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क्या उत्तर एवं दक्षिण कोरिया का एकीकरण सम्भव है ? या किम जोंग की कूटनीतिक चाल

Vichar Manthan
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द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद जर्मनी के बीचो बीच बर्लिन की दीवार खींच दी गई थी पूर्वी जर्मनी और पश्चिमी जर्मनी भाई से भाई अलग पिता से पुत्र अलग प्रिय जन अलग कर दिए गये लोग उस दीवार के पास खड़े हो कर रोते थे। 25 वर्ष बाद जर्मन की मजबूत दीवार टूटी जर्मनी का फिर एकीकरण हुआ, अब जर्मनी प्रजातंत्र की राह पर चल कर फिर से मजबूत राष्ट्र बना। बर्लिन की दीवार टूट सकती है क्या नार्थ कोरिया और साउथ कोरिया के बीच की छह इंच की दीवार (सुरक्षा परिषद द्वारा खींची गयी अंतर्राष्टीय सीमा) हटाई नहीं सकती है?

 

 

28 दिसम्बर 2011 को किम जोंग सत्ता सम्भाली, इनके  दादा किम सुंग और पिता किम जोंग इल थे। सत्ता पर परिवार के लोगों का कब्जा रहा है, किम जोंग आत्म प्रशंसक है उन्होंने  नये विनाशक हथियारों का परिक्षण ही नहीं उनका प्रचार कर अमेरिका और जापान को चुनौती दे दी उसके जनून से जापान और अमेरिका भी डरता है।  हाईड्रोजन बम का सफल परीक्षण किया ,मिसाईल का परीक्षण किया  वह जापान के ऊपर से गुजरी , इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाईल से सम्पन्न देश है। यही नहीं कैमिकल हथियारों के निर्माण और प्रयोग धमकी देना , अनेक पाबंदियों के बाद भी किम जोंग महा शक्ति अमेरिका से दबता नहीं है क्योकि चीन सदैव उसका साथ खड़ा दिखाई देना, चीनी कूटनीति का हिस्सा है। विश्व के कूटनीतिज्ञ जानते हैं चीन ही उत्तर कोरिया के तानाशाह को दबा सकता है क्योकि चीन भी युद्ध नहीं चाहता। राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने 12 दिन तक के  साऊथ ईस्ट एशिया के दौरे में पहला दौरा जापान से शुरू किया था वह आसियान देशों के 31वें शिखर सम्मेलन जिसका आयोजन फिलिपीन्स की राजधानी में किया गया था भाग लेने आये थे यहाँ हर चर्चा में नार्थ कोरिया और साउथ एशिया समुद्र में चीन का बढ़ता प्रभाव मुख्य था। जापान भी सैन्य दृष्टि से मजबूत होने की कोशिश में है, लेकिन विश्व को परमाणु युद्ध नहीं चाहिए। किम भी जानता है परिणाम विनाशकारी होगा अमेरिका उत्तरी कोरिया पर हमला नहीं करेगा केवल गोलबंदी कर डरायेगा। दूसरी तरफ दक्षिण कोरिया तरक्की पसंद देश है उसकी आर्थिक दौड़ प्रबल है जापान के बाद विश्व के बाजारों में काफी समय तक उसका वर्चस्व रहा है।

 

