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अंतराष्ट्रीय न्यायालय में पाकिस्तान के सैन्य न्यायालय के निर्णय की किरकिरी

Vichar Manthan
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17 मई को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने पकिस्तान जेल में बंद कुलदीप जाधव की फांसी की सजा पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी अब सुनवाई अगस्त के महीने में होगी | पाक जेल में बंद भारतीय  नागरिक भारतीय नौसेना के रिटायर अधिकारी हैं रिटायर होने के बाद वह ईरान के चाबहार में व्यापार करते थे यहाँ से उन्हें आतंकी संगठन लश्कर ने गिरफ्तार कर पाकिस्तान को सौंप दिया लेकिन पाकिस्तान ने उनकी गिरफ्तारी ब्लूचिस्तान में दिखाई| सैन्य अदालत में भारत की तरफ से उन पर जासूसी करने का आरोप लगा कर फांसी की सजा सुनाई गयी | पाकिस्तानी अधिकारियों ने जासूस सिद्ध करने की कोशिश करते हुए कहा उन्हें पिछले वर्ष तीन मार्च को ब्लूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया सैन्य अदालत ने जासूसी के आरोप में 10 अप्रैल को फांसी की सजा सुनाई गयी । सजा के पक्ष में तर्क देते हुये साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में विदेश विभाग के प्रवक्ता नफीस जकरिया ने कहा पाकिस्तान ने चीन,फ़्रांस रूस अमेरिका और ब्रिटेन पी-5 के देशों और योरोपियन संघ को भारत द्वारा करवाई गयी जासूसी कांड की जानकारी दे दी है यही नहीं श्री जाधव को लेकर भारत के खिलाफ जम कर प्रोपगंडा करने की कोशिश भी की गयी |भारत की तरफ से पाकिस्तान की इस हरकत का निरंतर विरोध हो रहा है | श्री कुल भूषण जाधव भारत के पासपोर्ट होल्डर हैं कोई भी जासूसी कार्य में लिप्त व्यक्ति अपने स्वदेश का पास पोर्ट लेकर जासूसी करने क्यों जायेगा जबकि उसे ईरान से गिरफ्तार किया है? पाकिस्तान में कहने को मतदाताओं द्वारा चुनी गयी प्रधान मंत्री  नवाज की सरकार है सभी जानते हैं दुनिया को दिखाने के लिए पाकिस्तान में प्रजातांत्रिक व्यवस्था हैं इसलिए सरकार केवल मुखौटा है जिससे अमेरिका से मिलने वाली सहायता निरंतर चलती रहे वास्तविकता कुछ और है सत्ता पर सेना की मजबूत पकड़ हैं देश की आंतरिक एवं  विदेशी नीति का निर्धारण वही करती हैं यही नहीं जेहादी मानसिकता से ग्रस्त आतंकवादी गुट भी सक्रिय हैं|

भारत ने पाकिस्तान की सैन्य अदालत के इस फैसले के खिलाफ आठ मई को हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ( आईसीजे) में अपील की | अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र संघ का एक हिस्सा है इसका मुख्यालय हेग, नीदरलैंड में स्थित है। इसकी स्थापना 26 जून 1945 को सैन फ्रांसिस्को में स्वीकृत विधेयक के अनुरूप हुई थी, जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर का ही एक अभिन्न भाग है। सभी संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य इसका अनुमोदन करते हैं। इस न्यायालय का उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों द्वारा सामने रखे गये विवादों की सुनवाई एवं निपटारा करना है तथा सुरक्षा परिषद या महासभा द्वारा अधिकृत अन्य सहयोगी संगठन के अनुरोध करने पर किसी वैधानिक प्रश्न से संबंधित परामर्श उपलब्ध कराना है। संयुक्त राष्ट्र संघ के हर सदस्य देश अपने मामलों को सुरक्षा परिषद द्वारा तय की गयी शर्तों के अनुसार ही न्यायालय के समक्ष सुनवाई हेतु ला सकते हैं लेकिन किसी देश को विवादास्पद विवाद को न्यायालय के सामने रखने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता न ही अन्य देश निजी व्यक्ति को विवाद का पक्ष बना सकते हैं। हास्यास्पद हैं सपा के कार्य काल में ‘अख़लाक़ काण्ड’ जिसकी गाय की कथित कुर्बानी से नाराज जन समूह द्वारा पीट-पीट कर की गयी हत्या के दुखद मामले को सपा के मंत्री आजम खान अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में लाने की धमकी दे रहे थे |

