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मादक पदार्थो का व्यवसाय और पुलिस की कार्यप्रणाली।

समय की पुकार
समय की पुकार
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पिछले दिनों प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने रेडियों कार्यक्रम ʺ मन की बातʺ में युवकों के नशे की ओर जाने पर दुख व्यक्त किया था। पता नहीं इस बात को नशेडी युवकों ने अपने मन पर लिया या नहीं। उनकी इस अपील के बाद ही मैं सोच रहा था कि प्रधान मंत्री जी की इस पीडा को जन जन तक पहुचाने का प्रयास करना चाहिए। जब इस समस्या पर गौर फरमाया तो मन यह कहने लगा कि आखिर युवक इस लत मे क्यों और कैसे फसते हैं और इनमें किसकी सहभागिता होती है‚ इस पर भी विचार किया जाना आवश्यक है।
अभी गत महीने ही बिहार की सरकार ने अपने प्रदेश में पूर्णतया नशाबंदी करने की घोषणा की। इसके पश्चात ही उनके ही दल के एक युवक ने जो उनकी ही पार्टी के एक नेत्री और विधायक का बेटा था ‚ने एक युवक की नशे की हालत मे गोली मार कर जान ले ली। और जब पुलिस ने विधायक के घर की तलाशी ली तो उनके घर से शराब की बोतले बरामद की गयी। आखिर यह कैसा नशाबंदी कि जिसकी सरकार नशाबंदी करे उसके ही आदेश को उसके ही दल के लोग धज्जियां उडा दे।
बात को ज्यादा धुमा फिरा कर कहने की अपेक्षा मैं अब सीधे सीधे अपने मूल उद्देयश्य की ओर आना चाहता हूं। बनारस जिले के बाबतपुर हवाई अड्डे के पास बाबतपुर रेलवे स्टेशन है और यह रेलवे स्टेशन मंगारी कस्बे में स्थित है। यह कसबा वैसे तो प्रधान मंत्री जी के संसदीय क्षेत्र मे नही आता लेकिन उनके जिले मे ही आता है। यहां गत महीने सायंकाल दो युवको के बीच कथित चाकू बाजी हो गयी। चह चाकू बाजी भी दो बिगडैल युवकों के बीच हुयी थी। एक नशेडी था तो दूसरा आधा नशेडी तो आधा बाल अपराधी था। कहा जाता है कि इन दोनो के बीच उस जगह विवाद पैदा हुआ जहां बीच बाजार खुलेआम नशीला पदार्थ जिसमें हिरोइन और गांजा की बिक्री होती है। उसी स्थान पर जब नशेडी ने नशा किया तो किसी बात को लेकर विवाद पैदा हुआ। और दोनो के बीच यह विवाद होते होते उस स्थान पर पहुंचा जहां दोनो का लगभग ʺएरिया ʺ कहा जाता है। विवाद इतना बढा कि एक रेडिमेड की दुकान में जब एक युवक भागा इस लिए कि वहां उसे सुरक्षा मिलेगी तो वहां दूसरे अपराधी ने कथित रूप से चाकू मार दिया। चाकू बाजी मे घायल युवक भी लगभग उसी किस्म का है। बाद मे पुलिस आती है और काफी लंबी जद्दोजहद के बीच तफतीश करती है। कुछ लोगों के खिलाफ बयान दिये जाते है। घायल युवक के सिर में चोट लगी बतायी गयी अब यह कैसे लगी यह तो जहां मारपीट हुयी वह बता सकता है या फिर वे दोनो युवक।
स्थानीय थाने के दारोगा जी उस स्थान पर पहुचते हैं जहां मारपीट हुयी थी। पहले तो दुकान दार ने किसी मारपीट की घटान से ही इनकार कर देता है लेकिन बाद मे पुलिस की धौंस से कुछ कबूल करता है यह भी पुलिस और उसके बीच की बात है। यहीं बगल में हमारे पास भी पुलिस आती है और हमने घटना के बारे में पूछती है। मैने सारा हाल बता दिया। साथ ही मैने यह भी कहा कि सारा खेल उसी हिरोइन बिक्रेता के यहां होता है उससे क्यों नहीं पूछा जाता तो पुलिस की भृग्रुटी टेडी होती है लेकिन वह उस दिन की घटना को अपनी नाकामयाबी या भ्रष्टाचारी प्रवृत्ति का परिणाम जानकर मन मसोस कर रह जाती है। लेकिन यह जानकर कि वास्तव में सारे घटना के पीछे कहीं न कहीं नशाखोरी का मामला ही है। कुछ नहीं करती।
