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चायना के महान दार्शनिक कन्फ्यूशियस से साम्यवाद एवं शी जिनपिंग तक

Vichar Manthan
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भारत में अकसर प्रश्न उठते हैं चीन हमारे से बाद में आजाद हुआ लेकिन वहाँ हमसे अधिक तरक्की कैसे हुई ? क्या उसे एक पार्टी की तानाशाही का लाभ मिला ? हम उससे पीछे अवश्य रह गये परन्तु हमारा लोकतंत्र से विश्वास कभी नहीं टूटा देश ने प्रजातंत्र एवं मौलिक अधिकारों  की रक्षा के लिए सदैव कुर्बानी दी है जबकि बात –बात पर देश में आगजनी , सार्वजनिक सम्पत्ति को नष्ट करना आम बात है हाल ही में उपद्रवी तत्वों ने दलित अधिकारों की रक्षा के नाम पर भारत बंद में ऐसी तोड़ फोड़ मचाई हैरानी हुई क्या यह लोग भारत में बसते हैं ? अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के नाम पर देश के टुकड़े –टुकड़े करने के नारे अकसर सुने जाते हैं अब तो पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाने में भी संकोच नहीं है |
पड़ोसी देश चीन की नीति 40 वर्ष तक देश की तरक्की ,आर्थिक स्थिति को मजबूत करना रहा| अब विस्तारवादी नीति से चीन ने विश्व शक्ति बनने की दिशा में कदम बढ़ा लिया हैं | माओ ने महिला पुरुष दोनों का अंतर समाप्त किया था उनके अनुसार स्त्री और पुरुष दोनों बराबर खम्बे हैं एक भी खम्बा यदि छोटा है संतुलन बिगड़ जाता है |  स्त्रियों को पुरुषों के समान ही मेहनत करनी चाहिए तभी विकास होगा चीन में महिलाओं और पुरुषों का पहनावा लगभग एक सा हैं महिलाओं में स्वाभाविक रूप से सजने की प्रवृति भी कम से कमतर होती गयी अब महिलाओं में फिर से सौंदर्य प्रसाधनों सजने सवरने में रूचि जाग रही है |

ईसा पूर्व 550 में जन्में चीन के महान समाज सुधारक कन्फ्यूशियस के दर्शन को  न चीनी भूले न सत्तासीन नीति विशेषज्ञ| कन्फ्यूशियस ने चीन के झोऊ राजवंश का उत्थान देखा था लेकिन समय के साथ राजवंश की श्री कम होती गयी चीन कई राज्यों में बट गया यह आपस में लड़ते झगड़ते रहते थे जनता दुखी थी| कन्फ्यूशियस ने बचपन में गरीबी को झेला था जिससे उनकी प्रतिभा में निखार बढ़ता रहा |53 वर्ष की अवस्था में वह चीन के लू शहर के मंत्री पद तक पहुंचे अपने कार्यकाल में उन्होंने कठोर दंड के बजाय अपराधी के चरित्र को सुधारने में उसके सदगुणों के विकास पर बल दिया | चीन वासियों को महान समाज सुधारक दार्शनिक ने नैतिकता का पाठ पढ़ाया| कन्फ्यूशियस के दर्शन उनके आदर्शों के प्रभाव से चीनी समाज में स्थिरता आई उनका दर्शन अपने समय में राजधर्म माना गया |आज भी चीनी पाठ्यक्रम में उनका दर्शन चीनी शिक्षा को प्रभावित करता है वह समाज सुधारक थे न कि धर्म गुरू वह मानते थे अच्छे शासन से शान्ति स्थापित होती है शासक सही अर्थों में शासक होना चाहिए उसके मंत्री कर्तव्य परायण हों ऐसे शासन तन्त्र के आदर्शों से प्रजा के आचरण में सुधार आता है नागरिक अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक हो कर अपने दायित्वों का ईमानदारी से पालन करते हैं  |

