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होली रंगों का त्यौहार मेल मिलाप हंसी ख़ुशी का पर्व

Vichar Manthan
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‘ खेलें मसाने में होली दिगम्बर खेले मसाने में होली’ बनारस की होली भगवान शिव पार्वती की कथा से जुड़ी है फागुन के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भोले बाबा पार्वती जी को विदा कराने अपने सुसराल जाते हैं विश्वनाथ गली में शंखनाद और डमरू के संगीत के साथ भोले बाबा चांदी की पालकी में विराजमान होते हैं उनकी गौने  की बरात पर इतना अबीर गुलाल उड़ाया जाता है गली की धरती में लाल गुलाल का गलीचा बिछ जाता है  पार्वती जी को विदा कराने के बाद अगले दिन भोलेबाबा मणिकर्णिका के श्मशान घाट पर अपने गणों के साथ पर्व मनाने के लिए विराजते हैं| भव्य आरती के बाद उनके गण चिता की भस्म से होली खेलते हैं| अद्भुत नजारा एक और उल्लास जीवन, दूसरी तरफ अंतिम क्रिया, अंतिम सत्य | इसके बाद बनारस में धूम धाम से होली खेली जाती है केवल भारत में ही नहीं विश्व के कई देशों में होली से मिलते जुलते उत्सव मनाये जाते है अंतर केवल मनाने के ढंग  में है लेकिन उल्लास की कहीं कमी नहीं होती | अधिकतर यह नये वर्ष और नई फसल से जुड़ा उत्सव है|

holi-colors_1394878630_540x540योगी जी होली मनाने बरसाना गये ‘राजनीतिक होली’ लेकिन वह उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थानों में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देना चाहते हैं उन्होंने अपने भाषण में कहा वह होली को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विकसित करेंगे यही नहीं  गोवर्धन ,नंदगाँव वृन्दावन गोकुल आदि श्री कृष्ण के लीला स्थलों का तीर्थ स्थल के रूप में विकास किया जायेगा |पत्रकारों ने उनसे पूछा आपने दिवाली अयोद्धया में ,होली बरसाना में अब ईद कहाँ मनायेंगे उन्होंने सधा उत्तर दिया मैं हिन्दू हूँ मुझे भी अपनी आस्था के अनुसार धार्मिक स्वतन्त्रता है मेरे कार्यकाल किसी को ईद और क्रिसमस मनाने से रोका नहीं गया | वह सुरक्षा कारणों से रंगीली गली की लट्ठमार मार होली में भाग नहीं ले सके |बरसाने की होली विश्व प्रसिद्ध है| डिस्कवरी चैनल में लठ्ठमार होली की एक घंटे की रील विदेशों में बहुत पसंद की गयी |

वृंदावन से श्री कृष्ण बरसाने की राधा के साथ  होली खेलने जाते थे उसी परम्परा के अनुसार मथुरा के युवक (गोप ग्वाल) श्री राधा के जन्म स्थान बरसाने में होली खेलने जाते हैं उनका स्वागत भांग और ठंडाई से किया जाता है सिर पर पगड़ी बांध कर गोप ग्वालों का रूप धारी रंगीली गली में इकठ्ठे होते हैं वहीं महिलायें हाथ में पोले  बांस के लठ्ठ लेकर तैयार खड़ी रहती है | युवक होली के गीत गा कर गोपियों रूपी महिलाओं को रंग खेलने के लिए ललकारते हैं और रंग लगाने  की कोशिश करते हैं गोपियाँ लठ्ठ मारती है गोप ढाल से बचाव करते  हैं | होली की ऐसी  घूम मचती है जिसे देखने विदेशी से भी बड़ी मात्रा में सैलानी आते हैं

कान्हा के मामा कंस ने बाल कृष्ण का वध करने के लिए पूतना को भेजा उसने जहर लगा कर कान्हा को दूध पिलाने का प्रयत्न किया लेकिन कान्हा ने उसके प्राण हर लिए अत : मथुरा और वृन्दावन में होली की जम कर धूम होती है टेसू के रंग से होली खेली जाती हैं दोपहर तक होली खेल कर यमुना स्नान करने जाते है इतना रंग खेला जाता है यहाँ तक यमुना जल भी रंगीन हो जाता है | बांके बिहारी और द्वारकाधीश के साथ लोग रंग खेलने जाते हैं बांके बिहारी का उस दिन फूलों से श्रृंगार किया जाता है वह अपने स्थान से बाहर आ जाते हैं भक्त गण उनके साथ टेसू फूलों से तैयार रंगों एवं फूलों की बौछार करते हैं| श्री द्वारिकाधीश जी भी आंगन में बिराजते हैं उनके साथ मथुरावासी रंग खेलते हैं जम कर धमाल होता है |

