जिन्दगी की कहानी बहुत अजीब होती है. जितनी लंबी ये जिन्दगी होती है इसकी दास्तां उतनी जटिल और असहज होती जाती है. खुशी पाने का कोई ठिकाना तो नहीं होता, जहां दिल को तसल्ली मिले बस वही रास्ता अपना होता जाता है. पर सच तो ये है कि फिलॉसफी में पड़कर या कहानियों को जीकर जीवन नहीं बिताया जा सकता. खुशी और अपनेपन से जीने के लिए परिवार बहुत जरूरी होता है और जैसा कि हम सभी जानते हैं कम से कम भारतीय परिवारों में तो ‘फैमिली’ तब तक अधूरी रहती है जब तक पति-पत्नी अपने बच्चे को जन्म ना दे दें. बच्चे का यही महत्व ही तो है कि अगर कोई महिला मातृत्व ग्रहण करने में सफल नहीं हो पाती तो उसे स्वयं अपने परिवार के साथ-साथ सोसाइटी के भी तानें सुनने पड़ते हैं. भले ही कमी पति में ही क्यों ना हो लेकिन गलती हमेशा स्त्री की ही मानी जाती है. पता नहीं हम या हमारा समाज उस स्त्री के दर्द को क्यों नहीं समझता जो किसी ना किसी वजह से मां नहीं बन पाती.
अब ये वीडियो ही देख लीजिए, पति की एक आदत की वजह से ये औरत अपने परिवार को पूरा नहीं कर पा रही पर पति है कि समझने और गंदी आदत छोड़ने की बजाय पत्नी पर ही गुस्सा निकाल रहा है. शायद ये 2 मिनट का वीडियो समाज में कुछ बदलाव ला सके:
Read More:
Read Comments