जंगली पशुओं में गेंडा हमेशा से ही मनुष्यों के लिए कौतूहल का विषय रहा है। इसकी पत्थर जैसी मोटी चमड़ी और नुकीले सींग के चलते यह पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलता है। दुनियाभर में इसकी 5 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें काले गेंडे की प्रजाति को दुर्लभ घोषित किया जा चुका है। ताजा वैश्विक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तस्करी के लिए इन काले गेंडों को शिकार करने के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और अब इनकी संख्या नाम मात्र ही बची है।
1338 काले गेंडों का शिकार
यूनाइटेड नेशन की रिपोर्ट के मुताबिक काले गेंडे को लेकर आए आंकड़े बहुत ही चौंकाने वाले हैं। अफ्रीकी और एशियाई देशों में पाई जाने वाली काली नस्ल के गेंडों की तस्करी के लिए इनका शिकार बढ़ गया है। साल 2015 में केवल अफ्रीकी देशों में 1338 काले गेंडों को तस्करों ने अपना शिकार बना लिया है।
विश्व में सिर्फ 4800 काले गेंडे बचे
वैश्विक प्रतिबंध के बावजूद दक्षिण अफ्रीका में 2007 से 2014 के दौरान काले गेंडों के शिकार में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है। केवल 2014 में 1200 काले गेंडों को अवैध तरीके से मार दिया गया। इससे पहले सबसे ज्यादा इन गेंडों का शिकार 1970 से 1992 के बीच हुआ था। रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभार में अब सिर्फ 4800 काले गेंडे ही बचे हैं।
यूएन ने विश्व समुदाय को चेतावनी जारी की
इकोसिस्टम के इंजीनियर्स कहे जाने वाले काले गेंडों के शिकार से पर्यटन को भारी नुकसान होने के साथ ही इनकी प्रजाति के खत्म होने का खतरा बढ़ गया है। गेंडों की इस दुर्लभ प्रजाति के लगातार होते शिकार को लेकर यूनाइटेड नेशन ने गहरी चिंता जताई है। वहीं, पशुओं के लिए काम करने वाली वैश्विक संस्थाओं ने दुनियाभर के शीर्ष नेताओं को चेतावनी जारी कर दी है।
सींग और चमड़ी की तस्करी
रिपोर्ट में काले गेंडों के शिकार के पीछे इनकी सींग और चमड़ी वजह बनी है। इनकी सींग में बड़ी मात्रा में केराटिन नाम का प्रोटीन मौजूद रहता है। यह प्रोटीन काले गेंडे के बालों और खुरों के साथ पीठ की चमड़ी में प्रचुर मात्रा में होता है। इस प्रोटीन से कई तरह की जानलेवा बीमारियों से निजात दिलाने की दवाएं बनाई जाती हैं। सींग से बना पाउडर हैंगओवर खत्म करने की अचूक दवा है। इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी कीमत में बेचा जाता है।…Next
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