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आडवानी VS मोदी

Thinking Beyond Principles
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प्रणाम,

आज कल श्री लालकृष्ण आडवानी के विरुद्ध बोलने, लिखने, प्रचार करने वाले नौसिखियो कि टिड्डी झुण्ड जाने क्या क्या अनापशनाप लिख और बोल रही है.कदाचित उनको ये ज्ञात नही कि आडवानी जी ने जनशंघ ढांचे के पुनर्निर्माण में अद्वितीय भूमिका निभाई है.यदि आज का बहुसंख्यक गर्व से जी रहा है तो कारण आडवानी का लौहपुरुष होना है.


क्या आप जानते है कि वो आतंकवादियों के हिट-लिस्ट में सबसे ऊपर है, फिर भी आपके लिए रथ यात्रा कर रहे है.अयोध्या कांड के बाद कश्मीर घाटी में अलगाववादी प्रवृतियों के फैलने से विद्रोह कि आंधी के आने का अंदेशा वो भांप गए थे, तभी तो पाकिस्तान में २ शब्द जिन्ना के लिए बोले.




क्या आपने कभी सोचा है कि हर रैली, अनशन कि पूर्व शंध्या पर, रामदेव और रविशंकर जैसे राष्ट्रवादी लोग उनके आवास पर उनसे विचार विमर्श मंत्रणा क्यों करते है?


वो इतने सरल है कि अपनी सुरक्षा छोड़ कर लोगो के बीच घुस जाते है. अरे मिला हूँ इसलिए बोल रहा हूँ.बिना देखे, जाने, परखे किसी अद्वितीय महापुरुष कि झूठी निंदा का कारण मत बनिए.

भारतीय जनता पार्टी के जिन नामों को पूरी पार्टी को खड़ा करने और उसे राष्ट्रीय स्तर तक लाने का श्रेय जाता है उसमें सबसे आगे की पंक्ति का नाम है लालकृष्ण आडवाणी । लालकृष्ण आडवाणी कभी पार्टी के कर्णधार कहे गए, कभी लौह पुरुष और कभी पार्टी का असली चेहरा। कुल मिलाकर पार्टी के आजतक के इतिहास का अहम अध्याय हैं लालकृष्ण आडवाणी।




माना कि पिछले कुछ समय से अपनी मौलिकता खोते हुए नज़र आ रहे हैं। जिस आक्रामकता के लिए वो जाने जाते थे, उस छवि के ठीक वीपरीत आज वो समझौतावादी नज़र आते हैं । हिन्दुओं में नई चेतना का सूत्रपात करने वाले आडवाणी में लोग नब्बे के दशक का आडवाणी ढूंढ रहे हैं ।
आज मोदी से लेकर पार्टी तक यदि विकास का कारण आप ढूँढेंगे तो उन्हें ही पाएंगे.


___________आपका सुभेछु

अमरेश पाण्डेय सिद्धांत

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