उनके अनुसार जीवन का मूल मन्त्र “जीतने की इच्छा शक्ति ,सफलता पाने की लगन, किसी भी काम को अपनी पूरी क्षमता से करने की दृढ़ता,इससे हर व्यक्ति के लिए दुनिया में सबसे ऊंचा मुकाम हासिल करने का मार्ग प्रशस्त होता है | अँधेरे को कोसने के बजाए एक छोटा सा दीपक जलायें” रत्न रगड़ने के बाद चमकता है ऐसे ही संघर्षों से व्यक्ति का व्यक्तित्व निखरता है |किसी भी राष्ट्र की शक्ति वहाँ के निवासियों की सत्य निष्ठा और दृढ नैतिकता पर आधारित होती है|

चीन के लोगों में आम धारणा है सत्ता के महत्व को स्वीकार कर कानूनों का पालन करना हर नागरिक का कर्तव्य है वह कनफ्यूसियस को अपना मार्ग दर्शक मानते हैं चीन के लोगों को प्रजातंत्र समझ में नहीं आता इस पर घंटों लाल मुहँ कर बहस कर सकते हैं आपके तर्कों को काटते रहेंगे उनके लिए राष्ट्र प्रथम है यही भावना उनको मेहनत के लिए प्रोत्साहित करती है काम से कोई नहीं मरता हर इन्सान को अपना काम लगन और ईमानदारी से निभाना चाहिए | उन्हें चीनी होने पर गर्व है अपनी भाषा मेंदारिन पर गर्व है विश्व में कहीं भी बसते हैं आत्म विश्वास और मेहनत की संस्कृति को कभी नहीं छोड़ते विदेश में भी अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं वहाँ जमीन और घर खरीद कर वहीं के बाशिंदे बन जाते हैं | चीन ने गरीबी की पराकाष्ठ देखी थी वहाँ की येलो रिवर दुनिया की तीसरी बड़ी नदी है उसमें ऐसी भयानक बाढ़ आती रही है सब कुछ बहा कर ले जाती है जिससे भुखमरी फैलती थी | चीनी कुछ भी खा सकते हैं गोश्त का हर हिस्सा यहाँ तक मुर्गे के पंजे तक खाते हैं अब समृद्धि है लेकिन गोश्त का हर हिस्सा खाना फैशन बन गया है |

माओवाद – माओवादी विचारधारा का जन्म चीन में माओंत्से तुंग के विचारों से हुआ था | राजनीतिक वर्चस्व हासिल करने का हथियार उनकी सरकार पर उनका नियन्त्रण बना  राज्य में उनकी सरकार चले उन्हीं का देश पर वर्चस्व हो माओवाद मान कर चलता है राजनैतिक सत्ता बंदूक की गोली से निकलती है |राजनीति रक्तपात रहित युद्ध है ,युद्ध रक्तपात से युक्त राजनीति |  द्वितीय विश्व युद्ध में चीनी सेना को जापान से युद्ध लड़ना पड़ा | 1945 में जापान के समर्पण के बाद चीन विजयी राष्ट्र था लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी चीन में राष्ट्रवादियों चाईंग –काई-शेक और साम्यवादियों ने देश हित में मिल कर पहले जापान से संघर्ष किया था लेकिन युद्ध की समाप्ति के साथ दोनों में सत्ता के लिए गृह युद्ध हुआ |गृह युद्ध में माओत्से तुंग के नेतृत्व की जीत हुई, चांग –काई शेख की सरकार को ताईवान में शरण लेने के लिए विवश होना पड़ा |चीन में साम्यवादी राज्य के रूप में 1 अक्टूबर 1949 लोकतान्त्रिक तानाशाही की स्थापना हुई |।

माओत्से तुंग ने 1976 तक सत्ता पर पकड़ बनाये रखी उनकी मृत्यू के बाद 1978 में चीनी जनवादी गणराज्य में सुधारों की जरूरत महसूस की गयी कई क्षेत्रों में ढील दी गयी सत्ता को सम्भालने वाले देंग जियोपिंग ने साम्यवादी व्यवस्था में खुले बाजार की नीति को समय की आवश्यकता समझा उन्होंने राजनीतिक एवं आर्थिक सुधारों पर बल दिया | |चीन में माओवाद के विरोध के लिए तिनमिन स्क्वायर पर 1979 में छात्र आन्दोलन हुआ लेकिन चीन की सेना ने हिंसक ढंग से आन्दोलन को कुचल दिया | माओवादी मान कर चलते हैं हिंसा से भय का वातावरण बनाता हैं जीवन जाने के भय से स्वतन्त्रता की चेतना खत्म हो जाती है | माओ और उनके बाद के राष्ट्रपति विश्व में माओवाद फैलाने के इच्छुक थे लेकिन उन्होंने पहले अपना किला मजबूत किया|

