कहते हैं कि बच्चे तो भगवान का रूप होते हैं, इनका हमारी जिंदगी में आना मतलब भाग्य का खुद दरवाजे पर दस्तक देना है. परमात्मा द्वारा सौंपी गई ये ऐसी देन है जो हमारे जीवन में खुशहाली लेकर आते हैं और हमारे सभी कष्टों को दूर करते हैं. इनका भोला व मासूम चहरा देख सभी का मन प्रसन्न हो जाता है.
हम अक्सर भगवान से हमें हर संकट से दूर रखने व सब के चेहरे पर मुस्कान लाने जैसी कामना करते रहते हैं और इसी काम को ये मासूम पूरा करते हैं. तभी तो इन्हें भगवान का ही रूप कहा जाता है लेकिन आज शायद कुछ लोग इसकी कीमत को भूल गए हैं.
आखिर कब जानेगा इंसान इसकी कीमत को
किसी ने ठीक ही कहा है जब बिन मांगे इंसान को कुछ मिल जाता है तो उसे उसकी कद्र नहीं होती. जरा उनसे तो पूछ कर देखिए जो किसी चीज को पाने के लिए लाचार हैं. कुछ इसी तरह से मां-बाप व औलाद का मेल बना है. जिन्हें औलाद का सुख नहीं है उनकी जिंदगी बस नाम की बनकर रह जाती है. वे सारी जिंदगी भगवान से एक ही दुआ करते हैं कि ‘हमें धन दौलत कुछ नहीं चाहिए बस एक संतान दे दे’. लेकिन जिन्हें भगवान बिना मांगे औलाद का सुख देते हैं उन्हें शायद अब इसकी कद्र नहीं.
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अगर वक्त में ना देखते तो वो मर जाती
हाल ही में चीन के ‘जिनहुआ’ शहर का एक मामला सामने आया है जिसमें राह चलती एक औरत को सड़क के एक किनारे से बच्चे के रोने की आवाज आई. उसने ईधर-उधर नजर घुमाई तो उसे कुछ दिखाई ना दिया लेकिन कुछ देर बाद उसे एक कोने में एक बैग दिखा जिसके पास जाने पर उसे धीमी सी सिसकियों की आवाज आई. उसने जैसे ही आगे बढ़कर वो बैग खोला तो जो उसे दिखा वो हैरानी भरा था.
एक मासूम सी बच्ची उस बैग में औंधे मुंह बंद पड़ी थी. उसकी हालत बहुत गंभीर थी और ऑक्सीजन की कमी से चहरा बिलकुल नीला पड़ गया था. यदि कुछ देर तक उस बैग को खोला ना जाता तो शायद वो बच्ची मर जाती.
उस महिला ने जल्दी से उस बच्चे को बाहर निकाला और आसपास से मदद मांगी. वहां मौजूद लोगों ने बच्चे को पानी पिलाया और उसे शांत करने का प्रयत्न किया, इसके पश्चात वहां पुलिस भी आ गई. फिलहाल बच्ची के मां-बाप से संबंधित कोई भी जानकारी प्राप्त नहीं हुई है.
चीन में ये बात है आम
अधिक आबादी वाले देश चीन का यह पहला मामला नहीं है बल्कि वहां यह एक महामारी की तरह फैल रहा है. इस तरह के हादसे वहां के लोगों व सरकार के लिए आम बात बन गए हैं. आएदिन चीन की सड़कों पर इस तरह के वाक्या बढ़ते जा रहे हैं.
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नागरिकों के इस व्यवहार के चलते चीन में बहुत सारे अनाथालय बनाए गए हैं जहां ऐसे बच्चों की देखभाल की जाती है. नागरिक मामलों के मंत्रालय से मिली सूचना के अनुसार साल 2012 में कुल 5,70,000 अनाथ व छोड़ गए बच्चों के मामले सामने आए हैं लेकिन इनमें से केवल 95,000 बच्चे ही किसी अनाथालय तक पहुंच सके. सरकार ने ऐसा गुनाह करने पर माता-पिता पर कम से कम 5 साल की सजा का प्रावधान भी लगाया है लेकिन फिर भी यह हादसे दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं.
क्यों हो रहा है ऐसा?
खैर यह तो बात है इस मामले में सरकार व पुलिस किस तरह से काम कर रही है और आने वाले समय इस पर रोकथाम कैसे किया जाएगा लेकिन इस सबके बीच उन मासूमों का क्या दोष? चीन की आबादी सरकार के लिए चिंता का विषय है जिसके चलते सरकार द्वारा एक से ज्यादा संतान होने पर रोक लगाई गई है. यदि कोई दूसरी संतान को जन्म देता है तो उन्हें जीवन भर इसका दंड भरना पड़ता है और साथ ही उनके बच्चे को उनसे दूर कर के सेना में भर्ती कर दिया जाता है.
कहा जा रहा है कि ये हादसे शायद इसी नियम के फलस्वरूप हो रहे हैं. मजबूर मां-बाप जो जीवन भर दूसरी औलाद होने पर उसका दंड नहीं भर सकते वे बच्चों को सड़क पर छोड़ जाते हैं ताकि सरकार यह पता ना लगा सके कि ये बच्चा किसका है.
उन मासूमों का क्या है दोश?
अब यहां दुख व चिंता का विषय चीन की आबादी नहीं बल्कि उन हजारों बच्चों का यूं सड़क पर होना है. हम यह जानना चाहते हैं कि सरकार व नागरिकों की इस जंग में उन मासूमों का क्या दोश जिन्होंने अभी तक शायद अपनी आंखों के खोल खुले आसमान को भी ढंग से नहीं देखा? क्या वे अपनी किस्मत में दर-दर पर भटकना लिखवा कर आए हैं? क्या उनके मां-बाप ने उन्हें पैदा करने से पहले यह भी नहीं सोचा कि उनका क्या होगा? क्या इन बच्चों को खुश रहने का व आम जिंदगी जीने का हक्क नहीं? इन सभी सवालों का जवाब मिलना काफी आवश्यक हो गया है. आज चीन के नागरिकों व सरकार को इन मासूमों का हाल समझने की सख़्त जरूरत है. उन्हें यह समझाना होगा कि भगवान के भेजे हुए इन परिंदों को भी खुले आसमान में उड़ने का पूरा हक है.
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