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बिहार चनाव से सोनिया—राहुल को सबक

PAHLI NAZAR
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इस देश का दुर्भाग्य रहा जो नहरू वंस की छात्र छाया से मुक्त माहि हो पाया और सिर्फ यही वजह रही कि अमीरी गरीबी की खाई इतनी चौड़ी हुई आजादी के पहले से ही कांग्रेस की नीतिया पुजिपतो को लाभ पहुचने वाली थी नेहरु ने जो बोया उसी को आजतक देश भुगत रहा है मुस्लिम तुष्टिकरण का खेल बेस्हमी से आज भी जरी है.इसी तरह जातिवाद और को हवा दी आज नतीजा है कि मुस्लिम तुष्टिकरण भा,ज.पा. को छोड़ केर सभी राजनीतिक डालो की मजबूरी हो गयी नतीजा यह हुआ कि पिचले लोकसभा चुनाव में ओसामा-बिन-लादेन का हमशक्ल ले केर मंच से प्रचार किया कांग्रेस भी गठबंधन में शामिल थी और लालूओ-पस्वानो को मंत्री पद से नवाजा.इन्ही ली कृपा से मनमोहन सिंह भी देश के संसाधनों पैर पहला हक मुसलमानों का बताया.जहा तक बात बिहार चुनाव की है तो इसमें कांग्रेस के लिए सन्देश एकदम साफ है कि भोदू राहुल गाँधी जिन्हें दिग्विजि सिंह जोकर की तरह घुमा रहे है और सलमान खान–शाहरुख़ खान की तरह स्टंट की राजनीत चला क़र राहुल गाँधी की छवि प्रदुसक की तरह जनता समझ रही है माँ–बेटे को बिहार में लोग मुन्नी बदनाम हुई और झंडू बम हुई इसी प्रत्य्सा में जाते है और ये दोनों जनता का भरपूर मनोरंजन भी करते है.जैसे एक प्रदेश के लिए लिखा भासद दुसरे प्रदेश में पढना या डॉ.अम्बेडकर को कांग्रेसी तथा उन्ही लोगो के चलते संविधान बनाने का दायित्व सौपा जब कि यह स्थापित सत्य है कि डॉ,अम्बेडकर कभी कांग्रेस में नहीं रहे और उन्हें ये दायित्व नेहरू ने नहीं संविधान सभा ने चुना था.बिहार चुनाव में २६ सीटो पैर माँ–बेटे ने प्रचार किया और एक जगह सेसफ्लता मिली.जनता ने इनके इस बात को गंभीरता से लिया तथा सोनिया की बिहार की धीमे विकास दर पैर चिंता प्रगट की जब कि प्य्रे देश में गुजरात के बाद विकास में बिहार का ही number था.तथा ghamkand से kahana कि hamlogo ने बिहार को itana paisa diya lekin kayade से kharch नहीं हुआ जब कि जहा कांग्रेस की sarkar है we विकास में kaha है यह bhul गयी lekin बिहार की जनता unake bhulawe में इस लिए नहीं ayi कि देश में राजनीतिक jagrukata sabse adhik है सोनिया कांग्रेस के लिए sabse bada सबक यह है कि ager सोनिया tyagi और sanyasini है to9 देश hit में राहुल को peeche kare kuo कि janata इतनी तो paripakw हो गयी है कि aisa bahurupiya rup chalne वाला नहीं एक तरफ त्याग की मूर्ति और दूसरी तरफ अपने मुर्ख और anubhawhyeen बेटे को प्रधानमंत्री की कुर्सी का ख्वाब कौन सा त्याग है इसकी वास्तविकता भी जनता के सामने नंगे रूप में आ गयी है. भ्रष्टाचार तो कांग्रेस की रगों में दौड़ता है जितने बड़े घोटाले इनलोगों के कार्यकाल में हो रहे है वैसा तो कभी कल्पना में भी नहीं सोचा जा सकता अपने भ्रष्टाचार पैर लगाम लगाने में असफल बिलावजह आर.आर.एस. से सिम्मी की तुलना क़र के भी जनता की निगाह में परले दर्जे के मुर्ख साबित हो चुके है.राहुल गाँधी को बेमतलब घुमाने से अच्चा यह रहेगा कि पहले यहाँ के इतिहास भूगोल को समझे फिर राजनीत में सक्रीय हो नहीं तो उनकी हालत उत्तर प्रदेश के चुनाव के बाद धर्तिपकड़ और घोड़े वाले की हो जाएगी अब ख़ानदान का शासन जब आंध्र के जगान्मोहन रेड्डी नहीं मान रहे है जबकि कुल तीन प्रदेश में ही कांग्रेस की सर्कार है,उसमे भी लोग रुसैय्या को मुख्य मंत्री मानते ही नहीं.पिचले कार्यकाल में ५ साल में कुल तीन बार राहुल गाँधी ने संसद में बोला है,जिसमे कलावती प्रकरण लोगो को पता है बाकि राहुल जाने या भाषण लिखने वाले..अब khamosi से भी kam नहीं chalne वाला.बिहार के जनता ने dikha diya है कि अब जनता bhrasht netao से ub chuki kai अब we din lad gaye जब जनता को संप्रदाय और जातियो में बटने की राजनीत चलयि८ जाती थी और नेहरू वंस को सत्ता का स्वाभाविक दावेदार मन जाता था.१९१२ में उत्तर प्रदेश के चुनाव में वह अभी तप पीस पार्टी से ही पर पाना मुश्किल हो रहा है तो बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के साथ तो अभी मुकाबले में भी नहीं है.जो मुस्लमान समाजवादी पार्टी से विमुख हो क़र कांग्रेस की तरफ मुह क़र रहे थे वे फिर अपनी जगह वापस आ रहे है.लोकसभा में कांग्रेस खली मुलायम के नकारात्मक वोत्प से हुई थी न कि कांग्रेस को नीला था.अगेर कांग्रेस में यहि८ हल रहा तो भगदड़ कांग्रेस में भगदड़ मच जाएगी..

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