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ज्यादातर स्कूलों के लड़के ट्यूशन उन्हीं मास्टर से करते हैं, जो उन्हें ट्यूशन लगाने के बाद क्लास में सवाल पूछना, मुर्गा बनाना, कान पकड़कर उठा बैठक करवाना आदि दण्डों से मुक्त कर सकें। मल्लब कि अगर एक साधारण बच्चा आठ डंडा मारा जाये, तो माट साब से ट्यूशन करने वाले बच्चे को सिर्फ दो या तीन डंडे पड़ें। कुल मिलाकर बहुत सारे माट साब भेदभाव करते हैं।
हमारे अंग्रेजी के साहेब (श्री शीतला प्रसाद मिश्र) भी भेदभाव करते थे, लेकिन उनका “भेदभाव” थोड़ा अलग टाइप का होता था। अंग्रेजी के ट्यूशन वाले साहेब ही तीन साल तक मेरे क्लास टीचर रहे, छठी, सातवीं और आठवीं में। सर जब स्कूल में जब हमें “पास्ट परफेक्ट कान्टिनिअस टेंस” पढ़ा रहे थे, उस समय तक ट्यूशन में वो हमे एक्टिव-पैसिव वायस पढ़ा चुके थे।
एक दिन सर क्लास में सबसे सवाल पूछने लगे… “मेरे स्टेशन पर आने से पहले गाड़ी जा चुकी थी।” इसका अनुवाद बताओ? “मेरे वहाँ पहुँचने से पहले सीता खाना खा चुकी थी।”
अब इन सब सवालों का जो भी गलत जवाब दे रहा था, उसके ऊपर आंवले की ताजी ताजी तोड़ी गयी एक-एक छड़ी टूट रही थी। कितना भी बहादुर कोई क्यूँ न हो, वो रो ही देता था। सबकी यह अवस्था देखकर मैं मन ही मन प्रसन्न हो रहा था। मैंने सोचा था कि “पास्ट परफेक्ट कान्टिनिअस टेंस ” हमें अच्छे से आता है इसलिए मैं बच जाऊंगा।
आखिरकार मेरा नम्बर भी आया मैं मुस्कुराते हुए उठा और सर के सवाल की प्रतीक्षा करने लगा। सर ने मेरी उत्सुकता देखी तो हँसते हुए सवाल पूछा… I have done my homework before she came to my home.। इसका पैसिव वायस (Passive Voice) बताओ? मुझे काटो तो खून नहीं, मैंने Past Perfect Cont. Tense की तैयारी की थी और सवाल मुझे मिला Active Voice to Passive Voice का।
अचानक से इस तरह का सवाल अपेक्षित नहीं था, इसलिए मैंने साहेब से पूछा, “साहेब लेकिन और सब से तो PPC tense का वाक्य पूछे थे आप, हमसे Active – Passive काहें?”
“इन सबको मैने सिर्फ P.P.C.tense पढ़ाया है, इसलिए इनसे उससे रिलेटेड वाक्य पूछा और तुमको मैने Active – Passive तक पढ़ाया है, तो तुमसे उससे रिलेटेड सवाल।” साहेब ने अपने हाथ की छड़ी को बेंच पर पटकते हुए कहा।
“लेकिन, सर…” इसके आगे मेरे कुछ कहने से पहले ही सर कहने लगे…
“अगर पता है तो बताओ नहीं तो मार खाने के लिए रेडी हो जाओ।”
“सर एक्टिव-पैसिव अभी तो याद नहीं आ रहा है, PPC tense का वाक्य पूछ लीजिए न, वो हमको आता है।”
हमने गिड़गिडाते हुए कहा। लेकिन सर ने आगे बिना कुछ सुने ही मुझ पर अपना अस्त्र छोड़ दिया। सबको सिर्फ हथेली पर चोट लगी थी, लेकिन मेरा पूरा शरीर छड़ी से बींध दिया गया था। दो छड़ी अकेले मुझ पर टूटी थी।
“हय रे मम्मी…, हय रे पापा…, सर जी रहय देव…, आगे से याद रही…, सर जी अब न मारो…”
जितनी देर तक छड़ी मुझ पर टूटती रही, उतनी देर तक मैं यही सब चिल्लाता रहा। जब मारपीट कर मामला खत्म हुआ और सर जाकर अपनी कुर्सी पर बैठे, तो मैं रोते हुए धीरे से बुदबुदाने लगा….
“सरऊ, यही से तुमसे कौनो ट्यूशन नहीं करता, सब साहेब लोग ट्यूशन करने पर मारना और सवाल पूछना बंद कर देते हैं और तुम ट्यूशन करने पर और ज्यादा कूटते हो।”
खैर शाम को जब साहेब जी ट्यूशन पढ़ाने आए, तो बाकी लोग पढ़ रहे थे और मैं सुबक रहा था। सर को भी पता था कि मेरे रोने की वजह क्या है। उन्होंने मुझे बुलाया और कहने लगे….
“बेटा, गिलास में ज्यादा पानी आता है कि घड़े में?”
“घड़े में” मैं अब भी रो रहा था।
तो तुमको घड़ा बनना चाहिए, तुम्हारी क्षमता और तुम्हारा ज्ञान अधिक होना चाहिए, क्योंकि मैंने तुमको बाकी सब लोगों से अधिक पढ़ाया है, जो चीज बाकी लोगों को एक बार पढ़ाई जाती है, सिर्फ क्लास में, उस चीज को तुम ट्यूशन और क्लास दोनों मिलाकर दो बार पढ़ते हो। मुझे तुमसे आशा थी कि तुम हर वो चीज बता सकोगे जो मैंने तुम्हें सिखाया है, लेकिन तुम मेरी उम्मीदों पर खरा न उतर सके, इसलिए मुझे गुस्सा आया और तुमको ज्यादा पीट दिया। अब रोओ मत… आगे से ध्यान रखना, जो पढ़ाऊँ वो तुम्हें याद रहना चाहिए, नहीं तो अगली बार दो की जगह तीन छड़ियां टूटेंगी।”
उस वक्त तो मैंने सिर्फ अन्तिम पंक्ति या यूँ कहूँ कि साहेब की चेतावनी “आगे से ध्यान… छड़ियाँ टूटेंगी।” समझी थी, बाकी सारी बातें दिमाग से ऊपर गयी थीं। लेकिन आज मैं समझ पा रहा हूँ, साहेब की उन बातों को और उन बातों की महत्ता को।
उस दिन से as a language/ as a grammar अंग्रेजी कभी भी मेरी समस्या न बनी। ऐसे अध्यापक अगर आपको मिले हैं, तो आपको ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए। और हाँ, एक मजे की बात यह है कि हमारे अंग्रेजी वाले साहेब हमें अनिवार्य संस्कृत भी पढ़ाते थे, जब कभी उनका मन करता था, वो श्लोकों का सुरमयी गायन भी किया करते थे।
काफी वक्त हो गया था साहेब से मिले हुए। अबकी बार गाँव गया तो उनसे मिला था, शीतला साहेब आज भी पढ़ाते हैं, अंग्रेजी भी और संस्कृत भी।
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