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युवा दिलों में आर्थिक विषमता से उपजती खाइयाँ

Vichar Manthan
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अमीरी एवं गरीबी की खाई हमेशा से रही है |समय के साथ और बढ़ी है लेकिन बच्चों का भोलापन उनकी शरारतें करना आपस में लड़ना फिर मिल कर खेलना एक सा रहा है |बच्चे किसी भी देश के हों उनकी कोई भी भाषा हो आपस में जल्दी ही घुलमिल जाते हैं |पहले देहातों व कस्बों में एक ही पाठशाला होती थी जमींदार, किसान, खेतिहर मजदूर सबके बच्चे एक साथ पढ़ते थे अध्यापकों की छड़ी की मार खा कर बड़े होते थे |आँखों में एक दूसरे का लिहाज रहता था |शहरों में सरकारी स्कूल,सरकारी वित्तीय सहायता प्राप्त स्कूल थे आज भी हैं लेकिन कान्वेंट स्कूलों में खाते पीते घरों के बच्चे पढ़ते थे उनकी शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी होता है सभी स्कूलों में एक सा यूनिफार्म था जो आज भी है जिससे अमीरी गरीबी का अंतर पता नहीं चलता था लेकिन मिशनरी स्कूल के विद्यार्थी कालेज में दाखिला लेते थे वह आम विद्यार्थियों से घुलते मिलते नहीं थे उनका अलग ग्रुप बन जाता था |आपस में अंग्रेजी बोलते थे उनकी भाषा में ग्रामर की त्रुटियाँ होती थी जहाँ उन्हें शब्द नहीं मिलते थे वहाँ आई थिंक आई थिंक करते थे | आम स्कूलों के विद्यार्थी अच्छी अंग्रेजी लिख लेते थे परन्तु बोलने में उन्हें संकोच होता था |कालेज की शिक्षा समाप्त हो जाती थी परन्तु मैकाले की संतानें हिंदी भाषी विद्यार्थियों से सम्बन्ध नहीं बनाते थे|
समय के साथ अंग्रेजी का महत्व बढने लगा अनेक व्यापारिक घरानों ने पब्लिक स्कूल खोल लिए एडमिशन एवं फ़ीस के नाम पर माता पिता से मोटी रकम बसूली जाती है |नामी ग्रामी स्कूलों में पढने वाले बच्चे अपने साथ पढने वाले साथियों से अनजाने में दूर होते जाते हैं |कुछ बच्चे बसों में स्कूल जाते हैं उनके पास माँ के हाथ का बना टिफिन होता है कुछ शोफर ड्रिविन गाड़ियों में रोज स्कूल जाते हैं उनका गर्मा-गर्म खाना घर से या अच्छे होटल से आता है | वैभव का यह हाल है एक से एक शानदार गाड़ियों में बच्चों को स्कूल भेजा जाता हैं |उन्हें खुल कर जेब खर्च दिया जाता है |यह अभिजात्य वर्ग छुट्टियों में अपने बच्चों को देश या विदेश में घूमने भेजते हैं यहाँ तक उनके जन्म दिन होटलों या विदेशों में मनाये जाते हैं |हर प्रकार से उन्हें बताया जाता है, रोजी पेलीकान फूलों की टोकरी में अपनी चोंच से उठा कर लाई है तुम ख़ास हो |एक छोटे बच्चे ने मुझसे कहा मेरे साथ एक लड़का पढ़ता है वह बहुत गरीब है छोटी सी गाड़ी में स्कूल आता है | नन्हे बच्चे के पिता ने गर्व से गर्दन उठा कर कहा बेटा मैं कमाता किस लिए रहा हूँ सब कुछ तेरा ही है |हम मिया बीबी नहीं चाहते हमारे बच्चे में ऐसा कोई काम्प्लेक्स आये | यह दिन रात मेहनत करके केवल बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कल्पना करने वाला सोच नहीं सकता बच्चों की क्लास में भी वर्ग बन गये हैं |
मेरी परिचिता का बेटा नामी ग्रामी स्कूल में पढ़ता है क्लास में प्रथम आने के साथ और भी कई इनाम लेता था माता पिता दोनों बुद्धिजीवी है कालेज में पढ़ाते हैं अपने बच्चों पर बहुत ध्यान देते हैं बेटे के साथ पढ़ने वाले बच्चे का जन्म दिन था |बेटा जन्म दिन पर जाने के लिए बहुत उत्सुक था लेकिन बच्चे के पिता किसी बहाने से बेटे को जाने से रोकना चाहते थे, माँ आड़े आ गयी जाने दो बच्चे की ख़ुशी क्यों खराब करते हैं समाज में उठना बैठना सीखेगा बेटे के लिए नई ड्रेस खरीदी गई , बहस के बाद उपहार में क्या दिया जाये तय हुआ पार्टी बहुत नामी होटल में थी माता पिता बच्चे के साथ गये लेकिन होटल से बाहर एक पार्क में बैठे रहे पार्टी खत्म होने से पहले ही उनका बेटा लौट आया उसके हाथ में मंहगा रिटर्न गिफ्ट था बेटा बेहद उदास था उसने वहाँ कुछ भी नहीं खाया था | कार में बैठते ही बच्चे ने पहला प्रश्न किया हम इतने गरीब क्यों हैं ?मैं अपने जन्म दिन पर किसी को नहीं बुला सकता रिटर्न गिफ्ट में हम कुछ भी नहीं दे सकते |एक बुद्धिजीवी दोनों कामकाजी अच्छी नौकरी करने वाले मध्यम वर्गीय एक ही क्षण में धरती पर आ गये उन्होंने कहा बेटा जो उनके पास है आज हमारे पास नहीं है जो तुम्हारे पास है वह उस बच्चे के पास नहीं होगा तुम क्लास में फर्स्ट आते हो तुम्हारी गिनती क्लास के सबसे अच्छे बच्चों में होती है कितनी तालियाँ बजती हैं हम कभी तुम्हें अकेला नहीं छोड़ते हमने अपनी तरफ से कोई कमी नही छोड़ी ,बेटा कई दिन तक उदास ही रहा |
