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यह लेख ट्विटर द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया है ..
नीचे दिए गए लिंक पर आप देख सकते हैं.
https://twitter.com/sinsera1988/status/774296303635304448
आदरणीय प्रधानमंत्री महोदय,
सादर नमस्कार,
इस बारिश के मौसम में आज मैं अकेली हूँ , करो मुझसे जी भर के बातें….
सुना है तुम बहुत जिद्दी हो, मुझे भी अपनी जिद बना लो न….
आपके अकेलेपन को चाहिए मेरे जैसा सच्चा साथी….
बेक़रार करके हमें यूँ न जाइये, आपको हमारी कसम फोन मिलाइये ….
शहर के सब लोग मेरे दीवाने हैं लेकिन मैं तुम्हारी दीवानी हूँ……
समझती हूँ मैं आपके अरमान, एक बार फ़ोन तो करो न….
आज लोगे? ….चैट का मज़ा……
क्षमा चाहती हूँ, अन्यथा न लीजियेगा. लेकिन करोड़ों मोबाइल धारक भारतीय नागरिक आपसे यह पूछना चाहते हैं कि क्या आपके मोबाइल फोन पर भी इस तरह के मैसेज आते हैं??अगर नहीं तो क्यों…??
क्या संचार कम्पनियाँ आपको भारत का नागरिक नहीं मानतीं..? या फिर ये धंधा आपसे छुपा के चलाया जा रहा है.
आप तो जानते ही हैं कि भारत में लगभग 700 मिलियन मोबाइल धारक हैं. जिनमे आधे से ज्यादा कच्ची उम्र के नौजवान लड़के लड़कियां हैं.
आजकल की भागदौड़ भरी व्यस्त जीवनशैली के चलते माता -पिता अपनी व्यस्तताओं में बच्चों से जुड़े रहने के लिए उनको छोटी उम्र से ही मोबाइल फोन थमा देते हैं. ज़ाहिर सी बात है कि एक तो मोबाइल फोन यूँ भी अपने आकर्षक फ़ीचर्स के कारण बच्चों के खेल खिलौनों की जगह ले चुका है. और फिर सोने पे सुहागा कि जब मोबाइल में खुले आम इस तरह के चीप मैसेज दिन में बीस बार फ़्लैश होते रहते हैं तो नादान किशोर इन में लिखी हुई सस्ती बातों के कारण , अनजाने में ही अपनी उम्र से अधिक बातों को जान जाते हैं या जानने के लिए उत्सुक हो उठते हैं.
नतीजतन, कच्ची उम्र के बच्चों का मन,स्वस्थ बातों से हटने लगता है और वे पढने लिखने और खेल कूद की उम्र में छुप छुप कर सस्ती बातें ढूंढते है और स्वाभाविक विकास व प्रगति के स्थान पर हर क्षेत्र में अपनी रैंक से पिछड़ने लगते है.
इस तरह के मैसेज भेजने से आखिर संचार कंपनियों का क्या फायदा होता है??
दरअसल इसके पीछे, बिना कुछ किये कराये , पैसे बनाने की एक ज़बरदस्त घिनौनी परिकल्पना है.
सरकारी और गैर सरकारी स्मार्ट कार्यालयों और कॉल सेंटर्स में, जहाँ नागरिकों की सुविधा के लिए सभी प्रकार के सर्टिफिकेट्स, बिल पेमेंट, जानकारियां और सूचनाएं उपलब्ध हैं, उन्हीं कार्यालयों के एक छोटे से अँधेरे एकांत कमरे में तीन चार कंप्यूटर्स होते हैं जो बेसिक फोन से जुड़े रहते हैं.उन टेलीफोन्स पर पढ़ी लिखी लेकिन बेरोजगार ,मजबूर लड़कियां स्वेच्छा से इस प्रकार के मैसेजेस के जवाब में आयी उत्सुक कॉल्स में होने वाली सस्ती छिछली बातों का, उसी भाषा में बेहद दिलेरी से जवाब देती हैं. इस प्रकार की काल्स का रेट काफी ज्यादा यानि लगभग 5 रुपये प्रति मिनट होता है ,लेकिन कभी कभी इन पर अंतर्राष्ट्रीय कॉल्स की दरों के हिसाब से काफी अधिक पैसा बैलेंस में से कट जाता है जो संचार कंपनियों को जाता है . इन बेचारी लड़कियों को कभी कभी प्रति कॉल के परसेंटेज के हिसाब से या कभी कभी मासिक वेतन के हिसाब से मेहनताना दे दिया जाता है.
