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एंटी स्मॉग पुलिस से लेकर चिमनी फिल्टर्स तक, प्रदूषण से निपटने के लिए इन देशों ने उठाए ये कदम

वक्त बीतने के साथ प्रदूषण पहले से भी ज्यादा खतरनाक होता जा रहा है. हालांकि, बीते कई सालों में प्रदूषण से निपटने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं लेकिन फिर भी हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. इस बार दिवाली पर पटाखों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ 2 घंटे तक पटाखे जलाने का फैसला दिया है. जिससे काफी हद तक प्रदूषण पर लगाम लगेगी. वहीं इससे पहले दिल्ली प्रदूषण को रोकने के लिए ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू किया गया था. भारत में इस फैसले को प्रदूषण रोकने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है. वहीं ऐसे कई देश हैं जो प्रदूषण को रोकने के लिए कई अलग तरीके अपना चुके हैं. आइए, एक नजर देखते हैं उनके तरीकों पर.

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal10 Nov, 2018

 

 

चीन में एंटी स्मॉग पुलिस और पानी का छिड़काव
साल 2014 में चीन के कई शहरों में धुंध छा गई थी और प्रदूषण का स्तर पॉल्यूशन कैपिटल कहलाने वाले बीजिंग में भी बहुत ऊँचा पाया गया था. इसके बाद चीन ने प्रदूषण से निपटने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास शुरू कर दिए. यहां मल्टी-फंक्शन डस्ट सेप्रेशन ट्रक का इस्तेमाल किया गया. इसके ऊपर एक विशाल वॉटर कैनन लगा होता है जिससे 200 फीट ऊपर से पानी का छिड़काव होता है. पानी का छिड़काव इसलिए किया गया ताकि धूल नीचे बैठ जाए. इसके अलावा, चीन ने वेंटिलेटर कॉरिडोर बनाने से लेकर एंटी स्मॉग पुलिस तक बनाने का फैसला किया. ये पुलिस जगह-जगह जाकर प्रदूषण फैलाने वाले कारणों जैसे सड़क पर कचरा फेंकने और जलाने पर नजर रखती है.

 

पेरिस में कारों पर नियंत्रण
फ्रांस की राजधानी पेरिस में हफ्ते के अंत में कार चलाने पर पाबंदी लगा दी गई थी. वहां भी ऑड-ईवन तरीका अपनाया गया. साथ ही ऐसे दिनों में जब प्रदूषण बढ़ने की संभावना हो तो सार्वजनिक वाहनों को मुफ्त किया गया और वाहन साझा करने के लिए कार्यक्रम चलाए गए. वाहनों को सिर्फ 20 किमी. प्रति घंटे की गति से चलाने का आदेश दिया गया. इस पर नज़र रखने के लिए 750 पुलिसकर्मी लगाए गए.

 

 

जर्मनी में साईकिल और पब्लिक ट्रांसपोर्ट दी गई अहम जगह
जर्मनी के फ्रीबर्ग में प्रदूषण कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने पर ज़ोर दिया गया. यहां ट्राम नेटवर्क को बढ़ाया गया. यह नेटवर्क इस तरह बढ़ाया गया कि यह बस रूट को भी जोड़ सके और ज्यादा आबादी उस रूट के तहत आ जाए. साथ ही यहां सस्ती और कुशल परिवहन व्यवस्था पर जोर दिया गया. बिना कार के रहने पर लोगों को सस्ते घर, मुफ्त सार्वजनिक वाहन और साइकिलों के लिए जगह दी गई.

 

ब्राजील में लगाए गए चिमनी फिल्टर्स
ब्राजील एक शहर क्यूबाटाउ को ‘मौत की घाटी’ कहा जाता था. यहां प्रदूषण इतना ज़्यादा था कि अम्लीय बारिश से लोगों का बदन तक जल जाता था.
लेकिन, उद्योगों पर चिमनी फिल्टर्स लगाने के लिए दबाव डालने के बाद शहर में 90 प्रतिशत तक प्रदूषण में कमी आ गई. यहां हवा की गुणवत्ता पर निगरानी के बेहतर तरीके अपनाए गए…Next

 

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