अब आइये बताते हैं कि इसके पश्चात कुछ स्थानीय लोगो ने इस नशेबाजी के अड्डे और बिक्रेता के खिलाफ आवाज उठाते हैं और जिले के आला अधिकारियों के पास लिखित शिकायती पत्र भेंजते हैं कि इस प्रकार के अवैध धंधे पर राेक लगायी जाय। लेकिन कुूछ नहीं होता।
आज कल पिछले महीने से ई गवर्नेंस के तहत एक पोटल ʺजनसुनवाईʺ शुरू की गयी हैं जिसका ढिंंढोरा खूब पीटा जा रहा है । और कहां जा रहा है इस पोर्टल पर आनलाइन शिकायत की जाय तो उस पर कार्यवाही अवश्य होती है। क्येेांकि इसकी मानीटरिंग सीधे मुख्यमंत्री के यहां से होती हैं। एक नागरिक ने गत जून माह में एक शिकायत इसी विषय में इसी पोर्टल पर दर्ज करायी। इसके निस्तारण की नीयत तारीख 25 जून रखी गयी थी। इस प्रार्थना पत्र में कहा गया था कि उसने कई प्रार्थना पत्र इस विषय में जिले एवं प्रदेश की आला प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियेां के पास रजिर्स्टर्ड डाक से एवं व्यक्तिगत रूप से तहसील दिवस पर दी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुयी। इसके पश्चात क्षेत्रीय दारोगा शिकायतकर्ता के पास 25 जून को पहुचते हैं और उसे कहते हैं कि थाने साहब ने बुलाया है। यह बात समझ में नहीं आती कि शिकायत कर्ता को थाने बुलाने का क्या मतलब हैं । क्या उसने प्रार्थनापत्र देकर कोई अपराध किया है जो उसे सबूत देने के लिए थाने बुलाया जाता है। वास्तव में उसे थाने बुलाकर हडकाने का मन पुलिस ने बनाया था। एसा इस लिए कि हजारेां रूपये की कमाई जो इस धंधेबाज द्वारा पुलिस करती है उसपर प्रार्थनापत्र देने वाले ने सीधे अटैक किया था। शिकायत कर्ता थाने नहीं जाता ओर पुलिस अपनी रिपोर्ट पोर्टल पर लगा देती है कि ʺतलाशी ली गयी कोई मादक पदार्थ बरामद नही हुआ।ʺ। यही रिपोर्ट पोर्टल पर जारी हो गया औार मादक पदार्थ का धंधा करने वाला क्लिनचिट पा गया ओर प्रार्थनापत्र देने वाला झूठा साबित हो गय।
अगर इसी प्रकार की रिपोर्ट इस पोर्टल पर लगती रही तो पोर्टल की विश्वसनीयता कितनी होगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
एक बात जो सीधी सीधी है कि आखिर जिस चीज को पूरा समाज ओर क्षेत्र के लोग देख सुन ओर जान रहे हैं उसे स्थानीय पुलिस को क्याें नहीं दिखायी दे रहा है। जिस आदमी के द्वारा हिरोइन की बिक्री की जा रही है। वह कुछ सालों पहले तक ढेला लगाता था ओर उसके पास रोज के भोजन की व्यवस्था करना भी कठिन था। अपनी पुश्तैनी मकान भी बेचना पडा था और किराये के मकान में रहता था। आखिर उसने इन दो तीन सालों में एसा कौन सा धंधा कर लिया जिसके चलते उसने अपने दो दो लडकियों की शादी की। पिछले महीनेां लगभग 15 लाख रूपये की बाजार मे जमीन लिखवायी ओर उस पर तुरत फूरत में एक आलीशान मकान भी बनवा लिया। इतना ही नहीं उसने अपने परिवार के सदस्यों और सग संबंधियों के नाम से लाखों रूपये डाकधरों और स्थानीय बैंकों में जमा कर रखे हे। जब कि वह आंखों से कथित रूप से अंधा है।
जीं हां इस अंधे ने अपने धंधे के माध्यम से पुलिस की मिलीभगत से क्षेत्र के युवकों को बिगाडने का खेल बखूबी अंजाम दे रखा है। गत महीनों इसी हिरोइन बाजी के चलते क्षेत्र के दो युवक अकाल ही काल के गाल में समा चुके है। फिर भी पुलिस की आंख नहीं खुल रही है। आये दिन बाजार और आसपास से साइकिलों की चोरियों दुकानों के ताले टूटने की घटनाएं और चाकूबाजी पत्थर बाजी हो रही है लेकिन पुलिस आंखपर गांधारी पट्टी बांध कर अपने ʺकर्तव्यʺ की इतिश्री मान कर बैठी हुयी है । शायद उसे चाकूबाजी से आगे जा कर किसी बमबाजी या इसी प्रकार की अन्य घटनाओं का इंतजार है।

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