Menu
blogid : 15986 postid : 1388898

अधिकारों की जंग क्या सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद खत्म हो जायेगी ?

Vichar Manthan
Vichar Manthan
  • 297 Posts
  • 3128 Comments

1991 में संसद द्वारा पास किये गये 69 वे संविधान संशोधन बिल द्वारा दिल्ली को नेशनल कैपिटल टेरेटरी घोषित कर विशेष संवैधानिक दर्जा दिया गया था| दिल्ली की विधान सभा का गठन किया गया विधायकों की कुल सदस्य संख्या का 10% का मंत्री मंडल होगा | संविधान के अनुसार दिल्ली के संवैधानिक अध्यक्ष उपराज्यपाल हैं जबकि पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों में राज्यपाल का पद है उनके आदेश से बहुमत दल के नेता सरकार बनाते हैं यदि किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है चुनाव से पूर्व या चुनावों के बाद बने गठबंधन के  नेता मंत्री मंडल का गठन करते हैं अभी हाल ही में हुए कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस के समर्थन से श्री कुमारस्वामी के दल का अल्पमत था लेकिन दोनीं की सदस्य संख्या भाजपा से अधिक थी सरकार बनी | राज्यपाल के नाम पर मुख्यमंत्री एवं  मंत्री परिषद सत्ता का उपभोग करती हैं | राज्यपाल केंद्र और राज्य के बीच में कड़ी का काम करते हैं | केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में उपराज्यपाल एवं मुख्यमंत्री है लेकिन 239एए के अनुसार अधिकरों की सीमा निर्धारित है |

1993 में दिल्ली में सरकारों का गठन किया गया, स्वर्गीय मदनलाल खुराना, साहिब सिंह बर्मा एवं शीला जी (इनकी सरकार 16 वर्ष रही) की सरकारें बनीं केंद्र शासित प्रदेश में एलजी के अधिकार अन्य राज्यों के राज्यपालों के मुकाबले अधिक हैं | उनको मंत्री मंडल द्वारा पास किये गये विधेयकों की सूचना दी जाती है जिन निर्णयों पर उन्हें एतराज होता है वह राष्ट्रपति के पास भेज देते हैं वह अपने विवेक का प्रयोग भी कर सकते हैं | अन्य राज्यों में मंत्री मंडल द्वारा निर्धारित फैसले पर यदि राज्यपाल को एतराज है लेकिन विधान सभा इसे दुबारा स्वीकृति दे दे वह कानून बन जाता है , केन्द्र् शासित दिल्ली में ऐसा नहीं है राष्ट्रपति महोदय के पास भेजी गयी फाईल पर उनकी स्वीकृति आवश्यक है| अभी तक एलजी के साथ किसी मुख्य मंत्री का विवाद नहीं हुआ था| पूर्व मुख्यमंत्री  श्रीमती शीला दीक्षित सरकार ने अटलजी की एनडीए सरकार के साथ काम किया दस वर्ष तक कांग्रेस की सरकार थी जब भी कभी मतभेद का अवसर आया मिल कर सुलझा लिया वह लगभग हर सप्ताह एलजी से मिलती रहती थीं दिल्ली का भी विकास हुआ | मुख्यमंत्री केजरी वाल को पहली बार चुनाव में पूर्ण बहुमत नहीं मिला था उन्होंने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई थी इस्तीफा देने के बाद दुबारा चुनाव हुये अबकी बार विधान सभा में जबर्दस्त बहुमत मिला कांग्रेस हार गयी उनका एक भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका विशाल बहुमत से श्री केजरीवाल की शक्ति जरूर बढ़ी लेकिन “देश संविधान से चलता है” विधान सभा में विपक्ष अल्प है फिर भी दिल्ली सरकार को मनमाने ढंग से काम करने का अधिकार नहीं मिला |संविधान द्वारा स्पष्ट है “जमीन , कानून व्यवस्था एवं पुलिस एलजी के आधीन हैं वह प्रशासनिक प्रमुख हैं|”

अनेक अवसर आये केजरीवाल सरकार और एलजी का विवाद बढ़ता रहा जब उन्होंने सत्ता ग्रहण की थी उस समय एलजी नजीब जंग थे वह कांग्रेस द्वारा नियुक्त किये गये थे मोदी जी की सरकार को भी वह स्वीकृत थे उनसे केजरीवाल जी का विवाद निरंतर रहा उनके इस्तीफा देने के बाद अनिल बैजल एलजी हैं उनसे भी उनका विवाद चलता रहता है| केजरीवाल अपने आप को विक्टिम बताने की कला में माहिर हैं वह सदैव कहते हैं मोदी जी न स्वयं काम करते हैं न उन्हें करने देते हैं एल जी के माध्यम से उनके कार्य क्षेत्र में दखल देते हैं | एलजी एवं दिल्ली सरकार के अधिकारों का झगड़ा हाई कोर्ट में पहुंचा |दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला देते हुए स्पष्ट कहा दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है इसलिए दिल्ली सरकार के फैसलों पर एलजी की मंजूरी आवश्यक है संविधान के अनुच्छेद 239एए में दोनों के अधिकार क्षेत्र स्पष्ट किये गये हैं, एलजी ही प्रशासनिक प्रमुख हैं फैसला एलजी की मंजूरी के बिना नहीं लिया जा सकता यदि विवाद है एलजी मंत्री परिषद द्वारा किये गये निर्णय की फाईल राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं |मंत्री परिषद एलजी को मदद एवं सलाह देगी |