पैसे की दौड़ ने पैसे का फर्क ही मिटा दिया है |पैसा बस पैसा है चाहे किसी भी रास्ते से आया हो यह एक घर की समस्या नहीं है अक्सर माता पिता को अटपटे सवालों का सामना करना पड़ता है | ग्लोब्लाईजेशन की वजह से विश्व की बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ भारत आ रही हैं नवयुवकों को मोटी- मोटी तनखा दी गयी भारत को एक बाजार के रूप में देखा जाता हैं | व्यापार के बढने से नौकरी पेशा लोगों के काम के घंटे बढने लगे हैं | पति पत्नी दोनों नौकरी पेशा हैं बच्चों की समस्या थी इसके लिए डे बोर्डिंग स्कूलों का प्रचलन हुआ | बच्चे एयरकंडीशन स्कूलों एवं ऐसी ही बसों में स्कूल जाते हैं | पूरे दिन माता पिता एवं दादा दादी के दुलार से दूर पलते हैं |जब शाम को घर पहुंचते है उनका अपना पर्सनल कम्प्यूटर उनकी उम्र के अनुसार खिलोने ,टेलीविजन हर सुविधा का सामान घर में मौजूद है नहीं है तो पार्क में जा कर दूसरे बच्चों के साथ धमा चौकड़ी मचाना एक दूसरे के साथ तालमेल बिठा कर खेलना ,केवल इतवार के दिन उनको माता पिता के साथ समय बिताने का अवसर मिलता है आज के बच्चों को ‘न’ सुनने की आदत नहीं डाली गयी बड़े होते – होते उन्हें मोटा जेब खर्च और बाईक दे दी जाती है जन्म दिन के उपहार में कार या महंगे सेल फोन दिए जाते हैं जिससे उनके बच्चे अलग दिखें | जो हमें नहीं मिला वह हम सब अपने बच्चों को देंगे |
कई बच्चे कैरियर के प्रति जागरूक होते हैं उनका अपना निर्धारित लक्ष होता है जिसके लिए वह जी जान से लग जाते हैं यह बच्चे समाज में स्वस्थ प्रतियोगिता को जन्म देते हैं | प्रोफेशनल कालेजों में कैरियर बन जाने के बाद भी वह एक दूसरे से सम्बन्ध रखते हैं किसने कितनी तरक्की की इस पर भी नजर रखते हैं |यह देश के भविष्य को बनाते हैं लेकिन कई मोटी तनखा लेकर विदेशों में बस जाते हैं |
पढ़ना ज्यादातर बच्चों को मुश्किल लगता है | आज मौज के इतने साधन हैं जिनके आकर्षण से अपने आप को रोकना किशोरावस्था में मुश्किल लगता है | पढाई का रास्ता बहुत कठिन है| पढाई पर ध्यान न देने से वह कक्षा में पिछड़ जाते हैं , उनकी पढाई छूटने लगती हैं | पहले लोग धनवानों के रहन सहन की शैली को लोग नहीं जानते थे लेकिन विज्ञापनों एवं टेलीवीजन के प्रोग्रामों ने उन्हें नई दुनिया दिखा दी है वह समझते हैं यदि पैसा है तो सब कुछ है पैसे से हम सब कुछ खरीद सकते हैं | ऐसे विचार वाले नाबालिग अपराध की दुनिया में पैर रखने लगे हैं उनका आपस में अपराध का रिश्ता बन गया है |अच्छे सम्मानित घरों के जवान कारें चुराना बड़े – बड़े फ्राड करना और किडनैपिंग जैसे अपराधों में लिप्त हो रहे हैं साथ मिल कर अपराध करते हैं साथ मिल कर ऐश करते हैं , हर प्रकार का नशा करने वाले जरा सी बात पर एक दूसरे की या किसी की भी जान ले लेते हैं |नौजवानों में बढ़ते अपराधीकरण ने समाज शास्त्रियों को चिंता में डाल दिया है | सम्पन्न घराने के नौजवान शानदार गाड़ियों में राजकुमारों की तरह बैठे दिखाई देते हैं साथ में बैठे लड़के उन्हें प्रजा का एहसास दिलाते हैं उनकी यह प्रजा राह भटके लड़के हैं जिनके माता पिता ने भी उनका जीवन बनाने में अकथ मेहनत की थी उन्हें वह भी कम लगा हीन भावना का शिकार होकर वह जी हजूर बन गये | जब भी कोई एक्सिडेंट या बड़ा अपराध होता हैं उसमें यह भी फसते हैं आज की नौजवान पीढ़ी जिसमें लडके लडकियाँ दोनों आते हैं आज तो जी लेने दो या आज जी लें की भावना के शिकार हैं सब कुछ होती हुए भी वह अकेले हैं समाज के सामने बड़ी चुनौती हैं |
डॉ शोभा भारद्वाज

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