- 11 Posts
- 1 Comment
पागल !
फटे पुराने, मैले कुचैले बदबूदार कपड़ों में,
न जाने कितने दिनों से न नहाया हुआ शख़्स,
दिख जाता है हम सब को, कभी रेलवे स्टेशन पर !
कभी फ्लाईओवर पर ! कभी सड़क के किनारे !
कभी कॉलेज या ऑफिस के सामने !
अपने आप में खोया हुआ,कुछ बुदबुदाते हुए,कभी खुद से हंसते हुए, कभी खुद से रोते हुए,कभी खुद को चाँटे मारते हुए, गाली देते हुए ! बेफ़िकरा, जिसे न तो दुनिया की फिक्र है और न ही ख़ुद की !
वो घूमता रहता है, वक़्त बेवक़्त हम समझदार दुनिया वालों की नासमझी को देखकर हँसने के लिए !
मैं दिलचस्पी रखता हूँ थोड़ा बहुत इन पागलों में ,क्यूंकि थोड़ा सा ही सही लेकिन पागलपन कुछ हद तक मुझमे भी है !
अभी ज्यादा वक़्त नहीं हुआ उससे मिले हुए,
एक लड़का जो मुझसे उम्र में थोड़ा बड़ा था,
शायद तीन चार साल बड़ा रहा होगा !
पहली बार मैंने उसे देखा था कॉलेज जाते वक्त, सुबह सुबह एक मंदिर के सामने बैठे फूल वाले को गाली देते हुए…!
मैंने उस वक़्त इग्नोर किया उसे !
शायद मुझे कुछ खास या कुछ मज़ेदार न दिखा उधर !
क्योंकि पागल का किसी को भी बेवजह गाली देना तो एक आम बात है …!
दूसरे दिन वो फिर से दिखा….वहीँ पर मंदिर के सामने….90’s का एक पुराना sad song गाते हुए…
गाना था “दिल तोड़ के हँसती हो” …शायद यही था ।
अच्छा गा लेता था वो….!
मुझे मजा आया और मैं सड़क के एक किनारे रुक के सुनने लगा, थोड़ी देर बाद वह सिंगिंग बंद करके फिर से फूल वाले के पास गया और उससे एक गुलाब का फूल माँगा यह कहते हुए कि “फ्लाई ओवर पर आज उसकी जिंदगी उससे मिलने वाली है….
और वह अपनी जिंदगी से मोहब्बत का इज़हार करना चाहता है एक गुलाब के फूल के साथ !”
दुकानदार ने मना कर दिया ।
और पास में पड़ी छड़ी उठाकर उसे गाली देते हुए भगा दिया !
उस लड़के ने कल की तरह फिर से फूल के दुकानदार को गाली देना शुरू किया ।
मैटर मुझे इंटरेस्टिंग लगा….!
मज़ेदार मामला था और कहानी भी मजेदार थी !
लेकिन उधर लेक्चर के लिए लेट हुआ जा रहा था इसलिए मैं रुक न पाया और चल दिया वहाँ से ।
अगले दिन संडे था….और मैँने आज ही decide कर लिया था कि यह कहानी तो मैं जानकर रहूँगा ।
संडे को जनरली मेरा उठना लेट होता है,
कभी 9:30 बजे तो कभी 10 बजे !
लेकिन उस संडे को मैं सुबह जल्दी जग गया था,
फटाफट नहाया धोया, और फिर जेब में पचास रुपये रख कर बिना नाश्ता किये घर से निकल पड़ा !
मम्मी को डाउट हुआ,
कि ये भुक्खड़ जो बिना भूख के भी खाता रहता है,
वो आज बिना नाश्ता किये इतने सबेरे सबेरे कहाँ जा रहा है ?
उन्होंने पूछा मुझसे तो मैंने उनको कहा,
मम्मी मंदिर जा रहा हूँ,वहाँ से आने के बाद नाश्ता कर लूँगा ।
“बेटा, तू और मंदिर ?”
