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नरेंद्र मोदी जी ने दस आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्षों को भारत के 69 वें गणतन्त्र के समारोह में भारत आने के लिए निमंत्रित किया। आसियान अर्थात दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का समूह है| ऐसा माना जा रहा है उनका मुख्य उद्देश्य चीन के खिलाफ सभी आसियान देशों का एकजुटता दिखाना, चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करना मोदी जी का एक कूटनीतिक कदम था| 10 आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने राजपथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई| गणतन्त्र दिवस की परेड में सेना की एक टुकड़ी ने आसियान देशों का ध्वज लेकर मार्च कियमुख्यतया 10 सदस्यों वाली संस्था के गठन का मुख्य उद्देश्य साऊथ ईस्ट एशिया में अर्थ व्यवस्था, राजनीति, सुरक्षा, संस्कृति और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना था| 8 अगस्त 1967 को पहले पांच संस्थापक देशों , इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपीन सिंगापूर और थाईलैंड ने, थाईलैंड की राजधानी बैंकाक में आसियान का गठन किया था| बाद में ब्रूनेई वियतनाम कम्बोडिया लाओस और म्यन्मार (बर्मा ) इसके सदस्य बने| भारत आसियान देशों के साथ सम्पर्क बढ़ाने का सदैव इच्छुक रहा है | 13 अगस्त 2009 को भारत ने आसियान देशों के बेंकाक में होने वाले सम्मेलन में हिस्सा लिया|
वर्ष 1977 के एशियाई आर्थिक संकट के दौरान थाईलैंड में हुई आसियान संगठन की बैठक में चीन, जापान और दक्षिण कोरिया को मिलाकर आसियान प्लस नामक मंच का गठन किया गया। बाद में ईस्ट एशिया समिट के बैनर तले भारत, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया को भी इसमें शामिल कर लिया गया| 2011 में छठे ईस्ट एशिया समिट में आसियान को विस्तृत कर इसमें यू एस और रूस को भी सम्मलित हुए| यद्यपि आसियान विकासशील देशों का संगठन है लेकिन इसमें ग़ैर सदस्य अमेरिका, चीन और जापान जैसे शक्तिशाली देश भी रुचि रखते हैं| भारत इसका सदस्य नहीं है लेकिन उसके लिए भी यह संगठन बहुत महत्वपूर्ण रहा है कारण व्यापार और समुद्री सुरक्षा बढ़ाना था| 1976 में आसियान देशों की पहली बैठक में आपसी भाईचारे और सहयोग की संधि पर सबने हस्ताक्षर किये| 1994 में आसियान देशों ने एशियन रीजनल फोरम की स्थापना की जिसका मुख्य उद्देश्य सुरक्षा को बढ़ावा देना था अब सदस्यों की संख्या 23 है जिनमें अमेरिका ,रूस ,भारत ,चीन , जापान और उत्तरी कोरिया भी शामिल हैं|
इस संगठन का मुख्यालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में स्थित है। आसियान देशों के चार्टर का मुख्य उद्देश्य सभी सदस्य देशों की सम्प्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतन्त्रता को बनाये रखना आपसी झगड़ों का शान्ति पूर्ण ढंग से निपटारा करना है| संगठन के सेक्रेट्री जनरल आसियान की बैठकों में पास किये गये प्रस्तावों को लागू करवाते हैं उनका कार्यकाल पांच वर्ष है आसियान की निर्णायक बॉडी में राज्यों के प्रमुख होते हैं, इनकी वर्ष में एक बार बैठक होती है। संगठन के पचास वर्ष पूरे हो चुके हैं अत: इसका 31वां शिखर सम्मेलन फिलीपींस की राजधानी मनीला में आयोजित किया गया था इसमें भाग लेने वाले सभी दिग्गज नेताओं ने डिनर में एक सा परिधान पहना था यह कढ़ाई वाली काफी हल्की फार्मल कमीज है| आयोजित शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के कार्यक्रम में संगीतमय रामकथा का मंचन किया गया कुछ आसियान देशों में राम कथा का मंचन प्रचलित है| नृत्य नाटिका द्वारा रामायण के अलग-अलग हिस्सों को ‘राम हरी’ में अति सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया अमेरिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जापान के प्रधान मंत्री शिंजो आबे एवं सभी उपस्थित महानुभाव मंत्रमुग्ध हो कर देख रहे थे| राम कथा में श्री राम के आदर्श चरित्र का मंचन था पिता द्वारा माता कैकई को दिए दो वचनों को पूरा करने के लिए राम का वन गमन, उनके साथ उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी गये थे अंत में राम रावण का युद्ध श्री राम के चरित्र पर आधारित अच्छाई की बुराई पर विजय भारतीय संस्कृति का प्रतिबिम्ब था|