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या 15 हैं |इनका कार्यकाल 9 वर्ष है एक-तिहाई स्थानों के लिए प्रति तीन वर्षों के बाद चुनाव होते हैं। न्यायाधीश अलग –अलग देशों से चुने जाते हैं लेकिन किसी भी राष्ट्र के दो न्यायाधीश नहीं हो सकते। अंर्तराष्ट्रीय न्यायालय में विश्व की प्रमुख न्यायिक व्यवस्थाओं का प्रतिनिधित्व होता है न्यायाधीश राजनीतिक या प्रशासनिक गतिविधियों में भाग नहीं ले सकते |सेवा की शर्तों का उल्लंघन करने पर न्यायाधीश को  उनके पद से हटाया जा सकता है |अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष होता है जिनका पद चुनाव द्वारा निर्धारित किया जाता है|

श्री जाधव को दी गयी फांसी की सजा के विरोध में 15 न्यायाधीशों की बेंच ने सुनवाई की जिनमें एक जज चीन का भी था |पाकिस्तानी वकील को 90 मिनट का समय फांसी के पक्ष में दलील देने के लिए दिया गया था | वह अपने साथ एक वीडियो लाये थे जिसे वह श्री यादव का कबूल नामा कहते थे लेकिन जजों ने इसे देखने से इंकार कर दिया उनके अनुसार यह फर्जी है किसी बेबस व्यक्ति को अमानवीय यातनायें देकर कुछ भी कहलवाया जा सकता है पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी इस काम में पारंगत हैं पहले भी कैद में फंसे सर्वजीत की न दाद फरियाद सुनी , बाद में जेल में हुए उपद्रव में कैदियों ने मार डाला और शव भारत को सौंप दिया था |

पौंड में मोटी फ़ीस लेने वाले पाकिस्तानी वकील अपनी बात को 30 मिनट तक ही रख सके उनके पास श्री जाधव के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं थे भारत के पक्ष की पैरवी 1 रूपये की फ़ीस पर श्री हरीश साल्वे जैसे वरिष्ठ महंगे वकील ने की | अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पत्र लिखकर कुलभूषण की मौत की सजा पर तुरंत रोक लगाने को कहा गया | पैरा-4 के अनुच्छेद 74 के तहत कुलभूषण की फांसी की सजा पर रोक लगा दी ।

भारत ने सजा का कड़ा विरोध करते हुए कहा था |पाकिस्तान ने वियना संधि का उल्लंघन करते हुए सैन्य अदालत में जाधव पर मुकदमा चलाया है 1961 में हुए वियाना समझौते के अनुसार स्वतंत्र देशों के बीच में राजनयिक सम्बन्धों के लिए नियम  बनाये गये हैं | जबकि श्री जाधव को वकील भी मुहैया नहीं कराया गया उन्हें उनके माता पिता  तक  से मिलने की इजाजत नहीं दी गयी न अपनी बात कहने का मौका दिया न भारत के राजनयिक को भी बार-बार अनुरोध करने पर भी मिलने का अवसर नहीं दिया पाकिस्तान ने वियना संधि की धारा 31 का उल्लंघन करते हुए श्री जाधव पर मामला चलाया था|

भारत में कुछ विचारक प्रश्न उठाते हैं क्या श्री जाधव ज़िंदा हैं या यातना देकर उन्हें मार डाला गया है ? ज़िंदा भीं हैं तो क्या भारत लौट सकेंगे पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के निर्णय का विरोध करता है विश्व में उसकी किरकिरी हुई है लेकिन अपना सम्मान बचाने के लिए अपनी सैन्य अदालत के निर्णय को सही ठहराता है |  |

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