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दिल से …….!

कुछ अनकही सी ............!
कुछ अनकही सी ............!
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न वो शाम आयी न तुम आए
फ़िज़ाओं ने खामोशियों के हैं गीत गुनगुनाएं
न जाने कहां वफ़ायें ले गयी हवाएं
ज़ख्मों के अम्बर पर सितारे  हैं झिलमिलाए

न वो शाम आयी न तुम आए

फ़िज़ाओं ने खामोशियों के हैं गीत गुनगुनाएं

न जाने कहां वफ़ायें ले गयी हवाएं

ज़ख्मों के अम्बर पर सितारे  हैं झिलमिलाए

न खुशियां हैं न हैं ग़मों के साये

कितनी यादों में तेरी सरगोशियों के खुशबु हैं बिखराये

न पलकों पर पलके आयें नींदें भी हैं पराये

ख्वाब ख्वाब झलक तेरी इंतज़ार की शम्मा जलाये

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