सभी आसियान देश चीन के दक्षिणी समुद्र में बढ़ते प्रभाव और प्रसारवादी नीति से चिंतित हैं चीन ने इस क्षेत्र में मैंन मेड द्वीप बना कर वहां अधिकार जमा कर सैनिक अड्डे बना लिए जिसके बल पर वह दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा ठोक रहा है| चीन के अपने पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद होते रहते हैं वहीं दक्षिण चीन सागर विवाद भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। कम्बोडिया और लाओस पर चीन का गहरा प्रभाव है यहाँ तक आसियान से सम्बन्धित फैसले पर भी चीनी प्रभाव रहता है| भारत भी चिंतित है श्री लंका ने अपनी अर्थ व्यवस्था में तेजी लाने के लिए हंबनटोटा के तट पर पूर्वी एशिया और मिडिल ईस्ट को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण समुद्री रास्ते पर चीन को बन्दरगाह बनाने का स्थान दिया|
चीन की नीति है इन रास्तों का विस्तार कर व्यापार को बढावा दिया जाए लेकिन इसके लिए ऊंची ब्याज पर ऋण दिया उसकी मदद से लंका का बन्दरगाह बन गया लेकिन होने वाले घाटे के कारण हंबनटोटा का बन्दरगाह लीज पर चीन को ही देना पड़ा नये उपनिवेशवाद का चलन, हिन्द महासागर में दखल ,चीन के बढ़ते निवेश पर भारत में चिंता है| चीन का डोकलाम को लेकर भारत से विवाद रहा है सामरिक दृष्टि से भारत चिंतित है विवाद पर लगातार वह भारत को आंखें दिखा रहा है भूटान के क्षेत्र डोकलाम पठार में चीन ने सड़क बनाने की कोशिश की ,यह क्षेत्र भारत के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है चीनी सैनिक सिक्किम सेक्टर में चुम्बी वैली के डोकलाम में जबरन घुसे जबकि यहाँ भारत के सिक्किम, भूटान और तिब्बत की सीमाएं मिलती हैं यदि भूटान भारत का सहयोग न करता तो भारत चीन के खिलाफ कैसे अड़ सकता था यह क्षेत्र चिकन नेक कहलाता है| चिकननेक से भारत नार्थ ईस्ट से जुड़ता चीन के प्रभाव बढ़ाने पर भारत चीन युद्ध की स्थिति में हमारा अपने नौर्थ ईस्ट से सम्पर्क टूट जाएगा चीन भूटान को चारो तरफ से घेर लेगा|
चीन भारत के बीच में स्थित म्यांमार पर भी अपना प्रभाव जमाता है| कई आसियान देशों का संसाधनों से संपन्न दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ विवाद है। चीन यहां के ज्यादातर हिस्से को अपना बताता है। वह नार्थ कोरिया के तानाशाह को भी चढ़ाता रहा है इससे राष्ट्रपति ट्रम्प चीन से नाराज है| चीन द्वारा दक्षिणी समुद्र में पैर पसारने के विरुद्ध अमेरिका और जापान ने भी भारत का साथ दिया चीन को जतला दिया भारत अकेला नहीं है भारत के विश्व के देशों के साथ भी मधुर सम्बन्ध है| कुछ आसियान देशों के साथ चीन का दक्षिणी चीन सागर में समुद्री सीमा को लेकर विवाद हो रहा है ऐसे में राजधानी में भारत-आसियान यादगार शिखर सम्मेलन में समुद्री सुरक्षा, व्यापार और आपसी संपर्क पर अहम करार हुए इसे इंडो- पेसेफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते विस्तारवादी रवैये के खिलाफ महत्वपूर्ण प्रयास माना गया। भारत समुद्री क्षेत्रों में नौवहन और उड़ानों की स्वतंत्रता की पुरजोर वकालत करता है। भारत चाहता है कि इससे संबंधित विवाद का निपटारा अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत हो। समुद्र में अतुलित सम्पदा है इसे चीन को कैसे सौंप दें जबकि वह दक्षिणी चीन सागर के हिस्से को अपना बताता है|
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