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‘ केजरी वाल जल्दी में ‘ जागरण फोरम

Vichar Manthan
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केजरीवाल एक ऐसा नाम है जो  दिल्ली में हुये  अन्ना आन्दोलन के बाद चर्चा में आया जिनका मुख्य उद्देश्य जनलोक पाल बिल क्या है इसकी जानकारी जनता को देना और उसके पक्ष में एक मजबूत जन मत का निर्माण करना था कांग्रेस सरकार के समय बड़े-बड़े घोटाले हुये इस पूरे  समय को यदि घोटाले का काल कहा जाये कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी  अन्ना सरकार पर दबाब बना कर जन लोक पालबिल पास करना चाहते थे लेकिन राजनीति में नहीं आना चाहते थे केजरी वाल और उनके समर्थक चुनाव में भाग लेना चाहते थे इस लिए बकायदा आम आदमी पार्टी  के नाम का  दल बनाया गया जिसके चुनाव घोषणा पत्र घोषित किया गया दिल्ली की सत्तर सीटो पर प्रत्याक्षी खड़े किये गये लोक लुभावन वादे किये गये जैसे २००० ० लीटर मुफ्त पानी बिजली के आधे दाम| खाद्यसुरक्षा बिल सरकार ने दे दिया बिजली पानी का वादा केजरीवाल ने कर  दिया पूरी दिल्ली  में इनका झाड़ू चुनाव चिन्ह लहराया गया भ्रष्टाचार और महगाई के खिलाफ नारे लगाये गये देश और विदेशों तक के नौजवानो को  प्रभावित किया |अपने चुनाव अभियान को क्रांति का नाम दिया  इन्ही दिनों इजिप्ट तथा मिडिल ईस्ट में प्रजातंत्र के नाम पर जन आन्दोलन चले उन देशों का जो हाल है इजिप्ट मे सारा टूरिज्म समाप्त हो गया |

हमारे देश में भी नोजवान प्रभावित हुये कई तो विदेशों में नौकरी छोड़ कर आ गये पढ़े लिखों ने इसे देश की सेवा का सुअवसर समझा  पैसा भी खूब आया  पुनर्वास कलोनियाँ के बाशिंदों ने सोचा झूगिगों  में रहते थे शीला सरकार ने जमीन दे दी कांग्रेस सरकार ने खाद्य सुरक्षा का अधिकार दे दिया बिजली पानी यह दे देंगे चाणक्य ने कहा है मुफ्त में कभी जल नहीं देना चाहिए वह अनंत नहीं है |सुबह सारे कार्य  कर्त्ताओं को एक पेज दे दिया जाता जिसमें  लिखा रहता  था आज क्या _क्या बोलना पर किसी की सुनना नहीं है भाजपा और कांग्रेस   बे ईमान बेकार हैं  पर कभी भी समाजवादियों और कम्यूनिस्टों के खिलाफ कुछ नहीं कहा यदि आपकी विचार धारा इन विचार धाराओं से मिलती है तो उन्हीं के साथ मिलिए दलों की क्या कमिं थी जो  एक नया दल और बना लिया  किसी को  यह सर्टिफिकेट दे देते हैं   वह बईमान  हैं  आज तक सब सरकारें बेकार और चोर  हैं देश में प्रजातंत्र है कानूनी व्यवस्था है  किसी को भी करेक्टर सर्टिफिकेट देने का अधिकार केजरी  वाल  को  कब मिल गया पता नहीं चला | आजादी की दूसरी लड़ाई  पर किसके खिलाफ? यह कहते थे भ्रष्टाचार खिलाफ यह लड़ाई नही  है इसके लिए चुनाव प्रक्रिया  है | आजादी की कीमत जिन्होंने दी है वह जानते है कैसे आजादी मिली थी | यह  सुराज लायें गे यह ठीक है  वोट भी लोक लुभावन  वादों पर खूब आये  पर पूर्ण बहुमत से दूर थे कांग्रेस ने समर्थन भी बिना शर्त दे दिया मुख्य मंत्री बने यह तो कुछ और चाहते थे दिल्ली के बेस्ट स्कूल में एडमिशनमिला  इन्हें विद्या वाचस्पति की डिग्री चाहिए थी कुछ दिन दिल्ली के लोगों ने इनका ड्रामा देखा भाईचारे और इंसानियत  के गाने सुने मोका देख कर जन लोकपाल  बिल के नाम पर चल रहें ड्रामें के बाद इस्तीफा दे कर प्रधानमन्त्रीमंत्री बनने चल दिए |

बनारस जा रहे थे स्टेशन पर  आम आदमी की तरह अख़बार बिछाकर अपने मित्र मनीष शिशोदिया के साथ जमीन पर लेट के फोटो खिचाई फिर AC डिब्बे में सफर किया  बनारस में भी नाटकीय ड्रामा खूब चला जो असली समर्थक थे उन्हें पीछे धकेला चलते बड़े नामों को ला कर टिकट दिया यह हथकंडे जनता बरसों से देख रही है इससे कार्य  कर्ता भी  ठगा सा महसूस करने लगे  | केजरी वाल जिस प्रकार से चुनाव लड़ना चाह रहे थे वह क्षेत्रीय दलों का तरीका है  | अब समय भी निकल गया कांग्रेस के कार्य काल के आखिरी वर्ष घोटालों से पूर्ण थे जनता परेशान थी महंगाई बेरोजगारी रोज बढ़ रही थी एक खाली स्थान था जिसे भाजपा ने भर दिया अब लोग उनसे उम्मीदें लगा रहें हैं आप अपने लिए फिर  जमीन तलाशिये यदि आप उस समय दिल्ली सम्भाल लेते अच्छा  शासन देते ,काम करते  लोग आपको देश के भावी प्रधान मंत्री के रूप  में  देखते  जनता से  माफ़ी मांगना पुराने हथकंडे दोहराना बंद कर  फिर से जमीनी हकीकत पर आ जाईये आपका भी समय आएगा |याद कीजिये बचपन में सुनी कहानी चन्द्र गुप्त और चाणक्य  नन्द वंश को समाप्त करना चाहते थे उन्होंने सीधा पाटली पुत्र जो   उस समय  मगध साम्राज्य  की राजधानी थी पर हमला कर दिया और वह बुरी तरह हार गये जान बचाने के लिए एक झोपड़ी में छुपे थे वहां खीर बनी थी एक बच्चा बीच से जल्दी -जल्दी खीर खाने लगा उसका मुहं  जल गया उसकी दादी ने उसे समझाया तू वही गलती कर रहा है जो चन्द्र गुप्त ने  नन्द वंश को हटाने के लिए की है धीरे- धीरे ठंडी कर किनारे से खा वहीं से चन्द्र गुप्त ने सीख ली फिर तैयारी किनारे -किनारे से नंद वंश को कमजोर  किया |  किसी-किसी  का पूरा जीवन लग जाता है राजनीति में मुकाम पाने के लिये आपको सब कुछ जल्दी कैसे मिल जायेगा|                    डॉ शोभा भारद्वाज

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