केजरीवाल सरकार ने हाई कोर्ट के 5 अगस्त 2016 के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जिसमें हाई कोर्ट के निर्णय जिसमें एलजी को प्रशासनिक प्रमुख माना वह मंत्री मंडल की सलाह को मानने के लिए विवश नहीं है | केजरीवाल का तर्क रहा है वह पूर्ण बहुमत से भी अधिक विधान सभा में बहुमत प्राप्त सरकार के मुख्य मंत्री हैं, जनता द्वारा चुने गये हैं अत : जनता के प्रति वह उत्तरदायी एवं उनकी जबाबदारी है |जैसे अन्य राज्यों में राज्यपाल रबर स्टैंप हैं इससे ज्यादा एलजी के अधिकार नहीं होने चाहिए |दोनों पक्षों ने नामी वकीलों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के सामने बहस की |

4 जुलाई को  दिल्ली सरकार एवं एलजी की अधिकारों की जंग पर सुप्रीम कोर्ट के पाँच जस्टिस की बेंच में तीन जस्टिस ने अपना फैसला सुनाया सभी का फैसला लगभग एक सा था उनके अनुसार लोकतंत्र में जनता की चुनी सरकार का अपना महत्व है उन्हें फैसले लेने का अधिकार है उसमें दखल नहीं देना चाहिए लेकिन फैसले की सूचना एलजी को देनी चाहिए, उनकी सहमती जरूरी नहीं है समन्वय से काम होना चाहिए |श्री जस्टिस चन्द्रचूड़ ने विशष टिप्पणी की जनता द्वारा चुनी सरकार एवं एलजी को लोकतान्त्रिक ढंग से अधिकारों का प्रयोग कर मिल जुल कर कार्य करना चाहिये | फैसले में दोनों पक्षों को उनकी हद समझाई गयी वह 239एए के अनुसार काम करें | जनादेश का महत्व है लेकिन संविधान का अपना महत्व है | जस्टिस महोदयों ने स्पष्ट कहा है जमीन कानून व्यवस्था और पुलिस पर एलजी के अधिकार क्षेत्र में है इसे उप मुख्य मंत्री शिशोदिया ने भी अब माना | जजों की बेंच ने निरंकुशता एवं अराजकता का प्रश्न भी उठाया उनका इशारा धरना राजनीति एवं एल जी के घर ऐ सी में बैठ कर चार महानुभावों के धरना देने से भी था | तीनों जज इस विषय पर एक मत थे दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल नहीं है संसद द्वारा संविधान संशोधन से ही दिल्ली का पूर्ण राज्य का दर्जा संभव है| अभी 6 महत्वपूर्ण याचिकों पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आना बाकी है |

यह झगड़ा नया नहीं है भाजपा एवं कांग्रेस की सरकारें जब भी दिल्ली में बनीं है यह प्रश्न उठा है |निर्भया काण्ड के बाद शीला जी ने पुलिस व्यवस्था उनके हाथ में न होने के कारण अफ़सोस जताया था |केजरीवाल जी ने इलाज के लिये बेंगलौर गये थे वापस आने पर उन्होंने आप पार्टी के महासम्मेलन में दिल्ली के पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग जोर शोर से उठाई गयी थी| उन्हें लोकसभा का चुनाव इसी मसले पर लड़ना है उनकी नजर लोकसभा की सात सीटों पर है अत : मुद्दा गर्म रहेगा | दिल्ली देश की राजधानी है पूरे देश का शासन केंद्र से चलता है प्रशासन एवं सुरक्षा की दृष्टि से दिल्ली महत्वपूर्ण है |यहीं देश की संसद सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति महोदय का निवास है सांसद, चुनाव आयोग ,विदेशी दूतावास एवं राजदूत रहते हैं अत:सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र पर है

विश्व में अधिकतर देशों में राजधानी की व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा जाता है जहाँ लिखित संविधान नहीं है जैसे इंग्लैंड वहाँ परम्पराओं के अनुसार काम होता है लन्दन की कानून व्यवस्था एवं अलग पुलिस व्यवस्था है अमेरिका में संघात्मक व्यवस्था है लेकिन राजधानी की व्यवस्था पर कोई झगड़ा नहीं है भारत में भी संघात्मक  व्यवस्था था केंद्र और राजों के कार्य तीन सूचियों में बटे हैं  संघ सूची राज्य सूची समवर्ती सूची समवर्ती सूची पर  संसद एवं राज्य सरकार दोनों कानून बना सकती हैं लेकिन टकराव की स्थिति में संसद द्वारा पारित विधेयक मान्य होगा |


आप पार्टी फैसले को जीत की तरह मना रही है ढोल बजे, मिठाई बाँट कर इसे जनता की जीत बताया इस कला में आप पार्टी माहिर है भाजपा ने इसे अपनी जीत बताया जबकि कांग्रेस के अनुसार दिल्ली सरकार एवं एलजी के अधिकारों की व्याख्या की गयी है अब उन्हें दिल्ली का विकास करना चाहिए | केजरीवाल प्रचार कर रहे हैं उन्हें अब तक काम नहीं करने दिया गया था |दिल्ली सरकार का कार्यकाल अब डेढ़ वर्ष रहा है उन्हें अपने बाकी बचे कार्यकाल में जो भी उनके वायदे हैं उन्हें  संबैधानिक अधिकारों के अंतर्गत पूरे करने पड़ेंगे लेकिन क्या अधिकारों की जंग खत्म हो जायेगी ?फैसले के चार घंटों बाद उप मुख्यमंत्री जी का ब्यान आ गया अब मंत्री परिषद निर्णयों की फाईलें एलजी के पास भेजने की जरूरत नहीं है ट्रांसफर एवं पदों का निर्णय उन सब के अधिकार क्षेत्र में है उन्हें वह सभी अधिकार मिल गये जो शीला सरकार को मिले थे| उनकी प्रेस कांफ्रेंस क्या थी केवल ब्लेम गेम|

 

 

 

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh