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” निमंत्रण”-Bhramar-Kavita- hindi poems

Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
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” निमंत्रण”

अरबों साल का है ये तारा
पृथ्वी – गोल – चपटा ब्रह्माण्ड ,
सूरज से कितने सूरज हैं
किसने , ‘क्लोन’ बना डाला,

कहें ‘भ्रमर’- जादूगर आओ,
धरती पर – कुछ क्लोन बनाओ,
रोटी – कपडे और मकान का
भूखे नंगे बेघर को दो .

नदी दूध की – स्वर्ग वही हो,
‘कल्पतरु’ और ऋषि मुनियों की ,
‘शांति’ ख़ुशी संस्कृति का-
अपनी – क्लोन बना डालो.

पेट भरेगा – रीढ़ हो सीधी
‘मस्तक’ अपना ऊँचा होगा
‘चाँद’ सितारे सोच तभी
फिर नयी ‘चेतना’
इस बंजर में – ‘जड़’ थामेगी.

सुरेंद्रशुक्लाभ्रमर
१९.२.११ जल पी.बी
६.१६ पूर्वाह्न .

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