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अन्ना जी तुम मूंछ बढाओ पूछ बढाओ

Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
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रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई हमारे सभी प्रिय मित्रों को .

.प्रभु से प्रार्थना है कि ये भाई बहन का पर्व यों ही सदा सदा के लिए अमर रहे प्रेम उमड़ता रहे और बहनों की सुरक्षा के लिए हम सब के मन में जोश द्विगुणित होता रहे …

आइये बहनों को सदा खुश रखें हंसे हंसाएं प्रेम बरसायें …तो आनंद और आये …

जय श्री राधे

आप सब का ‘भ्रमर’५

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अन्ना जी तुम मूंछ बढाओ पूछ बढाओ
अगर न ऐ सी पंखे लगते
बड़े बड़े कुछ तम्बू लाओ बम्बू ला के
‘तेल’ पिला दो ‘ताकतवर’ आंधी तूफाँ जो झेल सकें
चमड़ी जिनकी जली पड़ी है एँड़ी जिनकी फटी पड़ी है
बारिस धूप में भिगा जला ना और सताओ मेरे भाई
दो रोटी को बहा पसीना उलझा कोई आँखें रोयीं
चाटुकार चमचे कुछ पीछे उनके घूम रहे हैं
चिकेन न दारु विरियानी जो दे पाओ तो
बड़े बड़े कुछ देग मंगाओ जंतर ‘मंतर’ मारे अन्ना
जादूगर सा डाल हाथ तुम भूख मिटाओ
नहीं हार-ना -ना दहेज़ ही तुम दे पाओगे
‘खिचड़ी’ खिला -खिला के प्यारे चलो दुलारो
पाँव पे गिर गिर उन्हें मनाओ भीड़ बढाओ
मूंछ बढाओ लम्बी-लम्बी पूछ बढाओ
सौ -सौ जन जब लटकें -ऐंठे–रूतबा पाओ
चले वानरी सेना पीछे भालू बंदर साथ
इसे उखाड़ो -उसे गिराओ कर सब सत्यानाश
तभी तुम्हारी ‘पूछ’ बढ़ेगी ‘तेल’ लिए सब आ जायेगे
महल तभी सब नंगे होंगे ‘जल’-जल अंतर पहचानेगे
गाँव शहर जा ‘फूट’ करा के ‘नेता’ बन छा जाओ
जय -जयकार करा लो अन्ना उनको गले मिलाओ
हर स्कूल या कालेज में जा अन्ना ‘टोपी’ बाँटो
राजनीति ‘चाणक्य’ सिखा दो ‘नेता’ अपने छांटो
कुछ वैकेन्सी चलो निकालो करो ‘हवाला’ ला लो
दुर्योधन धृतराष्ट्र वहां हैं मामा शकुनी बैठे
युधिष्ठिर ‘एक’ भीम करें क्या ‘जुए’ के खेल से निकलो
ये कल-युग है नहीं कृष्ण हैं चीर हरण करवा-ना !
कहें ‘भ्रमर’ अन्ना भगवन हे ! तीन नेत्र ले मूछ बढ़ा लो
पूछ बढ़ा लो ‘शक्ति’ समझो – दुर्गा -चंडी भी लाना !!
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(फोटो साभार गूगल / नेट से लिया गया )

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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल ‘भ्रमर ‘५
कुल्लू यच पी
६.४०-७.३५ पूर्वाह्न
27.07.2012

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