Menu
blogid : 15986 postid : 1388818

भारत बटवारे के नायक पाकिस्तान के कायदे आजम जिन्ना की तस्वीर से प्रेम ?

Vichar Manthan
Vichar Manthan
  • 297 Posts
  • 3128 Comments

 

विदेश में प्रवास के दौरान जाना विदेशों में बसे प्रवासी भारतीयों और पाकिस्तानियों के बीच शीघ्र मित्रता हो जाती है | कभी–कभी राजनीतिक चर्चा भी चलती है। अधिकाँशतया पाकिस्तानी बुद्धिजीवी कहते थे पाकिस्तान में प्रश्न उठने लगा है पाकिस्तान के निर्माण में मुस्लिम लीग से अधिक कायदे  आजम जिन्ना का हाथ था पाकिस्तान बना पर क्या मिला? भारत का इतना बड़ा बाजार है दुनिया के देश उस बाजार के लिए लालायित ही नहीं भारत में निवेश के लिए भी इच्छुक हैं यदि विभाजन नहीं होता तो तीन भागों में बटे मुस्लिम संख्या बल से प्रजातंत्र में भारी पड़ते सत्ता पर धीरे –धीरे हमारा अधिकार हो जाता| उनकी सोच पर हैरानी होती थी। पाकिस्तान पर आर्मी वालों की आँख रही है उनका वर्चस्व रहा |चुनाव होते हैं लेकिन देश आर्मी के हिसाब से चलता है। आपके यहाँ संविधान में बदलाव आसान नहीं है हमारे यहाँ संविधान भी बदलता रहा भारत ने तरक्की की लेकिन हम पिछड़ गये कई बार चुनावों में कुरान हाथ में लेकर मुल्ले चुनावों में हिस्सा लेने आये लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया परन्तु बच्चों के दिलों में भारत के प्रति जहर भर गया है। आज देंखे तो हालात पहले से भी खराब हैं, आतंकी सरगना जेहादी मानसिकता वाले हाफिज सईद की पाकिस्तानी सत्ता पर नजर है।

 

 

गांधी जी विभाजन के सख्त विरोधी थे अंत में वह इस पर सहमत हुए भारत के भूभाग में दो देश बनेंगे लेकिन जनता पर निर्भर होगा वह जहाँ चाहे रहें क्या ऐसा हुआ ? पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पंजाबी गये लेकिन  अधिकाँशतया भारत से गये जन समुदाय को सिंध में बसाया गया वह आज भी मुहाजर कहलाते हैं अर्थात शरणार्थी वह किसी भी भारतीय परिवार से जल्दी घुल मिल जाते हैं पर्यटन के इरादे से भारत आना चाहते हैं उन शहरों को देखना चाहते थे जहाँ से उनके वालदेन अपनी जन्म भूमि छोड़ कर शरणार्थी बन कर आये थे।

 

14 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि गुलामी की बेड़ियों टूट गई  ब्रिटिश साम्राज्यवाद द्वारा उपहार स्वरूप  भारत की शक्ति को कमजोर करने के लिये दो नये राष्ट्रों का विश्व पटल पर उदय हुआ “ भारत और पाकिस्तान” पन्द्रह अगस्त की सुबह सूयोदय के साथ नव प्रभात लाई यह नव प्रभात क्या सुख कारी था ? विश्व का सबसे बड़ा स्थानांतरण लाखों लोग घर से बेघर अनिश्चित भविष्य ,अपना घर जमीनें खेत खलियान सब कुछ छोड़ कर काफिले के काफिले हिन्दोस्तान जाने के लिए मजबूर कर दिए गये थे समझ नहीं आ रहा था अब उनका घर कहाँ बसेगा बेहालों को बसाना आसन नहीं था पाकिस्तान में वह परदेशी थे  कई अपनों से बिछड़ गये थे। अंत में  कटी हूई लाशों से भरी रेलगाड़ियों आने लगीं। इधर भारत की और से भी मुस्लिमों के साथ यही प्रतिक्रिया होने लगी। लगभग 20 लाख लोगो की हत्या हुई अनगिनत महिलाओं की बेहुरमती।

 

इतिहास में जा कर देखें लार्ड मिनटों भारत के वायसराय बन कर आयें उनके इशारे पर भारत में बढ़ती राष्ट्रवादी भावना को रोकने के लिए अंग्रेज नौकरशाहों ने मुस्लिम समाज को भारतीय समाज से अलग करने होने के लिए उकसाया। मुस्लिम समाज के उच्च वर्ग ने 30 दिसम्बर 1906 में मुस्लिमों का सम्मेलन बुलाया तब आल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना हुई, इसके सदस्य ब्रिटिश सरकार के वफादार थे। 1909 के अधिनियम में मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन की मांग स्वीकार कर ली गयी। जिन्ना बैरिस्टर बन कर इंग्लैंड से भारत आये उन्होंने बम्बई में वकालत शुरू की उनकी रूचि राजनीति  में भी थी वह शुरू में कांग्रेस के साथ थे, वह नरम पंथी विचारधारा एवं शुरूआती दौर में हिन्दू मुस्लिम एकता के समर्थक थे। 1916 में कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग के बीच समझौता भी कराया लेकिन वह गांधी जी के असहयोग आन्दोलन के वह विरुद्ध   थे अत : उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी लेकिन 1928 में साईमन कमिशन भारतीयों की समस्या समझने भारत आया लेकिन उनमें एक भी भारतीय नहीं था जिन्ना ने कमिशन का विरोध करने के लिए कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का साथ दिया ।

