हज़ार टुकड़े
मेरे हुए रिश्तों
की जोड़ में
हर धागा
बिखर गया
रंग ये कैसा
सुर्ख हुआ
इस मोड़ में !!!
कुछ कच्चे धागे कुछ कच्चे थे मन कुछ रंग थे फीके कुछ बदले ढंग
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