प्रदूषित हो रही हवा के कारण हर रोज सीओपीडी बीमारी का शिकार हो रहे लोगों फेफड़े डेड हो रहे हैं। दुनियाभर में वायु प्रदूषण के चलते मरने वालों की संख्या में साल दर साल इजाफा होता जा रहा है। हालात यह हैं कि वायु प्रदूषण के कारण होने वाली सीओपीड बीमारी से हर रोज 9 लोगों की मौत हो रही है। इस बीमारी में मरीज को फेफड़े संबंधित परेशानियां बढ़ जाती हैं। WHO की लेटेस्ट रिपोर्ट के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं।
30 लाख लोग सीओपीडी से मरे
वायु प्रदूषण ने लोगों की जान लेना शुरू कर दिया है। रोजाना होने वाली 10 मौतों में 9 मौतें सीओपीडी बीमारी से हो रही हैं। दुनियाभर में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाली संस्था वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक हर दिन 9 लोग फेफड़े संबंधित बीमारी के चलते मौत के शिकार हो रहे हैं। वर्ल्ड क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज डे के मौके पर जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनियाभर में हर साल करीब 30 लाख लोग लंग्स खराब होने के कारण मर रहे हैं। सिर्फ 2015 में ही 30 लाख लोगों की मौत हो चुकी है।
सीओपीडी बीमारी का इलाज नहीं
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व के 25 करोड़ लोग हर दिन इस बीमारी से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। इस बीमारी का पता चलते ही दवा के जरिए इसे रोका जरूर जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक इनकम वाले देशों में मरने वाले लोगों में 90 प्रतिशत इसी बीमारी के कारण अपनी जान गंवाते हैं। यह बीमारी आमतौर पर 40 की उम्र पार करने के बाद जोर पकड़ती है।
क्या है सीओपीडी बीमारी
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज को शॉर्ट में सीओपीडी के नाम से जाना जाता है। इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति के फेफड़े खराब होने लगते हैं। उसे सांस में तकलीफ, तेज खांसी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां हो जाती हैं। इस बीमारी में पेशेंट के फेफड़े काम करना बंद करने लगते हैं और सांस की नली में सूजन आ जाती है। यह बीमारी ही फेफड़ों के कैंसर का कारण भी बनती है।
लक्षण, बचाव और अंतिम उपचार
चिकित्सकों के मुताबिक सीओपीडी बीमारी को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है। शुरुआती लक्षण पता चलने पर इलाज से इस बीमारी को बढ़ने से रोका जरूर जा सकता है। इस बीमारी से बचने के लिए शुद्ध ऑक्सीजन का लेना आवश्यक है। डॉक्टर मानते हैं कि इससे बचने के लिए धूल और धुएं से दूर रहना चाहिए। धूम्रपान करने वाले रोगियों को यह बीमारी कभी कभी भी अपनी चपेट में ले सकती है। समस्या बढ़ जाने पर सर्जरी या फिर फेफड़ों का ट्रांसप्लांट ही उपाय बचता है।…Next
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