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किसान की बेटी ने किया यूपी का नाम रोशन

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जब हौसला बुलंद हो और इरादा कुछ कर ग़ुजरने का तो सफलता आपके कदम चूमती है, इसका जीता जागता उदाहरण है 17 यूपी गल्र्स बटालियन की एनसीसी कैडेट अंकिता सिंह चैहान। उसने 63 वें गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के राजपथ में आयोजित परेड में यूपी का प्रतिनिधित्व कर शहर का नाम रोशन किया।
Ankita singh chauhan
मजबूत इरादों वाली अंकिता सिंह चैहान कहती हैं राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल द्वारा कहे गये ‘‘आप जैसे होनहार देश का भविष्य हैं, मैं समझ सकती हूं कि आपने यहां तक आने में कितनी मेहनत की होगी’’ शब्द रोज़ाना कानों में गूंजते हैं। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर वाला कप पुरस्कार में पाना एक सपने जैसा है।
वो कहती हैं एनसीसी कैडेट्स के सपनों में दिल्ली बसती है। हर कैडेट का सपना होता है कि वह गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल हो, ऐसे में यूपी गल्र्स के प्रतिनिधित्व करना वाकई एक सुखद अनुभव है। देश की राजधानी से लौटकर लखनऊ स्थित गवर्नर हाउस में किया डिनर उन्हें ताजि़न्दगी याद रहेगा।
एसएनसेन कालेज की प्राचार्या पी.एल. सेंगर अपने कालेज की छात्रा की उपलब्धि से फूले नहीं समातीं, इस बाबत वह कहती हैं ‘‘यह न केवल काॅलेज बल्कि पूरे शहर के गौरव की बात है कि कानपुर से चुनी गई एकमात्र लड़की ने यूपी गल्र्स टीम की कमान संभाली।’’
अपनी सफलता का श्रेय किसको देने के सवाल पर अंकिता ने बताया यह सब ग्रुप कमांडर कर्नल बी. कुमार अथक प्रयासों से सिद्ध हो सका। परिजनों का प्रोत्साहन भी काबिलेगौर था।
आर्मी आफीसर बनना है सपना
गणतंत्र दिवस की परेड के अनुभव को दिल से संजोये अंकिता आर्मी आॅफीसर बनकर देश सेवा करना चाहती हैं। बिठूर विधानसभा के छतेरुआ गांव निवासी किसान पिता दिग्विजय सिंह अब अपनी बिटिया को अफसर बनाने में कोई कसर नहीं छोडना चाहते। मां उपदेश सिंह कहती है ‘‘ बिटिया ने उम्मीद से ज्यादा नाम रोशन किया है, अब गांव में लोग मुझसे नहीं मेरी बिटिया से मिलने आते हैं।’’
नहीं था आसान
ग्रामीण अंचल से ताल्लुक रखने वाली अंकिता के लिए यह सब आसान नहीं था। लखनऊ में सेलेक्शन होने के बाद 11 ग्रुप थे और हर गु्रप में 55 कैडेट्स। जबकि महज़ 108 एनसीसीएन्स का सेलेक्शन होना था। घर वाले बमुश्किल लखनऊ भेजने को तैयार हुए थे, ऐसे में दिल्ली का टिकट मिलने के बाद भी राह मुश्किल थी। काफी मानमनौव्वल और लेफ्टिनेंट कर्नल ममता गौड़, नीतू गौड़ के समझाने के बाद परिजन राजी हुए।

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