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ओरंगजेब रोड ? या श्री अब्दुल कलाम रोड

Vichar Manthan
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ओरंगजेब रोड ? या श्री अब्दुल कलाम मार्ग
1526 ई० में सुलतान इब्राहीम लोदी की बाबर के हाथों पराजय के बाद दिल्ली के तख्त पर मुगल वंश का अधिकार हो गया | बाबर ने बादशाह की उपाधि धारण कर दिल्ली की गद्दी सम्भाली | वह अधिक वर्ष तक राज्य नहीं कर सके उनके बाद उनका पुत्र गद्दी नशीन हुआ | बादशाह हुमायूँ अफीम की लत के शिकार थे और शीघ्र निर्णय लेने में असमर्थ थे कई विद्रोहों का सामना करना पड़ा |उन्हें शेरशाह सूरी ने हरा कर दिल्ली की सत्ता सम्भाल ली हुमायूँ को जान बचा कर भागना पड़ा लेकिन पांच वर्ष के अंदर हुमायूं ने दिल्ली की बादशाहत हासिल कर ली | बादशाह हुमायू की जल्दी ही मृत्यु हो गयी चारो और खतरे के बादल मंडरा रहे थे ऐसे में 13 वर्ष के उनके पुत्र अकबर बादशाह के रूप में अपने उस्ताद बैरम खां की सरपरस्ती में गद्दी नशीन हुये जैसे ही सत्ता पर पकड़ मजबूत हुई उस दूरदर्शी बादशाह ने समझ लिया था यदि देश पर लम्बे समय तक राज्य करना है यहाँ के मूल बाशिंदों को भी अपनी प्रजा समझना है उन्होंने जजिया माफ़ कर दिया |धार्मिक सहिष्णुता और उदार राजनीति का परिचय दिया राजपूतों से दोस्ती का हाथ बढाया |लोकप्रिय बादशाह अकबर ने 55 वर्ष तक राज किया अपनी आने वाली पीढ़ी को मजबूत राज्य सौंपा | उनके पुत्र जहांगीर ने पिता की नीतियों का पालन किया उनके समय में चित्र कला भाषा साहित्य का खूब विकास हुआ सत्ता पर उनकी खूबसूरत ईरानी बीबी नूरजहाँ का पूरा दखल था | बादशाह को अफीम खाने का बहुत शौक था वह ओस के इकट्ठा किये पानी से सुबह अफीम गले से उतार लेते थे लेकिन बादशाहत और जनता दोनों सलामत थी | इनके बाद इनका पुत्र खुर्रम शाहजहाँ की पदवी धारण कर गद्दी नशीन हुये | इनका काल मुगल काल का स्वर्ण युग कहलाता है इन्हें स्थापत्य कला से बहुत लगाव था कई खूबसूरत भवन इनके द्वारा बनवाये गये जिनमें ताजमहल विश्व का सातवाँ आश्चर्य है | यही नहीं बेशकीमती मयूर आसन जिसे तख्त ताऊस कहते थे इन्होने बनवाया उस पर बैठ कर बादशाह का दरबार लगता था |
शाहजहाँ के चार पुत्र थे जिनमें बड़ा पुत्र दारा शिकोह सहिष्णु था अरबी फ़ारसी का विद्वान इसने संस्कृत भाषा के ग्रन्थों का फारसी में अनुवाद किया वह जन प्रिय था |शाहजहाँ का पुत्र ओरंगजेब जिसे पिता जानते थे बहुत मह्त्व कांक्षी और चालाक है वह उसे दिल्ली से दूर ही रखते थे | बादशाह के बूढ़े और कमजोर पड़ते ही ओरंगजेब सेना समेत आगरा की और कूच कर गया दारा की सेना ने उसे रोकने की कोशिश की विजय श्री दारा के पक्ष में थी ऐन वक्त कर राजा जयसिहं बादशाह की तरफ से युद्ध कर रहे थे लेकिन मन से ओरंगजेब के पक्ष में थे |दारा शिकोह को सलाह दी आप हाथी से उतर कर घोड़े पर बैठ जायें इससे आप हर तरफ से सेना का संचालन कर सकेंगे दारा उनकी सलाह मान कर हाथी से उतर गया घोड़े पर सवार हो गया | बादशाही हाथी का हौदा खाली देख कर सेना को भ्रम हो गया दारा नहीं रहे कहते हैं हाथी के हौदे पर बैठे – बैठे ओरंगजेब हारी बाजी जीत गया | इस समय शाम का सूरज डूब रहा था वह भी खुदा के इस करिश्में पर हैरान था |
