Menu
blogid : 15986 postid : 1389078

पकिस्तान की विदेश नीति का पराभव जम्मू कश्मीर सहित सम्पूर्ण भारत में एक विधान एक झंडा

Vichar Manthan
Vichar Manthan
  • 297 Posts
  • 3128 Comments

पाकिस्तान निर्माण के साथ उनकी विदेश नीति का मूल उद्देश्य भारत विरोध, आर्थिक दृष्टि से मजबूत पाकिस्तान एवं मुस्लिम वर्ड का लीडर बनना रहा है, लेकिन आज पाकिस्तान आर्थिक दृष्टि से एक कमजोर देश है मुस्लिम वर्ड का लीडर होने के बजाय अपनी आर्थिक विपन्नता दूर करने के लिए मुस्लिम देशों से आर्थिक मदद की गुहार कर रहा है। सउदी अरब यूएई एवं कतर ने लोन देकर आर्थिक स्थिति को ठीक करने की कोशिश की है। चीन भी उसका मददगार है, लेकिन चीन की मदद बहुत महंगी पड़ती है। ट्रम्प प्रशासन ने पाकिस्तान की आर्थिक मदद करने से हाथ खींच लिए लेकिन शर्तों के साथ आईएमएफ ने 42 हजार करोड़ रूपये के पैकेज को स्वीकृति दी है। पाकिस्तान इस कर्ज से धीमी पड़ती जा रही अर्थ व्यवस्था को सुधारना चाहता है। पाक प्रधान मंत्री इमरान खान के अफगानिस्तान दौरे के दौरान ट्रम्प चाहते थे।

 

अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनायें हटा कर पाकिस्तानी की मदद से अफगान समस्या का हल निकाला जाये। ट्रम्प ने पाक प्रधान मंत्री इमरान खान से कहा दो हफ्ते पहले उनकी मोदी जी से मुलाक़ात हुई थी। उन्होंने कश्मीर पर मध्यस्तता करने की बात कही। संसद में विपक्ष ने मोदी जी पर हमले तेज कर मोदी जी को ससंद मे आकर संसद में सफाई पेश करने के लिए मजबूर करने की कोशिश की, जबकि अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया था कि ट्रम्प और मोदी जी की कश्मीर पर कोई बात नहीं हुई है। हांं पाकिस्तान कुछ दिन तक खुश रहा जब इमरान स्वदेश लौट कर आये उनके कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत विजेताओं की भांति किया।

 

मोदी जी की पाकिस्तान के प्रति स्पष्ट नीति है। पहले आतंकवाद पर रोक लगाई जाए तब पाकिस्तान से वार्ता की जा सकती है। यही शिमला समझौते में तय हुआ था। ट्रम्प भारत से भी अपने सम्बन्ध बढ़ाने के इच्छुक हैं। उन्हें चीन के साऊथ ईस्ट एशिया में बढ़ते प्रसार को रोकने के लिए भारत की जरूरत हैं। ट्रम्प का राजनीति में व्यवहार बिजनेसमैन जैसा है। कश्मीर में अमरनाथ यात्रा चल रही थी यात्रा को स्थगित किया गया अतिरक्त सुरक्षा बल भी भेजे गये जिससे धारा 370 हटाने की स्थिति से निपटने की हर सम्भव कोशिश की गयी। 5 अगस्त का दिन संसदीय इतिहास का महत्वपूर्ण दिन रहा राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा जम्मू कश्मीर की धारा 370, 35A को समाप्त करने का प्रस्ताव लाया गया धारा के हर पहलूओं पर विचार किया गया। प्रस्ताव जम्मू कश्मीर की आम जनता के हित में है लेकिन सरकार के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं था, लेकिन सांसदों ने पार्टी लाइन से हट कर देश हित में धारा 370 ,35 A हटाने  के पक्ष में वोट दिया।

 

बिल के राज्यसभा में पास होने के बाद दूसरे दिन लोकसभा में प्रस्ताव पर जम कर बहस हुई। कुछ कांग्रेसी सांसदों ने भी सरकार के प्रस्ताव का समर्थन किया धारा ‘370 एवं 35A , ‘370’ सांसदों के समर्थन से पास हो गया। लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया। जम्मू कश्मीर प्रदेश में लद्दाख के पास अधिक बड़ा भूभाग है, लेकिन बजट का अधिकांंश हिस्सा घाटी के पास चला जाता। दूर दराज गांंवों तक विकास पहुंचाया नहीं गया। केवल तीन परिवारों के हाथों में सत्ता रहती थी कश्मीर के अलगाव वादी भी शानदार शाही जीवन बिताते हैं। उनके बच्चे विदेशों में उच्च शिक्षा पा कर शानदार नौकरियांं करते हैं। उनका भविष्य शानदार एवं सुनहरा है। घाटी में पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे अलगाववादियों के नेतृत्व में गूंजते भारत सरकार के हिस्से में केवल गालियांं थीं। एक और कश्मीरियों के बच्चों के हाथ में किताबों की जगह पत्थर पकड़ा दिए गये।

 

सीरिया और ईराक से तम्बू उखड़ने के बाद इस्लामिक विचारधारा की नजर में कश्मीर की सुरम्य वादियों पर पड़ चुकी है। वहांं इस्लामिक स्टेट के झंडे पाकिस्तानी झंडों के साथ दिखाई देने लगे। आतंकवादियों के जनाजों को भी झंडों से ढक कर उन्हें क्रान्ति कारी सिद्ध करने की कोशिशें की गयीं। पैसा देकर कश्मीरी बच्चों से सुरक्षा बलों पर पत्थर मरवाये। सुरक्षा बलों की जब भी आतंकियों से मुठभेड़ होती पत्थर बाज निकल आते उन्हें जेहादी एवं  फिदायीन बनाने की पूरी तैयारी थी। सही समय पर धारा 370 समाप्त कर दी गयी। अब भारत में एक देश एक विधान एक झंडा हैं। भारतीय संसद के इतिहास में यह ऐतिहासिक दिन सदैव बहुत महत्वपूर्ण रहेगा।

 

धारा 370 कश्मीरी लीडर शेख अब्दूल्ला के प्रभाव से संविधान में जोड़ी गयी थी। इसमें धारा 358 के अनुसार संविधान संशोधन के नियमों का पालन नहीं किया गया था।  धारा 370 हटाने के बाद कश्मीर में चाक चौकंद व्यवस्था की गयी। लद्दाख की जनता ने धारा हटाने का स्वागत किया गया, जम्मू भी शांत रहा, लेकिन घाटी में विरोध का भय था। छुट पुट घटनाओं को छोड़ कर अन्य शान्ति हैं। पाकिस्तान में तीखी प्रतिक्रिया हुई, चीन की सरकार से अनुरोध किया गया वह भारत पाकिस्तान के मामले में दखल दे। लेकिन, चीन की सरकार ने भारत का अंदरूनी मामला कह कर पल्ला झाड़ लिया। बस चीन एवं टर्की ने पाकिस्तान के साथ हमदर्दी दिखाई मुस्लिम वर्ड ने भी पाकिस्तान का साथ नहीं दिया। भारत पाकिस्तान द्वारा की गयी आतंकी गतिविधियों का विरोधी रहा है।

 

धारा 370A अब हटाई गयी है लेकिन समय–समय में जम्मू कश्मीर के जनहित में इसमें संशोधन किये गये हैं। आईएएस आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति होने लगी थी। सीएजी के अधिकार भी लागू किये गये। भारतीय जनगणना का कानून भी लागू किया गया। कश्मीर के हाई कोर्ट के निर्णयों के विरुद्ध अपील का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को दिया गया। यही नहीं चुनाव सम्बन्धी मामलों की अपील सुनने का अधिकार एवं 1971 से विशिष्ट प्रकार के मामलों की सुनवाई का अधिकार भी दिया गया। केंद्र सरकार को विधान सभा में सम्वैधानिक संकट आने पर राष्ट्रपति शासन लागू करने का अधिकार मिला। भारतीय संसद में पास किये गये संशोधन जम्मू कश्मीर पर लागू किये गये।  श्रमिकों के कल्याण के लिए श्रमिक संगठन, सामाजिक बीमा के केंदीय कानून राज्य पर लागू किये जाते हैं। मतदाताओं द्वारा जम्मू कश्मीर से सांसद चुन कर आते हैं। अब राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। अभी लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर केंद्र शासन के अंतर्गत है। शीघ्र ही शान्ति की स्थापना के साथ जम्मू कश्मीर में फिर से विधान सभा के चुनाव होंगे।

 

अब तक कश्मीर पर तीन परिवारों की सत्ता पर पकड़ थी। अब जम्मू कश्मीर की आम जनता में से चुने प्रतिनिधियों द्वारा विधान सभा का  गठन हो नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। विधान सभा की शक्ति भी पहले से अधिक होगी। कोशिश की जा रही है जम्मू कश्मीर और लद्दाख में निवेश बढ़े। गृह मंत्री चाहते हैं पंचायतों के सरपंचों को स्थानीय प्रशासन में अधिक से अधिक अधिकार मिलें। क्षेत्र के विकास के लिए फंड सीधा उन तक पहुंचे उनकी सुरक्षा के लिए 2 लाख तक के बीमा राशी की व्यवस्था की गयी है। पाकिस्तान का कश्मीर समस्या के अंतर्राष्ट्रीयकरण करने का सपना अधूरा रह गया। शीघ्र ही कश्मीर में शान्ति स्थापना होकर आतंकवाद से क्षेत्र को मुक्ति मिलेगी। विश्व के राजनीतिज्ञों की नजर भी जम्मू कश्मीर पर लगी हुई है। वह यहांं होने वाले परिवर्तनों पर नजर गड़ाए हुए हैं।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh