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ह्लकी बूंदा बंदी हो रही थी मेरे घर के बाहर सीढियों पर बैठी कुछ लड़कियाँ अपने भविष्य के सपने बुन रहीं थी एक लड़की माडल बनने का सपना देख रही थी दूसरी फैशन डिज़ाइनर बनना चाह रही थी उनमें से एक कह रही थी बी.ए. में इतने नम्बर आ जायें जिससे मेरा एडमिशन जर्नलिज्म में हो जाये | मुझे थोड़ी हैरानी इन लडकियों की छोटा कातने की सोच पर हुई परन्तु यह भी कैरियर हैं , हर बच्चे को अपनी मर्जी का कैरियर चुनने का अधिकार है , स्मृति जी ने भी चुना |माडल बनना , एक बड़े सीरियल में काम मिलना बम्बई में आसान नहीं है उन्होंने एक सफल सीरियल ‘ सास भी कभी बहू थी ‘ में काम किया तथा सफलता की बुलंदियों को छुआ महिलाओं की वह प्रिय तुलसी बन गई | स्मृति जी राजनीति में आई यह उनका नया रूप था भाजपा की प्रवक्ता के रूप में वह अपनी बात को रखती हैं और उसके बाद पब्लिक की तरफ मुखातिब हो कर हंसती हैं उनकी यह भंगिमा देख कर महिला दर्शक मन्त्र मुग्ध हो जाती हैं टी .वी .एंकर को भी उनसे प्रश्न पूछने में आनन्द आता है क्यों कि उनसे पूछे गये हर प्रश्न का उत्तर साफ़ होता है |
उन्होंने दो कांग्रेसी दिग्गजों चांदनी चौक से कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव लड़ा था तथा अच्छी टक्कर दी थी |हाल ही में राहुल गाँधी के गढ़ अमेठी से चुनाव लड़ा बड़ा ही शानदार मुकाबला था वह चुनाव हार गई परन्तु उस मुकाबले को भुलाया नहीं जा सकता |स्मृति ईरानी राज्य सभा मैंबर हैं भाजपा में उन्होंने अपना मुकाम बनाया है मोदी जी के चुनाव तन्त्र में उनकी मुख्य भूमिका रही है अत: मोदी मंत्री मंडल में उन्हें मानव संसाधन विकास मिनिस्ट्री मिली यह कार्य भार ऐसे ही किसी को नहीं दे दिया जाता ,वह भी मोदी जी द्वारा | हाँ एक बात जरूर है विद्यार्थी जीवन में ज्यादातर बच्चे कभी नहीं सोच पाते उनकी उड़ान कहाँ तक हो सकती है इसी लिए स्मृति जी ने कभी नहीं सोचा होगा की ऐसा समय भी आ सकता है जब विरोधी उनके केवल इंटर पास होने की वजह से उनको इस मिनिस्ट्री के योग्य नहीं समझेगे उनकी कार्यक्षमता पर संदेह करेंगे
स्मृति जी एक साधारण परिवार से सम्बन्धित हैं इसे वह बड़े गर्व से बताती हैं ,और राजनीति में अपना मुकाम बनाना आसान नहीं हैं आगे भी वह अपने काम को चैलेंज की तरह ले रहीं हैं | महिलायें कितनी भी कर्मठ क्यों न हो ज्यादातर उनकी क्षमता पर शक किया जाता है पूरी डिग्री अच्छे नम्बरों के बाद भी जब वह पुरूषों के मुकाबले किसी पद के इंटरव्यू को देने आती हैं उससे तरह ,तरह के सवाल पूछे जाते हैं मैनेजमेंट के पदों पर एक खास दूरी तक ही उन्हें बढ़ने दिया जाता है |स्मृति जी को अपनी क्षमता पर कोई संदेह नहीं है |इतिहास में देखिये दिल्ली की गद्दी पर एक सुल्तान बैठा अलाउद्दीन खिलजी बह बहुत ही कम पढ़ा था परन्तु उसने प्रशासन में ऐसे –ऐसे सुधार किये थे जिन्हें आज भी याद किया जाता है और बादशाह अकबर उनकी शिक्षा पर संदेह हैं पर उनके दरबार में नायाब विद्वान् थे वह स्वयं भी दूरदर्शी और कुशल प्रशासक थे | कामराज राष्ट्र नेता की योग्यता पर क्या संदेह किया जा सकता वह एक समय प्रधान मंत्री पद की दौड़ में थे | डॉ .शोभा भारद्वाज
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