Where have we lost the happiness?
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ढूंढा है मैंने उसको …जबसे हैं दिल जवान ये
अब उम्र हो चली है अब तक मिला नहीं है
गुलशन सजाके देखा …दामन भीगा के देखा
अरमां के परिंदे को ऊंचा उड़ा के देखा
ऊँचे उड़े बहुत जब क्या खूब था नज़ारा
देखा जो मुड़ के पीछे न था कोई हमारा
तन्हा थे हम वहां भी ..अफ़सोस बस यही है
जो ढूँढने चले थे मिलता वही नहीं हैं
मेरी ज़िन्दगी में सब है ,एक सुकून बस नहीं है!!
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