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ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में मोदी जी का पाकिस्तान पर कूटनीतिक दावँ

Vichar Manthan
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modi1610

2016 ब्रिक्स शिखर सम्मेलन मोदी जी का आतंकवाद पर आक्रामक रूख पाकिस्तान को अलग थलग करने की नीति |ब्रिक्स पांच देशों का आपसी आर्थिक हितों को देखने वाला संगठन समूह है |इसकी स्थापना 2009 में चार देशों ने मिला कर की थी उस समय इसका नाम ब्रिक था  जिनमें ब्राजील ,रूस  इंडिया और चीन प्रमुख देश शामिल थे लेकिन 2010 में साउथ अफ्रीका भी शामिल हुआ जिससे इसका नामकरण ब्रिक्स हो गया |यह सभी देश जी -20 के भी सदस्य है| इन सदस्यों में रूस और चीन विकसित देश हैं बाकी  विकास शील देश है लेकिन इनकी अर्थ  व्यवस्था तेजी से बढ़ रही है |संगठन का मुख्य उद्देश्य आपसी हितों को साधना अपने बढ़ते आर्थिक विकास और राजनीतिक प्रभाव से पश्चिमी देशों की दादागिरी को चुनौती  देना था |  2014 में भारत के प्रस्ताव पर वाशिंगटन स्थित अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक की तरह 100 अरब डालर की पूंजी निवेश कर अपना बैंक शुरू करने का निर्णय लिया  गया है | ‘नये विकास बैंक’ का मुख्यालय शंघाई चीन में है |  सभी संस्थापक देश बराबर –बराबर पूंजी देंगे | निश्चय किया गया इसका पहला अध्यक्ष भारत से होगा |बोर्ड आफ गवर्नेंस के पहले अधिकारी रूस से ,पहले निर्देशक मंडल ब्राजील से होंगे | यहीं नहीं यह संगठन शिखर सम्मेलनों का भी आयोजन करते हें ब्रिक्स देशों में विश्व की 43%आबादी रहती है| सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन और भारत हैं |ब्रिक्स की अध्यक्षता फरवरी 2016 से दिसम्बर तक भारत के पास हैं | |अबकी बार भारत के गोवा राज्य में 15 और16 अक्तूबर में शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया | मोदी जी की अध्यक्षता में बैठक हुई |देखा गया एक समय में पांचों राष्ट्राध्यक्षों ने मोदी जी के समान रंगीन जैकेट भी पहनी| ऐसा लगा सभी भारतीय रंग में रंगे हैं |मोदी जी के अमेरिका से बढ़ते प्रगाढ़ सम्बन्धों के झुकाव से ऐसा लग रहा था ब्रिक्स का भविष्य मुश्किल में पड़ सकता है परन्तु ऐसा नहीं हुआ|

भारत हाल ही में पाकिस्तान द्वारा बढ़ती आतंकी घटनाओं और चीन द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करना और कहना ‘भारत आतंकी घटनाओं का राजनीतिकरण न करे आपसी झगड़े का हल आपसी बातचीत से करे’ इससे दोनों देशों में खटास बढ़ रही है ऐसा लग रहा था इस प्लेटफार्म पर आतंकवाद का मुद्दा छाया रहेगा यही हुआ | सम्पूर्ण विश्व आतंकवाद से त्रस्त है लेकिन हर देश अलग-अलग आतंकवाद से क्यों जूझे ?क्यों नहीं एक साथ मिल कर प्रहार किया जाये ? चीन के राष्ट्रपति का स्वागत करते समय मोदी जी ने गर्मजोशी से अच्छी तरह हाथ मिला कर हाथ हिलाये जैसे दो गहरे मित्र वर्षों बाद मिले हों| रूस के राष्ट्रपति के स्वागत में मोदी जी ने पुरानी रशियन कहावत कह कर रूस के प्रति प्रेम प्रगट किया | ‘दो नये मित्रों से पुराना मित्र अच्छा होता है’ मोदी जी चाहते थे रूस और पाकिस्तान के सम्बन्ध अधिक न बढ़ें रूस ने भी भारत के पाकिस्तान में किये सर्जिकल स्ट्राईक का तुरंत समर्थन किया था लेकिन पाकिस्तान के साथ अपना सैन्य अभ्यास भी नहीं रोका था | सोवियत यूनियन ने सुरक्षा परिषद में सदैव कश्मीर पर पारित होने वाले प्रस्तावों पर वीटो किया था |केवल एक बार नेहरु जी के कोरिया संघर्ष के प्रसंग पर रशिया का विरोध किया था तब कश्मीर पर वीटो नहीं किया था |भारत को आजादी मिलने के बाद भी गोवा पर पुर्तगाल का अधिकार था| गोवा में हमारी सेनाओं की सैनिक कार्यवाही गोवा पर अधिकार जमाने के लिए की सोवियत संघ के राष्ट्राध्यक्षों ने उसका  समर्थन किया | 1971 में इंदिरा जी ने बंगलादेश के अलग राष्ट्र बनाने से पहले संधि की थी रशिया के समर्थन में खड़े रहने से बंगलादेश का अलग राष्ट्र के रूप में उदय हुआ | जबकि भारत को डराने के लिए अमेरिकन बेड़ा हिन्द महासागर में खड़ा था | सोवियत संघ के टूटने के बाद रूस को अपनी शक्ति बढाने में कुछ समय लगा|

