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सफलता की बात

मेरी आवाज
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शिवेष सिंह राना
कहते हैं सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत, लगन के साथ उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ती है। इन्हें सफलता का सूत्र माना जा सकता है। अपने कर्तव्य और उद्देश्य के प्रति वफादार व्यक्ति किसी भी कीमत पर अपनी सफलता को ‘विशेषज्ञता’ में तब्दील करले का प्रयास करते हैं।
मैने कहीं सुना था अपने जीवन में सफल व्यक्ति को हमेशा ‘विशेषज्ञ’ के पास जाना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर हम चाहे जो हों यदि बीमार होते हैं तो अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने वाले डाॅक्टर के पास इलाज के लिए जाते हैं। घर, रिसोर्ट, माॅल इत्यादि बनवाना हो तो इंजीनियर के पास। क्योंकि इन्होंने न केवल सफलता पाई है बल्कि उस क्षेत्र में विशेषज्ञ बने।
कई लोग केवल रुपये कमाने को ही अपनी सफलता मानते हैं, ऐसे में उनका तर्क होता है ‘‘पहले पैसा फिर भगवान।’’ उनके मुताबिक यदि हम किसी मंदिर भी जाते हैं तो पहले प्रसाद-फूलमाला इत्यादि लेने में रुपये खर्च होते हैं। कहीं हद तक बात सही भी है, लेकिन हर सिक्के दो पहलू होते हैं।
आप खुद सोचकर देखिए क्या धन ही सारे सुखों का स्त्रोत है? किसी व्यक्ति के पास धन है, चैन नहीं या फिर अकूत संपत्ति होने के बावजूद उसका कोई अपना साथ नहीं है? तो क्या ये जीवन की सफलता है?
या यूं कह लें धन से सब कुछ नहीं खरीदा जा सकता। एक बात तो निश्चित है प्यार बिल्कुल भी नहीं। प्यार से तात्पर्य किसी व्यक्ति विशेष से नहीं अपितु प्यार के अलग-अलग मायने हैं। जैसे अपने परिजनों-सगे संबंधियों-मित्रों या किसी खास से लगाव।
एक वाक्य में खत्म करना हो तो मैं प्यार को एक-दूसरे को समझने तक ही सीमित रखूंगा। अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पण सफलता का सूत्र है। कड़ी मेहनत का दूसरा कोई विकल्प नहीं।
आज समाज लगातार बदल रहा है। बदलाव ही समाज का सूचक है। ये परिवर्तन ही तो है जा नित्यप्रति व्यक्ति को कुछ न कुछ नया देखने को मिलता है। ऐसे में पनप रही बुराइयों पर कैसे विजय पानी है? कैसे इन बुराइयों से पार पा एक अच्छे समाज को जीवन्त करना है। धरोहर में मिली अच्छाइयों को संजोकर रखना भी हमारी जिम्मेदारी है।
ऐसे ही हमारा देश भारत साने की चिडि़या नहीं कहलाता था। अपन देश की संस्कृति, सभ्यता और वैभव की आज भी कोई बराबरी नहीं कर सकता। सफलता असफलताओं से मिलती है। कोशिश करनी चाहिए अपनी खामियों को तलाशने की। जरूरत है न रुकने की, न थकने की, न डरने की।
मेरे इण्टर मीडिएट के शिवाजी इण्टर कालेज, केशव नगर कानपुर के प्रबंधक माननीय स्वर्गीय शिव कुमार सचान ’बाबा जी’ के अनमोल वचन ध्यान आ गए-
लक्ष्य न ओझल होने पाए, कदम मिलाकर चल
मंजिल तेरे पग चूमेगी, आज नहीं तो कल

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