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मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के विधानसभा क्रमांक ३ की भाजपा विधायक सुश्री उषा ठाकुर ने इंदौर के गरबा आयोजनों में मुस्लिम युवकों के आने पर पाबंदी की बात क्या की, पूरे देश में यह मामला चर्चित हो गया है| सौराष्ट्र प्रवास के दौरान विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने भी उषा ठाकुर के बयान से सहमति जताते हुए कहा कि नवरात्रि के दौरान गरबा उत्सव में मुस्लिम युवकों को आने से रोकने के लिए पहचान पत्र देखकर ही प्रवेश दें| तोगडिया इससे पहले लव जिहाद के मुद्दे को उठाकर देश में इस पर बहस छेड़ चुके हैं| उन्होंने हिन्दू लड़कियों को मुस्लिम लड़कों से सावधान रहने की सलाह भी दी थी| ताज़ा मामले में माना जा रहा है कि इससे लव जिहाद की बहस और तेज होगी| दरअसल हिन्दुत्ववादी छवि की सुश्री ठाकुर जिस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं वहां बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता हैं और विगत १५ वर्षों से कांग्रेस विधायक होने की वजह से हिन्दू त्योहारों में मुस्लिम युवकों की भागीदारी में खासी वृद्धि हुई है| नवरात्रि में होने वाले गरबा महोत्सवों में मुस्लिमों की अधिक संख्या में भागीदारी से पूर्व में विवादों की स्थिति निर्मित हुई है जिसके मद्देनज़र उन्होंने इस बार वाजिब सवाल उठाते हुए मुस्लिम युवकों की गरबा मंडलों में आमद को गलत ठहराया है कि जब नवरात्री में मां की आराधना शुद्ध रूप से हिन्दुओं का पर्व है तो उसमें मुस्लिम भागीदारी का क्या काम? ऐसा नहीं है कि सुश्री ठाकुर के बयान से मुस्लिम इत्तेफाक नहीं रखते हों| कई मुस्लिम धर्मगुरुओं ने सुश्री ठाकुर के बयान से सहमति जताते हुए कहा है कि इस्लाम किसी को भी दूसरे धर्म के आयोजनों में जाने की इजाजत नहीं देता है| मुस्लिम युवकों को खुद ही हिन्दुओं के त्योहारों से दूरी बनानी चाहिए| किन्तु जिस तरह से इस बात को हिन्दू-मुस्लिम वैमनस्यता के रंग में रंगा जा रहा है और मीडिया का एक तबका इसे भाजपा का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कहकर प्रचारित कर रहा है, वह घोर आपत्तिजनक है| यदि सेक्युलरवादियों को यह लगता है कि सुश्री ठाकुर और प्रवीण तोगड़िया किसी राजनीतिक मंशा के तहत मुस्लिम युवकों के गरबा मंडल में प्रवेश की मांग को अनुचित ठहरा रहे हैं तो वे ज़रा यह बताएं कि जिस अनुपात में मुस्लिम युवकों के झुंड के झुंड गरबा मंडलों में आते हैं, वे अपने घरों की महिलाओं की भागीदारी इन गरबा मंडलों में सुनिश्चित क्यों नहीं करते? दरअसल यह मामला राजनीति से ज़्यादा धर्म से जुड़ा है और कोई भी धार्मिक जागरुक नागरिक यह नहीं चाहेगा कि उसके धार्मिक आयोजनों में किसी और धर्म के समूह का अतिक्रमण हो?
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