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आज कल शोर मचा है शिव सेना के सांसदों ने रोजे दार के मुहं में जबरदस्ती रोटी ठूस कर उसका रोजा खराब करने की कोशिश की हर एक ने चैनलों द्वारा इसको कई बार देखा सबको यह तो दिखाया गया रोजे दार का रोजा तोड़ने की कोशिश की गई परन्तु किसी ने उस रोजे दार की तारीफ नही की उस शख्स ने अपना रोजा टूटने नहीं दिया उसके चेहरे पर गुस्सा नहीं है उसने कैसे अपना रोजा बचाया अपने ईमान पर टिका रहा देखा जाए वह सच्चा मुसलमान है रोजे से मतलव उसने समाज को समझा दिया वह इस गर्मी उमस में रोजे से है , अपने काम पर आया है काम कर रहा है| वह कैंटीन का मालिक नहीं है केवल एक काम करने वाला है उसने अपनी भूख प्यास ही नहीं मन पर भी जीत पाई है उसके चेहरे पर गुस्से का भाव नहीं है |इस घटना के बहाने इन कैंटीनों की हालत का जायजा ले लीजिये इनमें परोसे जाने वाले खाने की हालत देखिये यह कैंटीन एक सम्मानित संस्थान की कैंटीन है रोटी का यह हाल है तोड़नी मुश्किल है सब्जी कैसी होगी, सब्जी खाने वाले जानते होंगे |जिनके बच्चे दूर महानगरों में नौकरी करते हैं, ज्यादातर प्राइवेट नौकरिया है लम्बे समय तक काम के घंटे हैं कर्मचारियों की भोजन की समस्या का समाधान करने के लिए कैंटीनों में सुबह के नाश्ते और खाने की व्यवस्था की जाती है यदि कोई रात को भी खाना खाना चाहता है खाना हाजिर है| कैसा खाना ? जिनके बच्चे घर से बाहर हैं वह सबसे पहले खाने के लिए कलपते कि इतना गंदा बेकार खाना है क्या बताये हर सब्जी, दाल मटर पनीर सबका स्वाद एक जैसा है रोटी कच्ची या जली हुई , चमड़े जैसी जो टूटती ही नहीं है आप स्वयं देखिये तेज आंच जला कर जल्दी –जल्दी कच्ची पक्की रोटियों को पका कर ढेर लगा दिये जाते हैं | रोटियों पर इतना आटा लगा होता है आपको उसे हटाने के लिए झाड़ना पड़ता है |रायता बिलकुल पतनाला ,पालक है तो बड़े-बड़े टूकड़ों में कटी हुई , ज्यातर सब्जियों में जब आलू सस्ता था उसमें आलू डाल दिया जाता था , करी के लिए भी कद्दू या आलू पीसकर डाल देते थे आलू महंगा है ईश्वर जाने क्या डाल रहें होगे |बाजार में टमाटर ;भिन्डी शिमला मिर्च और हरी मिर्च लगभग आधी गली हुई भिड़ी पकी हुई की पेटी सब्जी वाले एक तरफ रख देते हैं एक बार मैने सब्जी वाले से कहा यह यहाँ क्यों रखी है उसने उपेक्षा से कहा आंटी जी अभी कैंटीन वाले या होटल वाला आ रहा होगा ले जायेगा तेज मिर्च डाल कर सब छोंक देगा भिड़ी सोडा डाल कर गला देगा मैं पूरी कांप गई| यदि कोई उसे लेने नहीं आता है तो ढेर लगा कर फेंक देते हैं कई बार उनमें जानवर भी मुहँ नहीं मारते | खाने की जगह पर काम करने वालों के स्वास्थ्य से किसी का कोई लेना देना नहीं है जो कम पैसे ले और रोटी पर काम कर ले बस उन्ही को रख लिया जाता है | पीलिया हो गया मरीज है छुट्टी मिल नहीं सकती नौकरी चली जायेगी उसी तरह काम करते रहते हैं |वह अपनी बिमारियाँ भी इनके हाथ का पका, या परोसा भोजन खाने वालों को साथ – साथ देते रहते हैं | एक तरह से यह बिमारियों के कैरियर हैं |आपने अपना हट्टा कट्टा बच्चा घर से नौकरी पर भेजा था वह सूख कर आधा हो कर ऊपर से बीमार हो कर घर आता है बिमारी भी आम नहीं टाइफाइड पीलिया बदन में खुजली | कई बार हालत इतनी खराब होती है भर्ती की नौबत आ जाती है | फिछले दिनों मैं सिंघापुर गई वहां की सरकार चाहती है उनकी जनसंख्या का हर व्यक्ति औरते और मर्द काम करे अत: वहाँ खाने के बड़े सस्ते रेस्टोरेंट है यहाँ बड़ा सस्ता और स्वास्थ्य वर्धक भोजन मिलता है ज्यादातर लोग बाहर भोजन खाते है |हर मॉल का एक पूरा हिस्सा खाने के लिये है | पति काउंटर पर बैठता है पत्नी खाने की डिश बनाती है सब कुछ आपकी नजर के सामने पकता है | लोग इतने स्वस्थ हैं कि उनकी उम्र का अंदाज लगाना मुश्किल है | हमारी सरकारे भी चाहती हैं कम्पनियाँ यहाँ पैसा लगाये सबको काम मिले देश तरक्की करे परन्तु अच्छा भोजन नदारद पैसा खर्च कर भी बेमन से भोजन निगलना पड़ता है | कैंटीन वाला भी क्या करे उसे कैंटीन के लिए टेंडर भरना पड़ता है बड़े भाईयों को कमिशन देना पड़ता है |यह भी डर रहता है न जाने कब कैंटीन का ठेका कैंसिल हो जाये ऐसे में तो ऐसा ही खाना मिलता है | डॉ शोभा भरद्वाज
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