैं |
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