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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में देश विरोधी नारे भी हैं क्या ?

Vichar Manthan
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भारत के विभिन्न भागों की आजादी के नारे लगाना देश तोड़ने की बात करना क्या उचित है ? क्या भारत को आजादी प्लेट पर मिली थी ?सरदार पटेल ने रियासतों को भारत संघ में विलय करा एक सुद्रढ़ भारत का निर्माण चुटकी में कर लिया था ? संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों में कौन सा अनुच्छेद देश की बर्बादी के नारे लगाने की आजादी देता है|
13 दिसम्बर 2001 पाकिस्तान समर्थित पाँच आतंकवादी भारतीय संसद परिसर में दाखिल हुये उन्होंने संसद पर हमला करने की कोशिश की आतंकवादियों का उद्देश्य बहुत खतरनाक था वह अवसर मिलने पर सदन में प्रवेश कर सांसदों को बंदूक की नोक पर लेकर किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते थे ,संचार तन्त्र पर भी कब्जा कर सकते थे वह संसद में तोड़ फोड़ करना चाहते थे | तीस मिनट तक सुरक्षा कर्मियों ने अपने जीवन की परवाह न करते हुए आतंकियों से मोर्चा लेकर लड़ते हुए शहादत दी थी इनमें दिल्ली पुलिस के पंच, जवान महिला कांस्टेबल और दो सुरक्षा गार्डों शहीद हुए थे उस दिन लोकसभा में विपक्षी दल की नेता कांग्रेस अध्यक्षा और देश के प्रधानमन्त्री अटल बिहारी बाजपेयी अभी पहुचे नहीं थे आतंकी अपने मकसद में कामयाब हो जाते तो क्या होता ? |यह देश का बहुत बड़ा अपमान था संसद की गरिमा भंग करने का प्रयत्न था देश वासियों पर भावनात्मक चोट की थी |तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटलबिहारी जी ने पाकिस्तान से लगती सीमा पर फौज खड़ी कर दी |
इस हमले का मास्टर माइंड अफजल गुरु था जिसे दिल्ली के उच्च न्यायालय नें 2002 में फांसी की सजा सुनाई फिर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2006 में फांसी की सजा बरकरार रखी थी अफजल गुरु ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका रखी जिसे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने खारिज कर दिया था 9 फरवरी 2013 की सुबह उसे फांसी दी गयी जबकि उसे विश्वास था उसकी सजा को उम्र कैद में बदल दिया जाएगा क्योंकि मानवाधिकार संगठन सरकार पर दबाब डाल रहे थे | जे एन यू के परिसर में जे के एल ऍफ़ के मकबूल भट की याद में और अफजल गुरु की बरसी पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें बामपंथी विचारधारा के छात्र इकठ्ठे हुए थे लेकिन मुख्यतया नक्सलवादी विचारधारा और कश्मीरी अलगाव वादियों का कार्यक्रम था | दुःख की बात यह थी संयोजकों ने अफजल गुरु की बरसी मनाने के लिए सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया कार्य क्रम तो और भी थे, समय रहते कार्यक्रम की मंशा भांप कर उस पर रोक लगा दी गयी यहाँ पर कश्मीर के छात्र पढ़ने आते हैं बामपंथियों का यह पुराना गढ़ रहा है जम कर नारे बाजी हुयी पहले कश्मीर की आजादी के लिए ,अफजल गुरु जिंदाबाद उसकी फांसी को न्यायव्यवस्था द्वारा की गयी हत्या कहा यही नहीं कितने अफजल मरोगे हर घर से अफजल निकलेंगे अंत में भारत के टुकड़े-टुकड़े कर बर्बादी तक के नारे पाकिस्तान जिंदाबाद के भी नारे लगे वहाँ छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैयालाल भी मौजूद थे | नारों के कार्यक्रम में एक बामपंथी नेता की बेटी भी शामिल थी |मसर्रत आलम जिसने कम उम्र के बच्चों को सेना व राज्य की पुलिस को पत्थर मारने की ट्रेनिंग दी उसका लिखा गीत मुहँ ढक कर घेरे में नाच- नाच कर लडकियों और लडकों ने गाया | कार्यक्रम में नारे लगाने वालों में कुछ ने चेहरा ढका हुआ था कहते हैं यह दो दिन पहले बाहर से आये थे |
जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी में पढना गौरव की बात मानी जाती है इस यूनिवर्सिटी से अनेक बुद्धिजीवी और सिविल सर्वेंट निकले हैं सैनिक अफसरों को भी यहाँ की डिग्री दी जाती है |पूरे देश से यहाँ शिक्षा गृहण करने के लिए विद्यार्थी आते हैं कई तो बहुत गरीब परिवारों से सम्बन्धित होते हैं सस्ता खाना हास्टल का कमरा और बहुत सस्ते में शिक्षा दी जाती है यूनिवर्सिटी को बहुत बड़ी ग्रांट दी जाती है यूँ भी कह सकते हैं टैक्स पेयर का पैसा शिक्षा के काम में लगाया जाता हैं |हर विषयों पर बहस के कार्यक्रम यहाँ होते रहते हैं लेकिन अबकी बार नारों में बदल गये वह इतने बढ़ गये कि प्रकाश में आ गये अफ़सोस काफी समय से कुछ विद्यार्थी देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने लगे है |शर्म की बात थी संसद प्रजातंत्र का मन्दिर माना जाता है यहाँ जनता के चुने प्रतिनिधि कानून बनाते हैं वहाँ संसद पर हमला करने वाले का महिमा मंडन किया जा रहा था यही नहीं प्रो.गिलानी की अध्यक्षता में ऐसा ही कार्यक्रम दस फरवरी को प्रेस क्लब में भी हुआ |
काफी समय से हमारे यहाँ बहस का मुद्दा बना हुआ है भारत में असहिष्णुता बढ़ रही है और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता नहीं है क्या इस प्रकार की अभिव्यक्ति बुद्धिजीवियों को चाहिए ? जैसे ही छात्र संघ का अध्यक्ष पुलिस ने पकड़ा और अन्य की सूची पुलिस ने जारी की विरोधी दलों की राजनीति प्रारम्भ हो गयी कांग्रेस के बड़े नेता और उपाध्यक्ष राहुल गाँधी इनके समर्थन में बैठे नजर आये | दुःख हुआ कांग्रेस का गौरव पूर्ण इतिहास रहा है दो प्रधानमन्त्री आतंकवाद के शिकार हुए थे उन्हें भी यहाँ वोट बैंक नजर आया |नितीश कुमार ने भी कन्हैया लाल का बिहार का होने के नाते समर्थन किया |विरोधी दल एक स्वर से कन्हैया लाल की गिरिफ्तारी का विरोध कर रहे हैं देश के विनाश की बात करना पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाना आतंकवादी का महिमा मंडन करना राजनीति का स्तर किस हद तक गिर चुका है | जे एन यू के शिक्षको ने जलूस निकाल कर अध्यक्ष की गिरफ्तारी की निंदा की यह विषय यूनिवर्सिटी की छानबीन का विषय हैं इससे यूनिवर्सिटी की स्वायत्ता का हनन हुआ है | अन्य विश्वविद्यालयों में भी हलचल है |16 फरवरी के दिन जाधव यूनिवर्सिटी में भी जेएनयु के छात्रों के समान देश विरोधी नारे लगाये गये |क्या छात्र अपने अधिकारों का बहाना लेकर नेता गिरी चमकाना चाहते हैं ? महत्व कांशी छात्र नेता हलचल मचा कर नेता बनना चाह रहे हैं | ईजिप्त में क्या हुआ था क्या हम भूल गये ? आज इजिप्ट जिसका मुख्य रोजगार का साधन टूरिज्म था खत्म हो गया |कानून व्यवस्था खराब होने से टूरिस्टों ने जाना बंद कर दिया |125 करोड़ के देश में राजनीतिक उथल पुथल मचाना क्या उचित है? देश में विकास की जरूरत है हर समय आतंकवाद के खिलाफ जागरूक रहना पड़ता है सीमा पर और काश्मीर को अलगाववादियों से बचाने के लिए सैनिक शहीद होते हैं लेकिन देश में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का विरोध करने के बजाय राजनेता इसमें अपना वोट बैंक खोज रहे हैं |
डॉ शोभा भारद्वाज

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