 

मानते हैं अलग पाकिस्तान  का विचार शायर इकबाल के दिमाग की उपज थी उन्होंने 29 दिसम्बर 1930 को मुस्लिम लीग के इलाहाबाद अधिवेशन के अध्यक्षीय भाषण में कहा वह चाहते हैं पंजाब, नार्थ वेस्ट फ्रंटियर ,सिंध और बलूचिस्तान को मिला कर ब्रिटिश साम्राज्य के उपनिवेश के रूप में मुस्लिम राष्ट्र की स्थापना हो,  उन्होंने ही जिन्ना को मुस्लिम लीग में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। उनके शब्दों में मुसलमानों को जिन्ना के हाथ मजबूत करने चाहिए इकबाल वह शख्शियत थे जिन्होंने “सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ता हमारा” गीत की रचना की थी आज भी भारत में राष्ट्रीय गीत के रूप में सम्मान प्राप्त है। पाकिस्तान की विचारधारा को क्रियान्वित करने में सबसे बड़ा हाथ जिन्ना एवं मुस्लिम लीग का है वह दो राष्ट्रीयता के सिद्धांत के आधार पर भारत का बटवारा चाहते थे। अब जिन्ना की भाषा बदलती गयी उनके पहनावे में लम्बी अचकन और खुली मोहरी का पजामा था,  उन्होंने हर मौके पर कांग्रेस का विरोध किया। 23 मार्च 1940 को अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के 22 से 24 मार्च तक चलने वाले लाहौर अधिवेशन में भारत के मुसलमानों के लिए पाकिस्तान के नाम से एक स्वतंत्र देश के निर्माण का प्रस्ताव पास हुआ। जिन्ना मनपसन्द गोश्त खाने विस्की एवं सिगार पीने शान शौकत से जीवन जीने के शौकीन काठियावाड़ी मुस्लिम थे वह नमाजी भी नहीं थे उनकी सवारी धूमधाम से निकलती थी लेकिन धर्म के आधार पर बटवारा उनकी मांग थी उनके अनुसार स्वतंत्र भारत में मुस्लिम अल्पमत हो जायेंगे उन्हें बहुसंख्यक हिन्दुओं के साथ रहना पड़ेगा अत :बटवारा जरूरी है |गाँधी जी उनसे बार-बार मिले लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ जिन्ना की जिद थी उन्हें इंसानों के रक्त से सना ही सही पाकिस्तान एकमात्र विकल्प स्वीकार है। अंग्रेजों की नीति फूट डालो राज करो  ‘जिन्ना उनके हाथ में पड़ा सफल हथियार थे’ ब्रिटिश नीति  कारों की नजर में वह खरे उतरे उनकी मृत्यू के बाद पता चला वह टीबी के मरीज चंद समय के मेहमान थे उनके आदेश पर उनके डाक्टर पटेल ने सबसे जानकारी छिपाए रखी।आजादी मिलने से पहले वह कराची चले गये जबकि गांधी जी जब देश आजादी का जश्न मना रहा था उस समय नोआखाली में साम्प्रदायिक दंगे को रोकने के लिए उन्होंने उपवास रखा उनका उपवास तभी टूटा जब दोनों सम्प्रदाय के लोगों ने अपने हथियार डाल दिये वहाँ शांति स्थापित हो गई।

 