भक्त प्रहलाद की कथा हम सभी जानते हैं अपने भाई की आज्ञा से भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर उसकी बुआ होलिका जलती आग पर बैठ जाती है  होलिका को वरदान मिला था अग्नि उसे जला नहीं सकेगी लेकिन बालक प्रहलाद सुरक्षित रहते हैं होलिका जल जाती है इसी होली से एक  दिन पहले सांझ को होलिका दहन किया जाता है| प्

होला मुहल्ला – दिल्ली के तख्त पर मुगलों का शासन था खालसा पन्थ के संस्थापक दशम गुरु श्री गोविन्द सिंह जी ने समाज के दबे कुचले वर्ग में जाग्रति पैदा करने के लिए श्री आनंदपुर साहब में होली के अगले दिन मेले का आयोजन किया था यह छ: दिन तक चलने वाला उत्सव है जिसे होली का पुल्लिग़ होला मोहल्ला कहते हैं उत्सव का प्रारम्भ लगभग 1701 में किया गया था श्री गुरु जी महाराज ने अपनी सेना को दुश्मन के खिलाफ सावधान रहने तैयार रहने के लिए गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिग दी थी| आज भी जलूस का नेतृत्व करते हुए पंज प्यारे रंगों की बरसात करते चलते हैं उनके पीछे रंग के साथ भांग की तरंग में घोड़ों पर सवार निहंग अनेक करतब दिखाते हैं हाथों में  निशान साहब उठाये तलवार बाजी कर आश्चर्य चकित कर देते हैं | जलूस देखने श्रद्धालू दूर दराज से आते हैं कहीं टिल धरने की जगह नहीं बचती| जलूस की समाप्ति हिमाचल की सीमा पर बहने वाली छोटी नदी चरण गंगा पर समाप्त होता है उसके बाद विशाल लंगर का आयोजन |

मध्यप्रदेश के गावों में जम कर होली खेली जाती है एक आदिवासियों के गावँ में वाद्य यंत्र बजाते नृत्य करते होली खेलते हैं | अविवाहित युवक अपनी मनपसन्द की युवती को रंग लगाते हैं आज की भाषा में प्रपोजल प्रेम प्रदर्शन है यदि युवती को वह युवक पसंद है वह भी उसे गुलाल लगा देती है |दोनों एक दूसरे को पसंद करने के बाद विवाह के बंधन में बंध जाते हैं|

दक्षिण भारत में रति कामदेव की कथा प्रचलित है कामदेव का फूलों से सजे गन्ने के धनुष से तीर चलाना मनोरंजन था | जिसको भी कामदेव का तीर बेंधता है वह काम के वश में हो जाता है |  तपस्या में लीन शिव जी पर कामदेव ने तीर चला दिया शिव जी का तीसरा नेत्र खुला कामदेव भस्म हो गये रति के विलाप एवं अनुनय करने पर शिवजी ने काम को जीवित कर दिया लेकिन शर्त थी वह अपने पति को देख सकेंगी लेकिन काम शरीर के बिना रहेंगे अब काम लोगों के मन में रहते हैं प्रेम का प्रदर्शन अर्थात रति दिखाई देती हैं|कथा के साथ होली जलाई जाती है और विरह के गीत गाये जाते हैं |

होली आनन्द मनाने का पर्व है मुगलों ने भी इस पर्व पर रोक नहीं लगाई अकबर के समय से होली धूम धाम से शुरू की गयी ओरंगजेब के शासन काल में भी कुछ समय तक त्यौहार नियमित रूप से मनाया जाता रहा लेकिन बाद ज्यों –ज्यों बादशाह की कट्टरता बढ़ती रही सामूहिक रूप से पर्व मनाने पर रोक लग गयी | बहादुर शाह जफर के काल तक होली मनती रही उन्होंने होली पर गीत भी लिखे |अकबर के समय में खुशबूदार केवड़े ,केसर मिश्रित टेसू के फूलों के रंग से होली खेलने की परम्परा थीं| शाम को घुटी ठंडाई , मिठाई और पान के बीड़ों से मेहमानों का स्वागत किया जाता था नृत्य ,गान कव्वालियों की महफिल सजती थी| राग रंग पसंद बादशाह जहाँगीर के समय की होली और भी लुभावनी होती थी | महफिले सजतीं होली के भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था शाहजहाँ होली को ईद – ऐ गुलाबी के रूप में धूम धाम से मनाते ईद का फारसी में अर्थ ‘ख़ुशी’ है  होली का मेला लालकिले के पीछे वाले मैदान में लगता यमुना नदी के किनारे रंग भरी पिचकारियाँ से एक लोग दूसरे पर रंग डालते थे बादशाह पर भी रंग डालने की आजादी थी वह हरम की बेगमों के साथ रंग खेलते लेकिन आम समाज और दरबारी उनके पैरों में सूखा रंग रखते थे | मुगल बादशाहों के होली  पसंद थी क्योकि इससे मिलता जुलता पर्व नौरोज के रूप में मध्य एशिया में मनाया जाता हैं बादशाह जहांगीर की बेगम  नूरजहाँ शाहजहाँ की बेगम मुमताजमहल पर्शियन थी ईरान में नौरोज नये वर्ष का पहला दिन है इस्लामिक सरकार से पूर्व शाह के समय में नोरोज से एक दिन पहले शाम को अग्नि जलाई जाती थी उसके ऊपर छलांग मारने का रिवाज था पहले खुशबूदार पानी भी एक दूसरे पर डालने का रिवाज था अब इसे समाप्त कर दिया है लेकिन शोर शराबा हमारी होली की तरह होता है |

अंग्रेजी राज में गरीबी से बेहाल लोग रोजी रोटी की खोज में अपना देश छोड़ने के लिए विवश थे | भारतीय मजदूर जहाँ भी गये अपने पर्व और रीतिरिवाजों को नहीं भूले | कैरिबियाई देशों गुआना सूरीनाम,त्रिनिदाद और प्रशांत महासागर में बसे  फिजी द्वीप समूह में धूमधाम से होली का उत्सव मनाया जाता है | यहाँ होली को फगुआ के नाम से जाना जाता है आज भी ढोलक की थाप और चिमटा बजा कर फाग गाया जाता है| होली के दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है हिन्दुओं की आबादी भी यहाँ बहुत है अत: सार्वजनिक रूप से नृत्य गान का आयोजन किया जाता है रंगों को पानी में घोल कर एक दूसरे पर डालते हैं जोगीरा बड़े उत्साह से गाया जाता है|

अपनी मातृभूमि से दूर उत्सव को उमंग से मनाते हैं उन्हें श्री कृष्ण की लीलाएं भी याद हैं ऐसा उल्लास  प्रवासियों की  तीसरी और चोथी पीढ़ी को स्वदेश से जुड़ा महसूस कराता है | सिंगापूर में प्रवासी भारतीय जापानी बाग़ में इकठ्ठा होकर एक दूसरे पर  रंग लगाते हैं जरूरी नहीं है होली का ही दिन हो एक दिन की सुविधानुसार सरकारी छुट्टी भी होती है |

होली का पर्व प्रमुखतया नेपाल श्री लंका और भारत में मनाया जाता है होलिका दहन के साथ अगले दिन रंगो की फुहारें और अबीर और गुलाल की धूम मचती है | श्रीलंका में होली बिल्कुल भारत की तरह ही मनाई जाती है। आपसी मित्रता एवं हंसी-खुशी का यह त्योहार श्रीलंका में अपनी गरिमा बनाए हुए है। यहां भी रंग-गुलाल और पिचकारियां सजती हैं। हवा में अबीर उडता है। लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे के गले मिलते हैं|

आजकल फूलों की पंखुड़ियों अर्थात सूखी होली अधिक लोकप्रिय हो रही है |होली से कुछ दिन पहले ही सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं |होली के दिन कुछ घंटे रंग खेल कर नहा धोकर कर लोग अपने परिचितों के घर जाते हैं सबका दिल खोल कर स्वागत सत्कार किया जाता है |  होली का अर्थ ही विशुद्ध मनोरंजन और मेलमिलाप बढ़ाना है इसी लिए किसी न किसी रूप में अलग-अलग समय पर अलग ढंग से विश्व के अनेक देशों में होली का अलग रूप प्रचलित है |

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