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आम से ख़ास होती पोष्टिक खिचड़ी

Vichar Manthan
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Homemade-Khichdi-is-the-Best

918 किलो ग्राम खिचड़ी एक ही बड़े बर्तन में इंडिया गेट पर पकाई गयी|इसे विश्व खाद्य मेले में एक पोष्टिक सम्पूर्ण आहार ‘खाद्य ब्रांड’ के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पेश करने की कोशिश की गयी जम कर प्रचार प्रसार किया गया मीडिया में खिचड़ी हेड लाइन बनीं| हम अधिकतर चावल और छिलके वाली मूंग या धुली मूंग की दाल से खिचड़ी बनाते हैं कुछ इसे बीमारों का भोजन मानते हैं पेट गडबड होने पर डाक्टर आदेश देते हैं जब मरीज भूख भूख चिल्लाये तब उसे पतली खिचड़ी देना मियादी बुखार में पतली खिचड़ी या दलिया खिचड़ी बिना छौंक की पचती है | शेफ संजीव कपूर ने खिचड़ी को पोष्टिक बनाने की कोशिश की इसमें चावल मूंग की छिलका दाल साफ़ किया बाजरा , ज्वार ,रागी और गाजर आदि मिलायी रामदेव जी ने खिचड़ी को हिलाया ही नहीं शुद्ध देसी घी में जीरे का तडका भी लगाया तड़के वाली खिचड़ी गिनिज बुक रिकार्ड में दर्ज हो गयी खिचड़ी में जम कर घी डाला गया जबकि लोग घी के नाम से कांपते हैं लेकिन खिचड़ी घी पी जाती हैं  |

कितनी मजेदार घुटी हुई खिचड़ी होगी खिचड़ी में राजनीति का तडका भी था मोदी जी को खिचड़ी बहुत प्रिय है विदेशों में उनके भोजन में खिचड़ी भी परोसी जाती है| खिचड़ी दक्षिण एशिया की खोज है यह सम्पूर्ण भारत, पाकिस्तान ,नेपाल और बंगलादेश में बड़े प्रेम से खायी जाती है लेकिन खिचड़ी ख़ास थी इसको केन्द्रीय खाद्य मंत्री श्रीमती हर सिमरत ,राज्य मंत्री निरंजन ज्योति और बाबा राम देव शेफ संजीव कपूर आदि महानुभाव मंदी आंच में पकने वाली खिचड़ी के पास खड़े उसे चलाते भी रहे |

खिचड़ी पर प्रादेशिक भाषाओं में कवित्त भी हैं पंजाबी की चंद लाईनों खिचड़ी की रैसिपी ,पकाने की विधि और कैसे खाना और सजाना है समझायी है जिसे मैं बचपन में अपनी दादी जी से सुनती थी

बन्न सवन्नी खिचड़ी ते दूना पानी पा ,

गिड़बिड़- गिड़बिड़ रिजदी थल्यों अग बुझा

(चावल और अपनी पसंद की दाल सही मात्रा में लें भगोने में दुगना पानी डाल कर तेज आंच पर पकने के लिए रख दें जब खदबद-खदबद कर पकने लगे नीचे लकड़ी बुझा दो अंगारों में पसीजने दो आज गैस के जमाने में गैस कुछ समय के लिए बिलकुल धीमी कर दें |

खिचड़ी का पूरा स्वाद कैसे लें कैसे खायें

खिचड़ी तेरे चार यार घी ,पापड़ ,दहीं अचार | आजकल चटनी भी जुड़ गयी है|

तैयार खिचड़ी को गहरे बर्तन में परोसें उस पर घी का छोंक डाले मक्खन भी डाल सकते हैं आम के अचार और दहीं, न खट्टा न मीठा सही जमा हो और मसाले सहित आम के अचार से गरमा गर्म खायें| यदि छिलके वाली काली उर्द की दाल की खिचड़ी है यह अधिक गलाई नहीं जाती देर से पकती है पर  खिलवा बनाई जाती है भरवा मिर्च के अचार और कच्चे घी से इसका स्वाद दुगना हो जाता है | खिचड़ी तरह-तरह से बनाई जाती है आम खिचड़ी सभी जानते हैं लेकिन दलिया खिचड़ी ,बाजरे की खिचड़ी , अरहर या मसूर की दाल की खिचड़ी और चावल में तरह-तरह की सब्जियाँ और ख़ास कर टमाटर डाल कर पकाई खिचड़ी ( ताहरी भी कहते हैं ) | ईरान में खिचड़ी जैसे ही चावल पाकाये जाते हैं ईरानी चावल मशहूर हैं बनाना भी पूरी कलाकारी है विशेष रूप से उसमें हरे काट कर बाकला और हरी सोया पत्ती डाल कर पकाते हैं हरी  चावल खिचड़ी,  हरे सफेद रंग की प्लेट, हरा ही मेजपोश कभी कभी मेहमानों के स्वागत सत्कार में हरा बल्प जला कर मेहमान के सामने परोसा जाता है | इसे मक्खन दहीं और दूहा के साथ खाते हैं दूहा पतला मट्ठा है | ऐसे ही चावल के ऊपर मोटी साबुत मसूर की तह बिछाई जाती है वहाँ की मसूर विशेष  साईज की बड़ी और हरी होती है इसका स्वाद आम मसूर से अधिक होता है मसूर को हल्का नमक डाल कर इतना उबालते हैं खड़ी रहे फिर छान कर ऊपर  धनिया के पत्ते सजाते हैं इससे खिचड़ी महक जाती है |