ये एक प्रकार की वर्चुअल वेश्यावृत्ति है जिसमे लड़कियों को शरीर की जगह नंगी बातें परोसनी होती हैं , वो भी इस तरह कि सुनने वाले को पूरा पूरा पैसा वसूल आनंद आ जाये.
पैसों की खातिर बेरोजगार लड़कियां ये काम करने को राज़ी भी हो जाती हैं क्यूंकि इसमें उन्हें शारीरिक रूप से कलंकित नहीं होना पड़ता है.बंद कमरे में होने वाली बातों की , कमरे से बाहर की दुनिया को हवा भी नहीं लगने पाती है, और सारा खेल भी संपन्न हो जाता है.
आदरणीय प्रधानमंत्री जी, ये किसका विकास हो रहा है..?क्या बेटियों का अस्तित्व केवल सस्ते फायदे उठाने के लिए ही है..??
भारत देश में कन्या पूजा ,शक्ति पूजा जैसे बड़े बड़े आदर्शवाद के ढोंग के पीछे छुपा हुआ ये कैसा स्त्री का सम्मान है…????
ये “बेटी बचाओ, बेटी पढाओ ” कार्यक्रम का अगला चरण तो नहीं लगता है. ऐसा नहीं लगता कि कोई भी पढ़ी लिखी सुसंस्कारी बेटी इस प्रकार से अपनी आत्मा को गिरवी रख कर कमाई गयी रोटी खा कर गौरवान्वित होती होगी.
दुःख की बात तो ये है कि ऐसे मैसेजेस भेजने में भारत सरकार के उपक्रम की कंपनी BSNL अग्रणी है.
इस पूरे खेल में , जहाँ एक ओर कॉल का उत्तर देने वाली लड़कियों की आत्मा का हनन होता है, वहीँ दूसरी ओर कॉलर की उत्तेजना उसे समाज में कुछ न कुछ घृणित कांड करने के लिए उकसाती भी है.
ज़ाहिर है कि कंपनियों के इस पैसा कमाऊ खेल में समाज का भला तो किसी भी ओर से नहीं है. तो फिर इस गंदे खिलवाड़ की छूट देने का क्या आधार है ये समझ में नहीं आता.
आपको इन बातों की जानकारी नहीं होगी, ये तो विश्वास से परे है. तो क्या इस लापरवाही के दुष्परिणाम से आप अनभिज्ञ हैं..??
क्या बेटियों को बचा कर और पढ़ा कर हमारे देश में उनके लिए ये प्लेटफार्म प्रस्तुत किया जा रहा है??
इससे भी बढ़ कर बेटियों के निरादर का एक और नमूना है. जिसके अंतर्गत मोबाइल पर हॉट बेब्स , अनसीन हॉट वीडियोज़ और नामी अभिनेत्रियों की न्यूड तस्वीरें डाउनलोड करने का आमंत्रण होता है. जिसमे खर्च होने वाला पैसा इन्टरनेट मुहैया करने वाली संचार कंपनी के खाते में जाता है..समय और चरित्र की बर्बादी इन्हें देखने वाले व्यक्ति की होती है और खामियाजा किसी मासूम निर्भया को भुगतना पड़ता है.
माननीय प्रधान मंत्री जी, यदि अभी तक आपका इस ओर ध्यान नहीं गया है तो अब समय आ गया है कि आप देश में चल रहे इस घृणित धंधे को बंद करने के लिए कोई कड़ा कदम उठायें.
चाहें तो हम लोग इसके खिलाफ धरना प्रदर्शन कर सकते हैं, चौराहों पर पुतला फूंक सकते हैं लेकिन इससे देश के कीमती संसाधनों की बर्बादी के सिवा कुछ हासिल नहीं होता है.
होगा तब, जब आपके संचार मंत्रालय द्वारा कंपनियों की आचार संहिता घोषित करते हुए कोई कड़ा कानून बनाया जायेगा.
आज बेटियां अपने मान सम्मान और हक के लिए बहुत बड़ी बड़ी लड़ाइयाँ लड़ रही हैं. ये भी एक मोर्चा है जिसे आपके सहयोग के बिना नहीं जीता जा सकता.
आपकी सकारात्मक कारवाई की प्रतीक्षा में…..
सम्प्रुभतासम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य भारत की बेटियां
…
visit…..
http://sinserasays.com/
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