बलात्कार एक ऐसा शब्द जो किसी भी औरत के अस्तित्व को तार-तार कर देने के लिए काफी है. जब यह शब्द हकीकत का घिनौना रूप लेकर एक औरत की अस्मिता को खंडित करता है, तो उसके पास दो ही रास्ते बचते हैं या तो वह इस उत्पीड़न को चुपचाप सिर झुकाकर सह ले या फिर इसके खिलाफ आवाज उठाए. हालांकि बहुत ही कम मामलों में देखा गया है कि पीड़िता बलात्कार के खिलाफ कुछ कदम उठाती हो, इसके पीछे वहीं सदियों पुरानी सोच है कि अगर औरत के साथ बलात्कार हुआ है तो यकीनन उसकी भी कोई न कोई गलती रही होगी, या फिर अरे…इसका तो पहनावा ही ऐसा है बलात्कार नहीं होगा तो क्या होगा. बलात्कार की पीड़िता की इज्जत एक बार इतनी नहीं लुटती, जितनी की समाज उसे ताने दे -देकर हजारों बार इज्जत लूटता है. वह इस हादसे को भूलना भी चाहे तो भी समाज उसे कतई भूलने नहीं देता, ऐसे में केवल एक औरत का शारीरिक चीरहरण ही नहीं होता बल्कि उसका मानसिक बलात्कार भी होता है.
इतना ही नहीं यह पीड़ा केवल उस तक सीमित नहीं रहती, बल्कि उसके पूरे परिवार को इस हादसे के चलते ताउम्र शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है. इसे दोगले समाज का दोगला चरित्र ही कहेंगे जहां बलात्कारी खुलेआम सिर उठा के जीता है और बेकसूर पीड़िता सारी जिंदगी सिर झुकाएं मौत से भी बदत्तर जिंदगी जीने को मजबूर हो जाती है, लेकिन इसी दोगले समाज में कुछ ऐसी बहादुर औरतें भी है जिन्होंने अपने जीवन के एक हादसे को पूरा जीवन नहीं बनने दिया. उन औरतों ने साबित कर दिया कि बलात्कार कुछ इस तरह है जैसे गली में चलते समय कोई पागल कुत्ता आपको काटे तो आप सारी जिंदगी रोते नहीं बैठोगे. घर आकर जख्म साफकर, उसपर मरहम लगाओगे. ऐसी ही सोच रखने वाली बहादुर महिला है साउथ-अफ्रीका की 28 वर्षीय, जेस फुअर्ड, जिन्हें कुछ दरिंदों ने अपनी घिनौनी हवस का शिकार उन्हीं के पिता के सामने बनाया. जेस अपने पिता और कुत्ते के साथ वॉक पर जा रही थी कि तभी कुछ मानसिक दिवालिएपन के शिकार हवस के दरिंदों ने उनके पिता को बंदूक की नोंक पर पेड़ से बांध दिया और जेस का उनके पिता के सामने ही बलात्कार किया.
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इस शारीरिक उत्पीड़न की शिकार जेस ने तब भी हिम्मत नहीं हारी और जैसे-तैसे खुद को संभालते हुए अपने पिता को पेड़ से छुड़ाया और मदद की गुहार लगाई. इसे जेस की हिम्मत और मानसिक सुदृढ़ता ही कहेंगे कि बिना समाज की परवाह करे जेस ने अपराधियों को उम्र कैद की सजा दिलाई. अपराधी अदालत में जितना उसपर हंस रहे थे उतनी उसकी हिम्मत उन्हें सजा दिलाने के लिए बढ़ रही थी और आखिरकार जीत बुलन्द इरादों और मजबूत हौसलों की हुई. जेस ने बलात्कार पीडिताओं के लिए एक मिसाल कायम करते हुए न सिर्फ अपने अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा बल्कि एक सुयोग्य लड़के जोनाथन के साथ शादी करके दो स्वस्थ बच्चों को जन्म भी दिया. जेस ने साबित कर दिया कि कोई भी बुरा हादसा किसी भी औरत का पूरा जीवन नहीं बन सकता है. एक बलात्कार की शिकार औरत को ऐसे मामलों में चुप रहकर घूट-घूटकर जीने की जरूरत नहीं बल्कि सिर उठाकर अपराधियों को सजा दिलाकर एक नए सिरे से जिंदगी का आगाज करने की जरूरत है…Next
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