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जनवरी और अगस्त साल के दो ऐसे महीने हैं, जिनमें लोगों की देशभक्ति बहुत ज़्यादा जाग जाती है। लोग अपने प्रोफाइल बदलने लगते हैं। हर जगह तिरंगा ही तिरंगा नज़र आता है।
ये सब देखने से लगता है कि हमारे देशवासी कितने देशभक्त हैं। किंतु लोग अपने कार्यक्रम के बाद तिरंगे को सम्भालकर रखने की जगह उसको वहीं छोड़ देते हैं। अगले ही दिन तिरंगे इधर-उधर गिरे हुए दिखायी देते हैं। लोगों को खुद पता नहीं होता कि देशभक्ति का मतलब सिर्फ तिरंगे के रंग को हर जगह दर्शाना नहीं है।
हम एक नागरिक होते हुए अपने समाज में क्या योगदान करते हैं, क्या किसी ने यह आकलन किया है? सही मायने में देशभक्ति यह है कि यदि समाज का हर व्यक्ति अपना कार्य या ज़िम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाये और दूसरे पर दोष न लगाये तो, देश और समाज की बहुत कुछ समस्याएँ दूर हो सकती हैं। यही हम सब के द्वारा देश की सेवा होगी।
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