दारा क्षोभ में आगरा नहीं गया उस दिन दारा के भाग्य के फैसले के साथ देश के भाग्य का फैसला भी हुआ था | उत्तराधिकार के युद्ध में सफल हो कर पिता को आगरा के किले में कैद कर सत्ता हासिल की | दारा शिकोह की भी अन्य भाईयों के समान हत्या कर दी गई लेकिन मरने से पहले हाथी की नंगी पीठ पर बिठा कर गलियों में घुमाया चोबदार आगे- आगे सलाम करता जा रहा था | सत्ता पाने के लिए भाईयों के सिर कटते रहे हैं इतिहास इसका गवाह है लेकिन दारा का 17 साल का बेटा जिसकी अभी मसें भीगी थी उसका जब कत्ल किया गया हरम की बेगमें छाती पीटती हुई हरम से बाहर आ गई , शहजादा हर दिल अजीज मासूम था | बड़ी तड़क भड़क से ओरंगजेब ने आलमगीर की उपाधि धारण की , कहते हैं वह बहुत दीनदार था ‘उसने न पाँचों वक्त की नमाज छोड़ी न अपने भाईयों को
छोड़ा ‘| शुरू में वह अपने बाप दादा की नीति पर चला लेकिन जल्दी ही बदलता गया |वह इतना कट्टर था उसकी समझ में ही नहीं आया हिन्दू इस देश के मूल बाशिंदे थे , जिनकी संस्कृति बहुत मजबूत और प्राचीन है | भारत की भूमि पर वेदों पुराणों की रचना देव वाणी संस्कृत में हुई थी | इस धरती पर गौतम बुद्ध के संदेश गूंजे , बौद्ध धर्म भारत से लेकर मंगोलिया तक फैला | देश ने सुख शान्ति से जियो और जीने दो का संदेश दुनिया को दिया था |मुस्लिम हमलावर के रूप में भारत में आये थे यहीं के हो कर रह गये | ओरंगजेब हिन्दुस्तान को दारुल हर्ब अर्थात काफिरों का देश मानता था अब वह देश को दारुल इस्लाम आज की भाषा में पूर्ण इस्लामिक स्टेट बनाना चाहता था जिस काम को बड़े – बड़े हमलावर न कर सके उसे अंजाम दे कर सबाब कमाना चाहता था |ओरंगजेब ने भारत की सीमा को अफगानिस्तान से दक्षिण तक विकसित किया | एक विशाल हिन्दुस्तान बनाया लेकिन उसके जीवन काल में ही टूटता गया |
ओरंगजेब ने अपने पूरे साम्राज्य में शरियत कानून लागू कर दिया | जजिया फिर से लगाया गया अनेक हिन्दू धार्मिक स्थलों को नष्ट किया मन्दिरों को मस्जिद सरायों और कट्टी खानों में बदल दिया | काशी विश्वनाथ मन्दिर और केशव देव राय के मन्दिर को तहस नहस कर दिया |भगवान कृष्ण की धरती मथुरा वृन्दावन की यात्रा पर तीर्थ यात्रा कर लगाया वहाँ के महंत धार्मिक पुस्तकों के साथ उन हिन्दू राजाओं के राज्य में जाने के लिए मजबूर हो गये जहाँ वह अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सकें |उसने राजपूतों को कम छेड़ा |कश्मीरी ब्राह्मणों को इस्लाम कबूलने के किये मजबूर किया उन्होंने श्री तेगबहादुरसे मदद मांगी उनके विरोध करने पर उनकी हत्या कर दी |ओरंगजेब अपने साम्राज्य का विस्तार ही नहीं दक्षिण को फतह करने के साथ ‘जेहाद’ करना चाहता था | उस पर गाजी बनने की