किम और अमेरिका में तीखी बयानबाजी जारी है, कुछ दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उनकी सेना उत्तर कोरिया से निपटने के लिए हर समय तैयार है क्योंकि उत्तर कोरिया ने प्रशांत महासागर में स्थित अमेरिकी द्वीप गुआम पर हमले की धमकी दी थी।इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर कहा यदि उत्तर कोरिया ने नासमझी भरा कदम उठाया तो अमेरिका सैन्य कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।  ट्रम्प का यह भी कहना है ऐसे में उत्तर कोरिया को ऐसी तबाही का सामना करना पड़ेगा जैसी दुनिया ने आज तक नहीं देखी,सीरिया की बर्बादी किसी से छुपी नहीं है विश्व शक्तियों का तांडव देख रहे हैं। दक्षिण कोरिया और जापान दोनों देश चाहते हैं अमेरिका उनकी रक्षा में खड़ा दिखाई दे उत्तर कोरिया को बस डराया जाये। युद्ध की स्थिति में किम सबसे पहले 35 किलोमीटर दूर दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल पर कब्जा करेगा जबकि उत्तर कोरिया की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है फिर भी उसने विशाल सेना पाल रखी है। देश की इकोनोमी का चौथा हिस्सा मिलिट्री पर खर्च करता है पहले उसे सोवियत रशिया से मदद मिलती थी लेकिन उसके टूटने के बाद मदद बंद हो गयी उत्तर कोरियनके चेहरे सपाट भाव शून्य जुबान बंद है। मानवाधिकार की किम को परवाह नहीं है, अमेरिका एवं उत्तरी कोरिया के बीच शब्दों के बाण कितने भी चले अमेरिका चाहते हुए भी उत्तर कोरिया पर हमला नहीं कर सकता।

 

 

दुनिया के राजनेता परेशान थे विश्व किम की वजह से परमाणु युद्ध के खतरे की तरफ बढ़ रहा है इसी बीच सुखद खबर मिला अमेरिकन राष्ट्रपति ट्रम्प ने उत्तरी कोरियन डिक्टेटर से आपसी मेल जोल से झगड़े सुलझाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है किम वार्ता की टेबल पर आने को तैयार है पहलू बदलने में किम जोंग का जबाब नहीं। वार्ता से पहले किम गुप्त रूप से चीन गये सत्ता सम्भालने के सात वर्ष बाद किम की पहली विदेश यात्रा वह भी 13 डिब्बों वाली रेल गाड़ी में आश्चर्य आज जब राष्ट्राध्यक्ष हवाई यात्रा करते हैं किम ने ट्रेन से जाना उचित समझा शी जिनपिंग से उनकी लम्बी वार्ता हुई लेकिन यात्रा का खुलासा स्वदेश लौटने के बाद किया। यात्रा एवं किम के स्वागत के चित्रों से साफ़ लगता था किम शी जिनपिंग के सामने सोच में डूबे विनीत एवं दबाब में थे वार्ता का एजेंडा ‘ट्रम्प एवं किम की वार्ता के मुख्य एजेंडे क्या होंगें’ किम समयानुसार रंग बदलें में माहिर है। यात्रा दोनों देशों की आवश्यकता है चीन संघर्ष को बढ़ावा नहीं देना चाहता वह उत्तरी कोरिया का सबसे बड़ा आर्थिक सहयोगी । चीन पर भी विश्व जनमत का दबाब  निरंतर रहा है है लेकिन उसने उत्तरी कोरिया की मदद जारी रखी वही ऐसा देश है जो अमेरिकन सेना की कार्यवाही से किम को बचा सकता है।

 

गेम्स डिप्लोमेसी- दोनों कोरियन देशों को समीप आने का अवसर 2018 फरवरी प्योंगचांग में शीत कालीन ओलम्पिक खेलों में मिला। “एक संस्कृति एवं इतिहास “वाले दोनों देशों के नागरिक आपस में मिल कर रहना चाहते हैं। 8 फरवरी को आयोजित शीतकालीन ओलम्पिक गेम्स के उद्घाटन समारोह में उत्तर एवं दक्षिण कोरिया की टीमें कोरिया के एकीकरण का संदेश देते हुए संयुक्त झंडे तले परेड में शामिल हुई स्टेडियम में उपस्थित लोगों ने तालियों बजा कर उनका स्वागत किया।गेम्स में भाग लेने वाली उत्तरी कोरिया की टीम के साथ किम जोंग की बहन किम यो जोंग भी उद्घाटन समारोह के अवसर पर स्टेडियम में मौजूद थी वह दक्षिण कोरिया जाने वाली किम परिवार की पहली सदस्य एवं सबके आकर्षण का केंद्र थीं उनके पास ही अमेरिका के उप राष्ट्रपति के बैठने की व्यवस्था की गयी लेकिन दोनों ने आपसी दूरी बनाई रक्खी लेकिन दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन, किम यो जोंग एक साथ बैठे थे लगा दोनों देशों के बीच दूरिया कम होंगी। वापस स्वदेश लौटने पर किम की बहन ,किम जोंग की विश्वास पात्र है उसने भाई को जो रिपोर्ट दी वह तानाशाह को पसंद आई दोनों देशों ने मिलने का फैसला लिया, अभी एकीकरण की दिशा में उठाया पहला कदम कहना उचित नहीं है।