मम्मी ने चौंकते हुए कहा ।
मैंने उनको किसी तरह बहाना बनाया और फिर निकल पड़ा मंदिर की तरफ ।
मंदिर पहुँच कर देखा,
“आज अभी वो पागल नही आया था”
मैं फूल वाले के पास गया और उससे पूँछा,
“अंकल ये गुलाब का फूल कितने का दिया ?”
“35 रुपये ”
उधर से जवाब मिला ।
ये लो 35 रुपये और अभी वो पागल आएगा न,
वो जो गुलाब का फूल माँगता है रोज !
उसको एक अच्छा सा गुलाब का फूल दे देना !”
मैंने फूल वाले को पैतीस रुपये देते हुए कहा ।
फूल वाला मेरी तरफ ऐसे देखने लगा, मानों मैं भी पागल ही हूँ ।
लेकिन उसे अपनी कमाई करनी थी इसलिए कुछ न बोलते हुए उसने वो पैसे जेब में रख लिए।
मैं मंदिर के पास में ही खड़ा होकर उस पागल का इंतज़ार करने लगा।
थोड़ी देर बाद वह आया,
वही पुराना गाना गाते हुए, झूमते हुए !
और फिर फूल वाले के पास गया और कहने लगा,
“यार आज तू मना मत करना,क्यूंकि अगर आज मैं उससे नहीं मिला न, तो वो वापस लौट कर न आएगी।”
फूल वाले ने मुस्कुराते हुए उसे एक गुलाब का फूल पकड़ा दिया ।
वो फूल हाथ में लेते ही तेज़ी से फ्लाईओवर की तरफ़ भागा, और जब तक कि मैं उसका पीछा करता वो मेरी नज़रों से ओझल हो गया।
तभी मेरा फोन बजा, पापा का फोन था, उन्होंने घर पर बुला लिया किसी अर्जेंट काम का हवाला देते हुए ।
मैं मन ही मन झुँझलाता हुआ, वहाँ से वापस लौट आया।
पूरा दिन पापा के बताए काम में लगा रहा, सो उस पागल की बात भूल गया ।
अगले दिन सुबह कॉलेज के लिए निकला, तो मंदिर के पास से गुजरते हुए मैं रुक गया, आज वह लड़का नहीं दिख रहा था वहाँ पर …..!
थोड़ी देर तक मैं देखता रहा वहाँ पर, फिर जब वो न दिखा तो मैं वहाँ से चल दिया।
कॉलेज पहुँचा तो देखा फर्स्ट लेक्चर फ्री था,
मैम आयी नहीं थी ।
मैंने मोबाइल निकाला, तो देखा वाट्सअप पर कई सारे मैसेजेस आए हुए थे, मैंने कल से वाट्सअप के एक भी मैसेजेस नहीं देखे थे ।
एक ग्रुप ओपेन किया तो उसमें लिखा था,
“कल एक लड़के ने फ्लाई ओवर से कूदकर ख़ुदकुशी कर ली,पुलिस को उसके जेब से एक पेपर मिला है, आसपास के लोगों के मुताबिक वह लड़का
पागल था।”
और फिर उसके नीचे दो फोटोज़ दिए हुए थे,
मैंने फर्स्ट पिक डाऊनलोड किया तो सन्न रह गया,
फ़ोटो में वही पागल लड़का था खून से लथपथ !
मैंने जल्दी से दूसरा पिक download किया तो उसमें वही लेटर था जो पुलिस को उसके जेब से मिला था ।
वह लेटर भी खून से भीगा हुआ था,
जो कुछ मैंने पढ़ पाया उसमें पहली लाइन में लिखा था,
” डिअर तुम्हें मैं अपनी जिंदगी मान चुका था”
और फिर आखिरी लाइन में जैसे कि वह रोज पुराने गाने गुनगुनाया करता था, 90’s के एक पुराने गाने की दो लाइनें लिखी हुई थी,
” दिल के अरमां आँसुओं में बह गए,
हम वफ़ा करके भी तन्हा रह गए !”
ई
मैं पूरा पसीना पसीना हो गया था,
हाथ काँप रहे थे मेरे….!
न जानें क्यूँ ….?
उसके मौत का जिम्मेदार कहीँ मैं तो नहीं….?
Read Comments