चीन से नेहरु जी ने सदैव रिश्ते बढ़ाने की कोशिश की थी लेकिन 1962 में चीन द्वारा भारत पर युद्ध थोपने से नेहरूजी का भ्रम टूट गया |आज चीन का भारत से आर्थिक हित सधता है निर्यात कम लेकिन चीनी वस्तुओं का आयात दस गुना तक है फिर भी भारत के लिए अशांति का कारण बना रहता है| ब्रिक्स देश भी वैश्विक मांग में कमी और मंदी की मार झेल रहे हैं |रूस और ब्राजील पर इसका अधिक असर है लेकिन दक्षिणी अफ्रिका ने अपने को बचा लिया| चीन की अर्थ व्यवस्था सबसे मजबूत समझी जाती थी यहाँ भी बढ़ती आर्थिक रफ्तार थम रही है | देशों में भ्रष्टाचार का भी आरोप है लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था सम्भली हुई है आगे विकास की भी उम्मीद है |

ब्राजील के अनुसार उनकी इकोनोमी विकास के मार्ग पर चल रही है तथा वहाँ राजनीतिक स्थिरता है | उदारीकरण में 34 विषय ऐसे है जिनमें वह चाहता है निवेश बढ़े |साउथ अफ्रिका के जेकब जुमा भी चाहते हैं उनके देश में  निवेश बढ़ाना चाहते हैं  |पूतिन कस्टम ,नौकरशाही में सुधार, वीजा नियमों को और सरल बनवाने पर जोर दे रहे थे |मोदी जी ने आतंकवाद  विषय पर कड़ा रुख अख्तियार किया उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ जोर शोर से मुद्दा उठाया पाकिस्तान का नाम लिए बिना उस पर जम कर निशाना साधा आतंक वाद विश्व की समस्या बन गया है पड़ोसी देश आतंकवाद की जननी  आतंकियों की पनाहगार और पोषक है| यहीं यह फलता फूलता है आतंकवाद का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के| लिए जायज नहीं है उस पर मिल कर प्रहार करें चोर को नहीं चोर की माँ को मारो यही मोदी जी का उद्देश्य था रूस और पाकिस्तान के संयुक्त युद्धाभ्यास और सैन्य सहयोग पर भारत अपने राजदूत के माध्यम से मास्को में गहरी नाराजगी जता चुका है। चीनी राष्र्ट पति से भारत की एनएसजी की सदस्यता और यूएन जैश ए मुहम्मद के सरगना और पठानकोट हमले के प्रमुख मसूद अजहर पर प्रतिबन्ध लगाने पर वार्ता की लेकिन आतंकवादी गुटों लश्करे तैयबा और जैशे मुहम्मद जैसे आतंकवादी गुटों को आतंकवादी कहने पर सर्व सहमती नहीं बन सकी |

शिखर सम्मेलन में आतंकवाद का मुद्दा छाया रहा यह भारत की कूटनीतिक सफलता है | तय हुआ सभी आतंकवादी गतिविधियों की निंदा की जायेगी जैसे आतंकवाद के लिए धन एकत्रित करने के साधन ,मादक वस्तुओं का उत्पादन और तस्करी ,पर रोक लगे आतंकवाद के पक्ष में सोशल मीडिया में होने वाले दुष्प्रचारों को रोकना ,आतंकी ठिकानों को नष्ट करना ,इसको रोकने के लिए मिल कर काम करना पड़ेगा |आतंकवाद रोकने में संयुक्त राष्ट्र संघ सक्रिय भूमिका निभाये | |घोषणापत्र में कहा गया, ”आतंकवाद से सफलतापूर्वक निपटने के लिए एक समग्र रुख की जरूरत है | आतंकवाद के खिलाफ सभी कदमों में अंतरराष्ट्रीय कानून बरकरार रखा जाना चाहिए और मानवाधिकारों का सम्मान होना चाहिए.”शान्ति और सुरक्षा से ही आर्थिक विकास सम्भव है |कृषि क्षेत्र में आपसी सहयोग पर बल ,ब्रिक्स का विकास बैंक विकास योजनाओं में मदद के उपायों में तेजी लाएगा ,भ्रष्टाचार काले धन पर रोक लगे |प्राकृतिक गैस का उपयोग बढ़ाया जाये , पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पैरिस समझौते को लागू करने में विकासशील देश सहयोग करेंगे |  आधुनिक कर प्रणाली के प्रति प्रतिबद्धता बाजरों को आपस में जोड़ा जाए | मोदी जी सहित सभी ने भ्रष्टाचार एक वैश्विक चुनौती माना जिसका आर्थिक विकास और सतत विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.” आतंकवाद के प्रति मोदी जी ने आक्रामक रुख अपन कर चीन के राष्ट्रपति को आतंकवाद के विरुद्ध अपना संदेश देने में मोदी जी सफल रहे | कई बार तनाव के अवसर भी आये लेकिन शिखर सम्मेलन अंत में सफल रहा |

डॉ शोभा  भारद्वाज

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