सत्तारूढ़ कम्यूनिस्ट पार्टी आफ चाइना द्वारा प्रस्तावित संविधान संशोधन को समर्थन देकर 64 वर्ष के शी जिनपिंग को आजीवन देश का राष्ट्र नायक चुना गया उन्हें माओ के बराबर दर्जा दिया उनकी विचारधारा को भी संविधान में शामिल कर लिया गया जिनमें अभी तक माओ और देंग जियाओपिंग के सिद्धांत शामिल थे  उनकी विचारधारा चीन के स्कूल कालेजों और विश्व विद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल की गयी | उनके निर्देशन में चीन विस्तारवादी नीति पर चल पड़ा है, विश्व शक्ति बन कर अमेरिका एवं विकसित देशों को पछाड़ना है| चीन के नीति विशेषज्ञ जानते हैं उनका देश एक आर्थिक शक्ति है अत :पड़ोसी देशों पर चीन का प्रभाव बढ़ाना है| भूटान के क्षेत्र डोकलाम पठार पर चीन ने सड़क बनाने की कोशिश की यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से भारत के लिए महत्व पूर्ण है  इसे चिकन नेक कहते है| यहाँ से भारत नार्थ ईस्ट से जुड़ता यदि यहाँ चीन प्रभाव बढ़ा लेता है भारत चीन युद्ध की स्थिति में हमारा अपने नौर्थ ईस्ट से सम्पर्क टूट जाएगा|  चीन का विवाद जापान वियतनाम फिलिपीन और म्यन्मार से भी बढ़ा हैं|

नार्थ कोरिया के प्रशासक किम जोंग उसी के बल पर जापान और अमेरिका को धमकाता था अब वह अमेरिकन राष्ट्रपति ट्रम्प से वार्ता का इच्छुक है वार्ता से पहले अपने आका शी जिनपिंग से मिलने चीन गया राष्ट्रपति ट्रम्प चीन से नाराज है, चीन साऊथ सी में मैन मेड द्वीप बना कर उस पर सैनिक अड्डे जमा कर पैर पसार रहा है |भारत अमेरिका और जापान मिल कर चीन को जतलाया भारत अकेला नहीं है| भारत के विश्व के देशों के साथ भी मधुर सम्बन्ध हैं अब प्रशांत महासागर में भी जापान अमेरिका भारत इसे पैर पसारने नहीं देंगे |

भारत ने चीन द्वारा समर्थित वन बेल्ट एंड वन रोड का बहिष्कार किया यह सड़क  पीओके से निकलती है 29 देशों ने इस प्रोजेक्ट को माना |चीन से कर्ज या मदद लेने के बाद भय है यदि वापस नहीं कर पाएंगे कहीं चीन के उपनिवेश न बन जायें   श्रीलंका को हम्बनटोटा बन्दरगाह 99 वर्ष की लीज पर देना पड़ा |चीन भारत के मुकाबले सेना पर दुगना खर्च करता है उसकी 4o54 किलोमीटर सीमा हमारी सीमा से मिलती है| श्री जिनपिंग उग्र राष्ट्रवादी हैं अपना मुकाबला केवल अमेरिका से मानते हैं चीन और भारत के बीच सहयोग और मतभेद चलता रहेगा।चीन हमसे आयात कम निर्यात अधिक करता है लगभग छह गुना फिर भी आँखे दिखाने से बाज नहीं आता चीन की नीति दूसरे देशों में निवेश की भी है | माओ ने चीन के गृह युद्ध को खत्म कर  देश को एक जुट किया था उसके बाद देंग जियाओपिंग ने चीन में आर्थिक सुधारों द्वारा  पूंजीवादी व्यवस्था की तरफ बढ़ावा दिया | शी जिनपिंग देश को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ही नही सबसे बड़ी शक्ति बनाना चाहते है |

 

 

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