इच्छा सवार थी अत: वह सेना लेकर चल पड़ा 25 वर्ष तक दिल्ली से दूर रहा |आलम गीर की सेना दक्षिण के बीहड़ों को पार करते – करते थक चुकी थी सेना का बुरा हाल होने लगा लेकिन बादशाह की महत्वकांक्षा का कोइ अंत नहीं था | मराठे बल शाली होने लगे कहते हैं उसके सिपहसालारों ने आखिर में तंग आकर मराठों से समझौता कर लिया जैसे गाजी आलमगीर किसी शहर में पहुँचता शहर खाली हो जाता वह मन्दिर को तोड़ता नमाज पढ़ता आगे को कूच करता शहर फिर बस जाता मन्दिर का फिर से निर्माण कर लिया जाता | पंजाब में सिखों ने अपना प्रभाव बढ़ा लिया धीरे धीरे उसका साम्राज्य सिमटने लगा उसके सूबेदारों ने अपने प्रान्त में अपने आप को स्वतंत्र घोषित कर दिया |विशाल देश को चलाने के लिए केंद्र मजबूत होना चाहिए यहाँ बादशाह दिल्ली से बहुत दूर था | हाँ एक नारा जम कर लगा ‘आलम गीर ज़िंदा पीर’ |अंत अहमदनगर में ओरंगजेब का अंत आ गया उसके तम्बू से कुछ दूरी पर मराठे विजय का ढोल पीट रहे थे बादशाह बिलकुल अकेला था केवल उसकी बेटी जेबुन्निसा बूढ़े बाप के नजदीक बैठी थी |बादशाह ने जुम्मे के दिन अंतिम सास ली | एक धर्मांध बादशाह अपने आप से मुक्ति पा गया उससे देश को निजात मिला लेकिन मुगल सल्तनत कमजोर हो गई योरोपियन देश व्यपार करने के लिए भारत आये थे यहाँ की आपसी फूट का लाभ उठा कर धीरे- धीरे सत्ता पर कब्जा करने लगे |
कमजोर बादशाहत के कारण ईरान के शाह नादिर शाह ने दिल्ली को लूटा वह मुगल शान तख्त ताउस को अपने साथ ले गया | अहमदशाह अब्दाली दिल्ली तक लूट पाट मचाई दिल्ली ने ऐसे क्त्लेआम झेले हैं कहते हैं कई दिनों तक परिंदों ने भी पर नहीं फड़फड़ाये थे | मुगल सल्तनत अंत में दिल्ली तक सिमट गई |
अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को देश में कब्र भी नसीब नहीं हुई उसके तीन पुत्रों को खूनी दरवाजे पर गोली मार दी गई |देश को अब अंग्रेजों की गुलामी में जीना था अंग्रेज इस जमीन को लूटने आये थे | उनके अनेक योरोपियन शक्तियों के साथ युद्ध हुए | पुर्तगाली गोआ पर अधिकार कर 1961 तक बैठे रहे | ओरंगजेब मार्ग का नाम बदलने पर सियासत हो रही है क्या ऐसा नाम दिल्ली में रहना चाहिए जिसकी अदूरदर्शिता के कारण मजबूत देश कमजोर होकर बट गया | नये- नये महत्वकांक्षी मुस्लिमों की सियासत करने वाले ओबीसी जी ओरंगजेब को “ मर्दे मुजाहिद “ कह रहे हैं |सियासत करनी है तो देखें टर्की के समुद्री किनारे पर पड़ी नन्हे मासूम खुर्द बच्चे की लाश और इस्लामी स्टेट के भय से लाखों शरणार्थी अपने घर से बेघर होते लोगों को उनमें अधिकतर मुसलमान हैं |
देश के महान वैज्ञानिक मिसाइल मैंन देश के गौरव, पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जिनके स्वर्गारोहण पर हर व्यक्ति की आँखों में आंसू थे जो सबके थे जिनका सम्मान विश्वभर में था | ओरंगजेब मार्ग के स्थान पर उनके नाम पर मार्ग का नामकरण करना क्यों उचित नहीं हैं ?

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