 

1953 में हुए कोरियाई युद्ध के बाद दक्षिण कोरिया में कदम रखने वाले किम जोंग पहले उत्तर कोरियाई सत्ता सीन नेता हैं। दोनों देशों के बीच केवल छह इंच की दीवार है जिसे 65 के अंतराल के बाद किम ने पार किया दूसरी तरफ खड़े राष्ट्रपति मून ने उनका स्वागत किया नफरत की दीवार विशाल थी लेकिन दिखने वाली इतनी छोटी अंतर्राष्ट्रीय सीमा एक कदम में पार हो गयी। मून को भी किम ने हाथ पकड़ कर दीवार पार कराई। दक्षिणी कोरिया जाते समय किम के चारो तरफ उनके अपने कमांडों का जबर्दस्त घेरा था जबकि दक्षिण कोरिया की तरफ से भी सुरक्षा का पूरा प्रबंध था किम को गार्ड आफ आनर दिया गया दोनों ने मिल कर पाम का पौधा लगाया उसे नदी के जल से सींच कर वहाँ एक पत्थर लगाया जिस पर नेताओं के नाम और शान्ति एवं खुशहाली का संदेश लिखा था, कुछ देर उन्होंने सीमा पर बने नीले पुल की तरफ जाकर अकेले बैठे कुछ देर वार्तालाप किया दोनों ने क्या कहा या सूना वही जानते हैं किम की नई भूमिका है, दोनों के देशों के बीच प्रोपगंडा वार अब खत्म होगी अलग हुए परिवार एक दूसरे से मिल सकेंगे दोनों ने मिलने पर ख़ुशी जताई। 

 

 

1910 में जापान ने किंगडम आफ कोरिया पर अधिकार कर लिया था वहाँ केवल राज ही नहीं किया उनकी संस्कृति को भी मिटाने की कोशिश की लेकिन द्वितीय युद्ध की समाप्ति के साथ जापान की कमर टूट गयी कोरियामें भी सरेंडर हुआ कोरिया दो हिस्सों में बट गया उत्तर कोरिया पर रूस एवं चांग कई शेख के चीन ने अधिकार कर लिया दक्षिण कोरिया पर अमेरिकन समर्थित ब्लॉग मित्र देशों का कब्जा था। उत्तर कोरिया में साम्यवादी तानाशाही  है दक्षिण कोरिया में निर्वाचित राष्ट्रपति एवं एक सदनात्मक प्रणाली।उत्तर कोरिया ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए दक्षिण पर हमला कर राजधानी सियोल पर भी अधिकार कर लिया था हजारों लोग मरे थे, सुरक्षा परिषद के हस्ताक्षेप के बाद से जुलाई 1953 से बिना फैसले का युद्ध विराम घोषित किया गया। दक्षिण कोरिया आर्थिक दृष्टि  दृ से सम्पन है लेकिन किम जोग ने सैनिक दृष्टि से उत्तर कोरिया को मजबूत किया। किम की कूटनीतिक चाल है वह दक्षिण कोरिया से सम्बन्ध बढ़ा रहा है अब वह अमेरिकन राष्ट्रपति ट्रम्प से मुलाक़ात करेगा।

 

 

 

 

 

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