बीरबल की खिचड़ी पर कहावत बनी है बीरबल ने बादशाह अकबर के किसी प्रश्न का उत्तर देने के लिए खिचड़ी पकाने की कोशिश की खिचड़ी की हंडिया बांस के सहारे काफी ऊपर लटक रही थी आग नीचे  जल रही थी| एक संस्मरण पढ़ा था दक्षिण भारत से एक आम आदमी कांवड़ लेने हरिद्वार जा रहा था उन्हीं दिनों में 1857 की क्रान्ति शुरू हो गयी उसने झांसी की मर्दानी रानी को  अंग्रेजों से बहादुरी के साथ लड़ते और मरते देखा| ऐसा भीरू राजा भी देखा जो अंग्रेजों के सामने लश्कर के साथ आत्म समर्पण करने जा रहे थे |लूटमार देखी इन सबके बीच बड़ी मुश्किल से खिचड़ी का जुगाड़ कर पाता था |चावल दाल घर से लेकर चला था लकड़ियाँ कर ईट के चूल्हे पर हंडिया में खिचड़ी चढ़ा देता  अचानक कुमुक के आने की आहट होने पर कच्ची पक्की खिचड़ी भीगे अंगोछे को पत्ते पर बिछा कर डालता गर्म –गर्म खाते जुबान भी जलती जल्दी – जल्दी भूख शांत करता या अंगोछा हाथ में लटका कर कावड़ कंधे पर रख कर भागता|  खिचड़ी , वह भी रोज नसीब नहीं होती थी |

खिचड़ी सच्चा समाजवादी भोजन है अमीर गरीब सभी प्रेम से खाते हैं गरीब बिना घी के भी प्रेम से हरी मिर्च के साथ खा लेता है| अमीर नखरे के साथ खाते है जिस दिन घर में खिचड़ी पकती है गृहणी को आराम मिल जाता है लेकिन खिचड़ी के नखरे भी कम नहीं हैं ज्यादा पकने पर घुट जाती है कम पर दाल कच्ची रह जाती है या दाल अलग और पानी अलग | मैं मुम्बई कुछ समय के लिए अपने बेटे के पास रहने गयी वह फेमस मल्टीनेशन कम्पनी में ऊचे पद पर कार्य रत है , अपनी कैंटीन में पकने वाली डिश का वर्णन करता कहता आप खा कर देखना क्या स्वाद आयेगा | हमारे यहाँ शाम को अक्सर बनती है एक दिन वह डिश का पैक डिब्बा लाया , खोल कर देखा खिचड़ी थी लेकिन गजब का छोंक लगा था | समझ में आ गया दोपहर को लंच में चावल सब्जी दाल बचती  हैं उनको शेफ बड़ी कारीगरी से मिला कर खिचड़ी बनाते हैं ऊपर से शुद्ध घी का तड़का परदेस में रहने वालों को माँ के हाथ के खाने का स्वाद देती हैं मेरी आँखों से आंसू टपकने लगे |

ऊत्तर भारत में 14 जनवरी मकर संक्रान्ति के पर्व का नामकरण ही खिचड़ी है सुबह नहा धो कर मन्दिरों में खिचड़ी का दान दिया जाता है खिचड़ी के साथ नमक मिर्च और घी देना नहीं भूलते घर में भी खिचड़ी ही बनती है |कुम्भ के मेले में गंगाजी के किनारे वास, रोज सूर्य निकलने से पहले स्नान उगते सूरज को जल में खड़े होकर जल देने का अपना ही महात्तम है साधू सन्यासियों के प्रवचन सुनना अच्छी मनोवृत्ति से सत्संग करना खिचड़ी का दान करना सबसे सुगम है खिचड़ी पकाना गावँ से आने वाले लोग खिचड़ी का सामान साथ लेकर चलते हैं |

कार्तिक पूर्णिमा , गुरु पर्व के शुभ अवसर पर कभी न कभी घर-घर पकने और पसंद की जाने वाली बिमार ,स्वास्थ्य लाभ करने वालों और स्वस्थ सबकी प्रिय खिचड़ी आम से ख़ास हो गयी | खिचड़ी के पोष्टिकता के चर्चे कम नहीं हैं इससे बढ़ कर टीवी चैनलों की सुर्खियाँ बनीं खिचड़ी |

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