पाकिस्तान के विभाजन समझौते के अनुसार इकठ्ठा राजस्व में से  55 करोड़ रु०पाकिस्तान को मिलने थे लेकिन सरदार पटेल जैसे नेताओं को भय था जिन्ना  इस धन का उपयोग भारत के खिलाफ जंग छेड़ने में करेंगे अत: उन्होंने फिलहाल देने से इंकार कर दिया गाँधी जी ने अपने सबसे बड़े हथियार आमरण अनशन का प्रयोग किया, उन्हें भय था पाकिस्तान की अस्थिरता और असुरक्षा की भावना भारत के प्रति गुस्से और वैर में परिवर्तित हो जायेगी तथा सीमा पर हिंसा फैलेगी अंत में भारत सरकार ने गांधी जी के दबाब में पाकिस्तान को भुगतान किया जिन्ना जानते थे पैसे की पाकिस्तान को बहुत जरूरत थी,वही हुआ कश्मीर की सुरम्य वादियों में 21 अक्टूबर को 5000 कबायलियों के भेष में सशस्त्र पाकिस्तानी सेना ने प्रवेश किया वह श्रीनगर से केवल 35 किलोमीटर की दूरी पर थे श्री नगर पर अधिकार करने से पहले  लूट पाट में लग गये। कश्मीर के भारत में विलय के पत्र के बाद भारत ने सेना भेज कर सशस्त्र हमले को रोका। भारतीय सेना ने जैसे ही कश्मीर में पांव रक्खा जिन्ना ने पाकिस्तानी सेना भेज दी कश्मीर युद्ध क्षेत्र बन गया।  माउन्टबेटन लाहौर में जिन्ना से मिलने गये जिन्ना ने उनसे शर्त रक्खी यदि भारत अपनी सेना हटा लेगा वह भी पीछे हट जायंगे माउन्ट बेटन ने सलाह दी कश्मीर में जनमत संग्रह UN के द्वारा कराया जाये, जबकि  जिन्ना चाहते थे दोनों प्रेसिडेंट की अध्यक्षता में जनमत संग्रह हो । आजादी के बाद पाकिस्तान के गवर्नर जरनल जिन्ना थे लेकिन भारत ने माउन्ट बेटन को गवर्नर जरनल स्वीकार किया। कश्मीर का मामला 1 जनवरी 1948 को नेहरू जी ने माउंट बेटन के प्रभाव  से सुरक्षा परिषद में ले गये, सब गांधी जी के सामने हो रहा था।

 

 

गांधी जी पाकिस्तान जा कर जिन्ना से मिलना चाहते थे जिससे दोनों तरफ के विस्थापितों को फिर से उनके अपने घरों में बसाया जा सके।गाँधी जी नहीं रहे लेकिन कभी समझ नहीं सके पाकिस्तान का निर्माण धर्म  के नाम पर किया गया था नया राष्ट्र बनने के बाद वह भारत के विरुद्ध सैनिक और आर्थिक दृष्टि से समृद्ध एक मजबूत राष्ट बन कर इस्लामिक जगत का नेता बनने का इच्छुक था।

 

गांधी जी की हत्या हो गयी विश्व ने उन्हें सदी का महान नेता माना हिन्दू मुस्लिम एकता के नाम पर जान देने वाले बापू की मृत्यू के बाद भेजे शोक संदेश में कायदे आजम जिन्ना ने ” केवल हिन्दुओं का महान लीडर  लिखवाया ” उनके सेक्रेटरी ने उनको याद दिलाया गांधी जी ने राजस्व दिलवा कर पाकिस्तान को आर्थिक संकट से उबारा था जबकि भारत से गये मुहाजरों ने बापू के शोक में भोजन नहीं किया उनकी आँखों से आंसू झर थे। उसी वर्ष 11 सितम्बर 1948 को जिन्ना भी नहीं रहे। भारत में उनको श्रद्धांजली दी गयी। बापू सबके थे उन्होंने पूरे भारत को एक किया वह सबके थे वह  साम्प्रदायिकता और क्षेत्र वाद के विरोधी विशुद्ध मानवता वादी थे विश्व उनकी महानता को स्वीकार करता है लेकिन जिन्ना एक ही कौम के लीडर रहे , पाकिस्तान के सरकारी संस्थानों में टंगी तस्वीर बन कर रह गये, एक तस्वीर  अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के दफ्तर में लगी है जिसपर राजनीति  हो रही है। तस्वीर के पक्ष में तर्क दे रहे हैं जिन्ना 1938 में एएमयू आये थे उनको वहाँ  छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता दी गयी थी जिन्ना इतिहास हैं जिसे मिटाया नहीं जा सकता। कई प्रश्न उठ रहे हैं, जिन्ना का चित्र पहले से लगा था अब झगड़ा क्यों ?सर सैयद अहमद खान नें विश्व विद्यालय की स्थापना अपने समाज को शिक्षित करने के उद्देश्य से की थी शिक्षण संस्थान राजनीति चमकाने आसान तरीका या जिन्ना के नाम पर विरोध जताने का अड्डा कैसे बन गया ?

 

कायदे आजम जिन्ना नहीं रहे लेकिन पाकिस्तानी हुक्मरानों का भारत विरोध बरकरार रहा, निरंतर भारत में आतंकवादियों को भेजा जा रहा है पूरी कश्मीर घाटी रक्त रंजित होती रहती है सीमा पर तोपें गरजती हैं नवयुवकों को पैसा देकर उनसे सुरक्षा सैनिकों पर पत्थर बरसवाये जाते हैं। भारत के खिलाफ जेहाद (धर्म युद्ध) चल रहा है, एक ही क्षेत्र और नस्ल के लोग स्वयं भी कमजोर हो रहे हैं भारत को भी पीछे घसीटने की कोशिश में लगे हैं।

 

 

 

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh