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”जीवन माधुर्य ” (valentine contest)

Apni Bat
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ये मधुर वेदना, मधुर कल्पना, मधुर सर्जनाएँ तेरी
आलोकित करती हैं जीवन को मधुर कल्पनाये तेरी |
आ जाओ मेरे जीवन धन मैं नित नूतन श्रृंगार करू
छलका कर अमृत का प्याला , तुझ पर निज जीवन वार करू |
तू मुझमे हरदम रहता है , रस गंध सरस सा मिलता है
इस प्यासे जीवन मे अब तू अमृत अमृत सा घुलता है |
ये मधुर याचना, मधुर सी रचना, मधुर अर्चनाएं तेरी
आलोकित करती हैं जीवन को मधुर कल्पनायें तेरी |
जीवन क्षण डगर बढाता है , रागों सा बहता जाता है
कुछ अनसूझी , कुछ अनकही बातों सा बहता जाता है
इन अनबोली बातों में तू क्षण क्षण माधुर्य बढ़ाता है|
ये मधुर प्यास, ये मधुर आस, ये मधुर सी उपमाएं तेरी
आलोकित करती हैं जीवन को मधुर कल्पनाएँ तेरी |
कुछ गीत नया, संगीत नया, ये नवल सी प्रतिमाएं तेरी
आलोकित करती हैं जीवन को मधुर कल्पनाएँ तेरी |

शुभा दिवेदी
असिस्टेंट प्रोफेसर
जैव प्रोद्योगिकी विभाग
एस. डी. कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी
मुज़फ्फरनगर, यू. पी.

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