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नैन चढ़ी काली-काली ये

Bhramar ka 'Dard' aur 'Darpan'
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नैन चढ़ी काली-काली ये
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मंत्री जी क़ी नयी नवेली

भैंस बड़ी अलबेली

ऐसी डुबकी मारी भैया

बन गयी अजब पहेली

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घन-घन घंटी बजी रात भर

पुलिस महकमा जाग

होमगार्ड संतरी सेक्रेटरी

एस पी डी एस पी सब भागा

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काला अक्षर भैंस बराबर

काला ही मन भाये

काला कोयला काले धन में

मन जोगी रम जाए

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नैन चढ़ी काली-काली ये

भैंस खोज शुभ लाये

दूध धन्य नेतागिरी में

हुयी वरक्कत नजर नहीं लग पाये

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मंदिर-मस्जिद पूजा -मन्नत

भैंस जल्द मिल जाए

नहीं नौकरी कितनी मुश्किल

गयी ! जेल हो जाए

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आसू सांई नारायण सी भैंसी

गुप्त गुफा पगुराये

ड्राई फ्रूट चबाया जो था

वही हजम हो जाए

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चारा कोई और खा गया

क्या चरने को आये

ए.सी. कूलर हीटर ऊटर

भैंस के मन ना भाये

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काली-काली गाय भैंस सब

हांक -पकड़ कर लाये

कौन गाय हैं भैंस कौन है

अब ये समझ ना आये

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ज्ञानी -ध्यानी कुछ विज्ञानी

टेस्ट परख आजमाए

चुप्पी साधे ‘थी’ मंत्री क़ी

बाकी पशु चिल्लाये

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देशी को है कौन पूछता

ये तो कोई विदेशी होगी

सारा अमला पूछ सरीखा

पीछे-पीछे सदा घूमता

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अब लो दूध पियो हे राजा

बने रहो मुश्तंद

पहलवान के दल में जैम के

कुश्ती दांव दिखाओ रंग

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भूखी -प्यासी जनता बच्चे

दूध -दरश ना पाएं

अंधे-बूढ़े-रोगी जल्दी

सदा पटखनी खाएं

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बलशाली हो चुन के राजा

वे भूखे ही लाएं

जिसकी लाठी भैंस उसी क़ी

कालिदास दे जाएँ

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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

७.४०-८.२० पूर्वाह्न

करतारपुर पंजाब

१६.०२.२०१४

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